जैन एकता के प्रवर्तक आचार्य देवेश श्री ऋषभचन्द्र सूरीश्वरजी
भारत अपनी अध्यात्म प्रधान संस्कृति से विश्रुत था, किन्तु आज इसने ‘जगद्गुरु’ होने की पहचान खोयी तो खोयी हुई पहचान को पुन: प्राप्त करने एवं अध्यात्म के तेजस्वी स्वरूप को पाने के लिये अनेक संत मनीषी अपनी साधना, अपने त्याग, अपने कार्यक्रमों से प्रयासरत रहे हैं, ताकि जनता के मन में ‘अध्यात्म’ एवं धर्म के प्रति आकर्षण रह सके। अध्यात्म ही एक ऐसा तत्व है, जिसको उज्जीवित और पुनर्प्रतिष्ठित कर ‘भारत’ अपने खोए गौरव को पुन: प्रस्थापित रख सकता है, इस महनीय कार्य में एक थे ज्योतिष सम्राट के नाम से चर्चित मुनिप्रवर श्री ऋषभचन्द्र विजयजी, आप महान् तपोधनी, शांतमूर्ति...
समय का सदुपयोग चेतना की निर्मलता के विकास में हो
समय का सदुपयोग चेतना की निर्मलता के विकास में हो – आचार्य महाश्रमण काल प्रतिलेखना का मतलब है समय की प्रतिलेखना करना, उसको पहचान लेना, समझ लेना। आज तो घड़ियां उपलब्ध हैं और लोगों के हाथों में घड़ी बंधी रहती है। यह समय को बताने वाला यंत्र नवजवानों के लिए हाथ का आभूषण-सा बना हुआ है, घड़ी की यह विशेषता है कि यह समय को सूचित करती है, कुछ समय पूर्व तक तो हमारी श्राविकाएं रेत की घड़ी रखा करती थीं, मुहूर्त का समय जानने में उसका उपयोग होता था, आज तो समय को जानना बहुत आसान हो गया है...
तीर्थंकर महावीर स्वामीसत्य, अहिंसा, अनेकान्त के महानायक थे
पूरे भारत वर्ष में ‘महावीर जन्म कल्याणक’ पर्व जैन समाज द्वारा उत्सव के रूप में मनाया जाता है। जैन समाज द्वारा मनाए जाने वाले इस त्यौहार को महावीर जयंती के साथ-साथ महावीर जन्म कल्याणक नाम से भी जानते हैं, ‘महावीर जन्म कल्याणक’ हर वर्ष चैत्र माह के १३ वें दिन मनाया जाता है, जो अंग्रेजी केलेन्डर के हिसाब से इस वर्ष १० अप्रैल को है, इस दिन हर पंथ के जैन दिगम्बर-श्वेताम्बर आदि एकसाथ मिलकर इस उत्सव को मनाते हैं। तीर्थंकर महावीर के जन्म उत्सव के रूप में मनाए जाने वाले इस त्यौहार में भारत के कई राज्यों में सरकारी...
आचार्य श्री विद्यासागर जी की प्रेरणा से आज भारत विकसीत हो रहा है
जेल में कैद कैदियों की स्थिति देखकर आचार्य श्री का हृदय द्रवित हो उठा तब उन्होंने जेल प्रशासन को प्रेरणा प्रदान दी कि कैदियों को अर्थ पुरूषार्थ का अवसर देना चाहिये। आचार्य श्री जी की प्रेरणा से केन्द्रीय जेल सागर, तिहाड़ जेल दिल्ली, मिर्जापुर, बनारस, आगरा, मथुरा आदि जेलों में समाज के द्वारा ‘हथकरघा’ प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। भारत का पशुधन सुरक्षित रहे, गौहत्या बंद हो, इस हेतु आचार्य प्रवर की मांगलिक प्रेरणा से ‘दयोदय पशु संवर्धन’ के नाम से शताधिक गौशालायें पूरे ‘भारत’ देश में स्थापित हैं। भारत में भारतीय शिक्ष पद्धति लागू हो, अतः अंग्रेजी नहीं, भारतीय भाषा...
आचार्य भिक्षु
तेरापंथ के संस्थापकआचार्य भिक्षुजन्म पर्व १९ जुलाई (तिथिनुसार) तेरापंथ के प्रवर्तक आचार्य भिक्षु श्रमण परंपरा के महान संवाहक थे, उनका जन्म वि. स. १७८३ आषाढ़ शुक्ला त्रयोदशी को कंटालिया (मारवाड़) में हुआ, पिता का नाम शाह बल्लुजी तथा माता का नाम दीपा बाई था, जाति ओसवाल तथा वंश सकलेचा था। आचार्य भिक्षु का जन्म-नाम भीखण था, प्रारंभ से ही वे असाधारण प्रतिभा के धनी थे, तत्कालीन परंपरा के अनुसार छोटी उम्र में ही उनका विवाह हो गया, वैवाहिक जीवन से बंध जाने पर भी उनका जीवन वैराग्य भावना से ओतप्रोत था। धार्मिकता उनकी रगरग में रमी थी, पत्नी भी उन्हें...





