




Previous
Next
पूर्वजन्म प्रभू ऋषभदेव का
वैसे तो संसार का प्रत्येक प्राणी अनादि काल से जन्म मरण भोगता आ रहा है लेकिन सार्थक वही जन्म होता है जिसमें जीव ने संसार परित्त (सीमीत) किया, उसी क्रम में प्रभु ऋषभ का जीव भी कई भव पूर्व जम्बूद्वीप के पश्चिम विदेह की क्षिति प्रतिष्ठित नगरी के प्रसन्नचन्द्र राजा के राज्य में धन्ना सार्थवाह था, एक बार व्यापार के लिए बसंतपुर जाने का निश्चय करके, धन्ना ने राजाज्ञा पूर्वक नगर में घोषणा कराई कि यदि उनके साथ कोई चलना चाहे तो यथायोग्य पूर्ण सहयोग दिया जायेगा, इस घोषणा की जानकारी तंत्र विराजित आचार्य धर्मघोष को भी मिली। बसंतपुर की ...
अहिंसा ही मानव धर्म है : तीर्थंकर महावीर
‘‘मधुरिमा कंठ में न होती तो शब्द विषपान बन गया होता।आस्था दिल में न होती तो हृदय पाषाण बन गया होता।प्रभू वीर से लेकर अब तक अगर ऐसा जिन धर्म न मिलतातो यह संसार वीरान बन गया होता’’ अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है। तीर्थंकर महावीर अहिंसा और अपरिग्रह की साक्षात मूर्ति थे। तीर्थंकर महावीर स्वामी ने हमें अहिंसा का पालन करते हुए, सत्य के पक्ष में रहते हुए, किसी के हक को मारे बिना, किसी को सताए बिना, अपनी मर्यादा में रहते हुए पवित्र मन से, लोभलालच किए बिना, नियम में बंधकर सुख-दुख में संयमभाव में रहते हुए, आकुल-व्याकुल हुए ...
इंडिया भारत कहलाएगा – मुनिश्री निरंजनसागर
सुप्रसिद्ध जैन सिद्धक्षेत्र कुण्डलपुर में संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के प्रभावक शिष्य मुनिश्री निरंजनसागरजी महाराज ने महात्मा गांधीजी की पुण्यतिथि पर प्रवचन देते हुए कहा कि भारत आज तक अपने अस्तित्व को नहींपाया है, किसी भी देश की पहचान का प्रमुख अंग उसका नाम हैं, उसकी स्वयं की भाषा है, उसकी स्वयं की आहार शैली, उसकी अपनी वेशभूषा है, उसकी अपनी शिक्षा पद्धति है, उसकी अपनी औषध विद्या है, परंतु आज हम सभी आवश्यकताओं पर विदेशों पर निर्भर होते जा रहे हैं। आज का नवयुवक विदेशी जीवन शैली को अपनाने की होड़ में दौड़ रहा है। यह ...
तीर्थंकर महावीर का दिव्य संदेश
स्वयं जीयो और दूसरे को भी जीने दा तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्म कल्याणक ‘महावीर जयन्ती’ के नाम से भी प्रसिद्ध है।महावीर स्वामी का जन्म चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में हुआ था। ईस्वी कालगणना के अनुसार सोमवार, दिनांक २७ मार्च, ५९८ ईसा पूर्व के माँगलिक प्रभात में वैशाली के गणनायक राजा सिद्धार्थ के घर महावीर का जन्म हुआ था। महावीर स्वामी का तीर्थंकर के रुप में जन्म उनके पिछले अनेक जन्मों की सतत् साधना का परिणाम था, कहा जाता है कि एक समय महावीर का जीव पुरुरवा भील था, संयोगवश उसने सागरसेन नाम के मुनिराज के दर्शन ...
आचार्यश्री महाश्रमण ने ५० हजार किमी की पदयात्रा कर रचा इतिहास, जगाई अहिंसा की अलख (Acharyashree Mahashraman did a foot journey of 50 thousand km. History created, awakened the light of non-violence)
आचार्यश्री महाश्रमण ने ५० हजार किमी की पदयात्रा कर रचा इतिहास, जगाई अहिंसा की अलख (Acharyashree Mahashraman did a foot journey of 50 thousand km. History created, awakened the light of non-violence) अहिंसा यात्रा के प्रणेता तेरापंथ धर्मसंघ के ११वें अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी ने अपने पावन कदमों से पदयात्रा करते हुए ५०,००० किलोमीटर के आंकड़े को पार कर एक नए इतिहास का सृजन कर लिया। आज के भौतिक संसाधनों से भरपूर युग में जहां यातायात के इतने साधन हैं, व्यवस्थाएं हैं, फिर भी भारतीय ऋषि परंपरा को जीवित रखते हुए महान परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी जनोपकार के लिए निरंतर पदयात्रा ...