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अप्रैल 2024
वरिष्ठ पत्रकार व सम्पादक
हिंदी सेवी-पर्यावरण प्रेमी
भारत को भारत कहा जाए
का आव्हान करने वाला एक भारतीय
हम सभी २५५३ वां वर्ष के रूप में मना रहे हैं।
विश्व में अहिंसा का संदेश फैलाने हेतु हम सभी विभिन्न पंथों को मानने वाले मिलकर ‘महावीर जन्मकल्याणक’ अपने-अपने क्षेत्र में मनाएं तो विश्व को हम बता सकते हैं कि हम सभी जैन हैं, एक हैं, २४ तीर्थंकरों के अनुयाई हैं, ‘णमोकार मंत्र’ हमारा एक है, ‘जियो और जीने दो’ संदेश फैलाने वाले हम सभी एक हैं, जैन हैं, हम जैनों का संदेश ‘अहिंसा परमो धर्म:’ व ‘परस्परोपग्रहो जीवानाम’ बताएं, तो जानते हैं क्या होगा, हमारा परिचय अन्य भारतीय धर्मावलंबियों के बीच सकारात्मक जाएगा, सभी के बीच एक संदेश जाएगा कि अहिंसा प्रेमी जिन धर्मावलंबी ‘एक’ हैं और ‘जैन’ हैं।
श्रावक-श्राविकाओं से यह भी निवेदन करता हूं कि अपने-अपने क्षेत्र में विराज रहे हम सभी के चलते-फिरते तीर्थंकर ‘साधु-साध्वियों’ के चरणों में विनंती करें कि हमें ‘एकता’ का आशीर्वाद प्रदान करें, क्योंकि साधु-संतों का मार्गदर्शन हमें प्राप्त हुआ या होता रहा तो विश्वास दिलाता हूं कि हमारा ‘जैन एकता’ का आह्वान सफल होकर रहेगा और हम अलग-अलग नहीं ‘एक’ होकर रहेंगे, चाहे हम किसी भी पंथ के मानने वाले हों।
‘महावीर जन्मकल्याणक’ पर्व पर हमें यह सब बताना है, इसलिए सभी से निवेदन करता हूं कि जाएं जैन साधु-संतों के चरणों में और उनसे निवेदन करें कि हमें ‘जैन एकता’ का आशीर्वाद प्रदान करें।
‘भारत को केवल ‘भारत’ ही बोला जाए’ घ्र्Dघ्A नहीं, अभियान की सफलता के लिए ‘आपणों राजस्थान’ कार्यक्रम ३० मार्च ‘राजस्थान स्थापना दिवस’ भव्यातिभव्य रूप में मुंबई की फिल्म सिटी में मनाया गया, जिसमें विभिन्न जाति के राजस्थानी भाई-बहन अपने-अपने परिधानों को पहन कर राजस्थानी गीत, नृत्य, संगीत के साथ ‘जय-जय राजस्थान’ का नारा लगाया और सभी ने कहा कि यह है ‘आपणों राजस्थान’ क्योंकि भारत में है राजस्थान!
मुंबई में एक और कार्यक्रम १ मई ‘महाराष्ट्र दिवस’ के उपलक्ष मुंबई यूनिवर्सिटी में झ्rग्हम्ग्ज्aत्’े ण्दहम्त्aन का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें मुंबई के करीब २०० कॉलेज के प्राचार्य आपस में चर्चा-परिचर्चा करेंगे कि कैसे अपने देश का नाम एक ही रहे केवल भारत?
फिर मिलूंगा अगले अंक में कुछ विशेष नया लेकर…
जय जिनेंद्र!
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