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Jinagam Magazine
श्वेताम्बर तेरापंथ (संक्षिप्त इतिहास)

श्वेताम्बर तेरापंथ (संक्षिप्त इतिहास)

श्वेताम्बर तेरापंथ  श्वेताम्बर तेरापंथ जैन धर्म में श्वेताम्बर संघ की एक शाखा है, इसका उद्भव विक्रम संवत् १८१७ (सन् १७६०) में हुआ, इसका प्रवर्तन मुनि भीखण (भिक्षु स्वामी) ने किया था जो कालान्तर में आचार्य भिक्षु कहलाये, वे मूलतः स्थानकवासी संघ के सदस्य और आचार्य रघुनाथ जी के शिष्य थे। आचार्य संत भीखण जी ने जब आत्मकल्याण की भावना से प्रेरित होकर शिथिलता का बहिष्कार किया था, तब उनके सामने नया संघ स्थापित करने की बात नहीं थी, परंतु जैनधर्म के मूल तत्वों का प्रचार एवं साधुसंघ में आई हुई शिथिलता को दूर करना था, उस ध्येय में वे कष्टों...
श्री मोहनखेड़ा: गुरुसप्तमी महापर्व 2024

श्री मोहनखेड़ा: गुरुसप्तमी महापर्व 2024

श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वेताम्बर पेढ़ी (ट्रस्ट) श्री मोहनखेडा महातीर्थ के तत्वाधान में दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की १९७ वीं जन्म जयंती एवं ११७ वीं पुण्यतिथि पंचान्हिका महोत्सव १५ से १९ जनवरी तक बड़े ही हर्षोल्लास एवं पूजा अर्चना के साथ मनाया गया। मोहनखेड़ा महातीर्थ परिसर को विद्युत सज्जा के साथ सजाया गया, पुरे जिन मंदिर परिसर व दादा गुरुदेव के समाधि मंदिर परिसर को पुष्प सज्जा व विद्युत सज्जा के साथ सजाया गया। गुरु सप्तमी के अवसर पर श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में आने वाले सभी गुरुभक्तों को आवास, भोजन, यातायात, पार्किंग आदि की सभी सुविधाएं...
तीर्थंकर महावीर के ८ कल्याणकारी संदेश

तीर्थंकर महावीर के ८ कल्याणकारी संदेश

तीर्थंकर महावीर ने मानव-मात्र के लिए आठ कल्याणकारी सन्देशों का प्रतिपादन किया, जो इस प्रकार है:तीर्थंकर महावीर ने लोगों को कहा कि अपने अन्दर सुनने का अभ्यास उत्पन्न करो, सुनने से पाप-पुण्य की, धर्म-अधर्म की तथा सत्य-असत्य की ठीक-ठीक जानकारी प्राप्त होती है। वास्तविक और यथार्थ के दर्शन होते हैं तथा मनुष्य यथोचित ढंग से जीने की कला सीखता है, इसके द्वारा मन में बैठी अनेक प्रकार की भ्राँतियों का भी निवारण होता है।जो सुना है, उसे याद रखो- अपने अन्दर सुने हुए को याद रखने की प्रवृत्ति का विकास करो, कभी भी कोई बात एक कान से सुनकर दूसरे...
महावीर निर्वाण पर्व: ध्रुव मार्ग

महावीर निर्वाण पर्व: ध्रुव मार्ग

तीर्थंकर महावीर ने पावापुरी से मोक्ष प्राप्त किया, महावीर की आत्मा कार्तिक की चौदस को पूर्ण निर्मल पर्याय रुप से परिणित हुई और महावीर, सिद्धपद को प्राप्त हुए। पावापुरी में इन्द्रों तथा राजा-महाराजाओं ने निर्वाण-महोत्सव मनाया था, उसी दीपावली तथा नूतनवर्ष का आज दिवस है। भगवान पावापुरी स्वभाव ऊध्र्वगमन कर ऊपर सिद्धालय में विराज रहे हैं, ऐसी दशा भगवान को पावापुरी में प्रगट हुई, इसलिए पावापुरी भी तीर्थधाम बना, हम सम्मेदशिखर की यात्रा के समय पावापुरी की यात्रा करने गये, तब वहाँ भगवान का अभिषेक किया था, वहाँ सरोवर के बीच में – जहाँ से भगवान मोक्ष पधारे वहाँ भगवान...

“भारत हूँ” फाउंडेशन का ऐतिहासिक कार्यक्रम

रायपुर: लोग कहते हैं और हम सभी भारतीयों को बताया भी गया है कि इंडिया का मतलब ‘भारत’ होता है, ‘भारत’ का मतलब इंडिया होता है, क्या कभी नाम का अनुवाद हो सकता है, जब नाम का अनुवाद नहीं हो सकता तो इंडिया का मतलब भारत या भारत का मतलब इंडिया कैसे हो सकता है? हमारे देश का नाम भी एक ही रहना चाहिए केवल ‘भारत’।क्योंकि हजारों सालों से हमारे देश का नाम भारत’ ही रहा है, हमने लगभग ढाई सौ साल गुलामी की दास्तॉ सही और अपने आप को इंडियन कहने के लिए मजबूर रहे, पर आज हम स्वतंत्र...