१७०० वर्ष प्राचीन गोड़वाड़ में हथुंडी तीर्थ श्री रातामहावीर जी ( 1400 year old Hathundi shrine in Godwad Shri Ratamahaveer ji in hindi)
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१७०० वर्ष प्राचीन गोड़वाड़ में हथुंडी तीर्थ श्री रातामहावीर जी ( 1400 year old Hathundi shrine in Godwad Shri Ratamahaveer ji in hindi)
राता महावीरजी के नाम से विख्यात प्राचीन तीर्थ हथुंडी का जैन तीर्थों में महत्वपूर्ण स्थान है।
१७०० वर्ष प्राचीन गोड़वाड़ में हथुंडी तीर्थ श्री रातामहावीर जी ( 1400 year old Hathundi shrine in Godwad Shri Ratamahaveer ji in hindi) : राष्ट्रीय राजमार्ग नं. १४ पर गोड़वाड़ की सबसे बड़ी मंडी सुमेरपुर से ३० कि. मी. एवं जवाईबांध रेलवे स्टेशन से २२ कि.मी. दूर पूर्व में बीजापुर नगर से ५ कि. मी. दूर निर्जन वन में अरावली पर्वत श्रृंखलाओं के बीच अलौकिक प्राकृतिक सौंदर्य से युक्त यह पावन तीर्थ गोड़वाड़ क्षेत्र को सुशोभित कर रहा है।
१७०० वर्ष प्राचीन गोड़वाड़ में हथुंडी तीर्थ श्री रातामहावीर जी ( 1400 year old Hathundi shrine in Godwad Shri Ratamahaveer ji in hindi)
१७०० वर्ष प्राचीन गोड़वाड़ में हथुंडी तीर्थ श्री रातामहावीर जी ( 1400 year old Hathundi shrine in Godwad Shri Ratamahaveer ji in hindi)
लावण्यसमयजी ने वि. सं. १५८६ में बलिभद्र (वासुदेवसूरि) रास में लिखा है-
‘हस्तिकुंड एहवुं अभिधान,
स्थापिउं गच्छपति प्रगट प्रदान।
महावीर केरइं प्रासादि,
बाजई भुंगल भेरी नादि।।
‘रातो वीर पूरि मननी आस’- पं. शीलविजयजी अर्थात् लाल वर्ण के महावीर मेरे मन की आशा पूरी करें। सं. १३३५ में सेवाड़ी के श्रावकों द्वारा यहां श्री राता महावीर के मंदिर में ध्वजा चढ़ाने का उल्लेख मिलता है। वि. सं. ९९६ के शिलालेख अनुसार ‘ऐतिहासिक रास संग्रह-भाग २ विजयधर्म सूरिजी विरचित में इसे भगवान महावीर का चैत्य कहा गया है। लावण्यसमयजी ने वि. सं. १५८६ में बलिभद्र (वासुदेवसूरि) रास में लिखा है-
‘हस्तिकुंड एहवुं अभिधान, स्थापिउं गच्छपति प्रगट प्रदान।
महावीर केरइं प्रासादि, बाजई भुंगल भेरी नादि।।