भारत का प्रसिद्ध तीर्थ मोहनखेड़ा में भगवान शांतिनाथ मंदिर

तीर्थ मोहनखेड़ा में भगवान शांतिनाथ मंदिर

मंदिर के ऊपरी भाग पर भी एक मंदिर है जिसके मूलनायक तीर्थकर भगवान शांतिनाथ है, इसके गर्भगृह में मूलनायकजी के अतिरिक्त श्री पद्मप्रभुजी, श्री सीमन्धरस्वामीजी, प्रभुश्री महावीर स्वामीजी, श्री विमलनाथजी, श्री आदिनाथजी, श्री शीतलनाथजी की प्रतिमाऐं विराजित हैं। ये प्रतिमायें दादा गुरुदेव श्रीमद् राजेन्द्रसूरीश्वरजी, श्री यतीन्द्रसूरीश्वरजी एवं विद्याचन्द्रसूरीश्वरजी द्वारा प्रतिष्ठित है इनमें वे प्रतिमायें भी शामिल है जो पुनः प्रतिष्ठा के पूर्व मंदिर में विराजित थी, इस मंदिर में जाने हेतु मंदिर के दोनों पाश्र्व में सीढियां बनी हुई है।

श्री पाश्र्वनाथ मंदिर

श्री मोहनखेड़ा पुनः प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर मुख्य मंदिर के दाहिनी ओर इस तीन शिखरों से युक्त पाश्र्वनाथ मंदिर की प्रतिष्ठा भी सम्पन्न हुई, इस मंदिर का निर्माण सौधर्मवृहत्तपोगच्छीय श्रीसंघ एवं थराद जैन युवक मण्डल अहमदाबाद द्वारा करवाया गया है, इस मंदिर में भगवान पाश्र्वनाथ की श्यामवर्ण की २१ इंच उंची दो पद्मासन प्रतिमाएं है, इनकी प्रतिष्ठा आचार्य भगवंत श्री विद्याचन्द्रसूरीश्वरजी के कर कमलों से वीर संवत २५०४ (विक्रम संवत २०३४) की माघ शुक्ला १२ रविवार को हुई थी, मंदिर में दो स्तरीय शाश्वत चौमुखजी भी है, जिसमें आठ प्रतिमाएं विराजित की गई है। मंदिर के मध्य में श्री बीस स्थानक महायंत्र भी दीवार पर स्थापित है।

श्री युगादिदेव आदिनाथजी मंदिर

प्रसिद्ध मोहनखेड़ा तीर्थ मुख्य मंदिर के वाम भाग में स्थित संगमरमर निर्मित त्रिशिखरी श्री आदिनाथजी मंदिर का निर्माण कोशोलाव निवासी शाह शंकरलालजी धर्मपत्नी हुलासीबाई ने करवाया है, जिसकी प्रतिष्ठा वी. सं. २५०४ (विक्रम सं. २०३४) की माघ सुदी १२, रविवार को आचार्य भगवन्त श्री विद्याचन्द्रसूरीश्वरजी ने की, इस मंदिर में प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथजी की सोलह फीट एक इंच उँचाई वाली विशाल श्यामवर्णी कायोत्सर्ग मुद्रावाली श्वेताम्बर प्रतिमा विराजमान है। प्रतिमा अष्टमंगल आसन पर स्थित है व उनके दोनों चरणों के पास चामर ढालती अप्सराएं प्रदर्शित की गई है। पूजा करने हेतु प्रतिमा के आसपास सीढियां है, इस प्रतिमा के दोनों ओर चौमुखजी है जिनमें तीर्थंकर भगवान श्री वर्धमान, भगवान ऋषभदेव, भगवान चन्द्रप्रभु एवं श्री वारिषेण प्रभु की प्रतिमाएं है। मंदिर में एक ओर नवपद सिद्धचक्र और दूसरी ओर श्री शत्रुंजय महातीर्थ पट्ट स्थापित है।

भगवान आदिनाथजी के पगलियाजी

जैन परम्परा में तीर्थंकर भगवन्तों, आचार्य व मुनि भगवन्तों के चरण पादुकाओं की स्थापना की भी परम्परा है। मुख्य मंदिर के पीछे श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. द्वारा स्थापित भगवान आदिनाथजी के पगलियाजी है जिस पर छोटा सा मंदिर बना हुआ है।

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