सुवर्ण सम्यक ज्ञानोत्सव में सुरेन्द्र गुरूजी को आदर्श अध्यापक रत्न सम्मान

बेंगलोर

श्री आदिनाथ जैन श्वेताम्बर संघ द्वारा संचालित श्री विजयलब्धि जैन धार्मिक पाठशाला के प्रधानाध्यापक सुरेन्द्रगुरूजी के सम्यक ज्ञान प्रदान के ५० वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में ज्ञान-ज्योति आडिटोरियम में सुवर्ण ज्ञानोत्सव समिति की ओर से संघ के तत्वाधान में मनाया गया। दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम की शुरूआत की गई। संघ की ओर से शॉल, माला व साफा पहनाकर सुरेन्द्रगुरूजी के शिक्षा व धर्म के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए ‘‘आदर्श अध्यापक रत्न’’ की उपाधि से नवाजा गया तथा रजत पट्ट भेंट किया गया, इससे पूर्व स्वागत संघ अध्यक्ष प्रकाश राठोड़ ने किया व उनकी सेवाओं के बारे में बताया। पाठशाला के चेयरमेन देवकुमार के. जैन ने गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। पालीताणा सिद्धाचल तीर्थ की ५०० वीं वर्षगाठ समारोह की योजना विस्तार से बताई, तथा जुड़ने का आहवान किया गया, मुख्य अतिथि सेठ आनंदजी कल्याणजी पेढी के ट्रस्टी श्रीपाल भाई का संघ द्वारा बहुमान किया गया। सुरेन्द्रगुरूजी के बहुमान की शृ्रंखला में पालीताणा पेढी श्री लब्धिसूरि धार्मिक शिक्षण/शिक्षक उत्कर्ष ट्रस्ट, डेढ़ सौ से अधिक धार्मिक पाठशालाओं के अध्यापकों ने सामूहिक रूप से अभिनन्दन पत्र भेंट किया व ५० संघों, अनेक व्यक्तिगत लोगों ने भी सम्मान किया। अपने अभिनन्दन से अभिभूत होकर सुरेन्द्र गुरूजी ने सभी उपस्थित जनों का धन्यवाद देते हुए कहा कि मैं आज जो कुछ भी हूँ आदिनाथ भगवान व चिकपेट संघ के कारण हूँ। सभी संघों का उन पर अटूट प्रेम हैं जिसके लिए वे सभी संघों के आभारी हैं। कार्यक्रम में सुरेन्द्रगुरूजी के गुरूजी वसंत गुरूजी, यशोविजय जैन धार्मिक पाठशाला मेहसान के प्रधान अध्यापक वसंत भाई गुरूजी, संघ सचिव अशोक संघवी, प्रकाश संघवी, बाहर से आए गुरूजी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए सुरेन्द्रगुरूजी को एक कर्मठ व दृढ़ निश्चय व्यक्ति बताया, इस अवसर पर विभिन्न संघों के अध्यापकों का सम्मान किया गया, सह सचिव गौतम सोलंकी ने आभार व्यक्त किया। संचालन अरविंद कोठारी व रोहित गुरूजी ने किया। उपाध्यक्ष बाबुलालजी पारेख, कोषाध्यक्ष भंवरलालजी कटारिया सहित बड़ी संख्या में ट्रस्टी व श्रावक उपस्थित थे। अहमदाबाद, मुम्बई आदि अनेक शहरों के लोगों के साथ गुरूजी के सहपाठी व परिवार जनों ने शिरकत की। व्यवस्था श्री आदिनाथ जैन सर्वोत्तम सेवा मंडल व लब्धिसूरी मंडल ने संभाली।

मुंबई से राष्ट्रसंतों को भावभीनी विदाई गुरुजनों को राष्ट्र गौरव को दिया गया सम्मान

मुंबई: पावन चातुर्मास व दिव्य सत्संग समिति, मुंबई को ओर से कांदीवली पश्चिम, महावीर नगर स्थित पावन धाम में राष्ट्रसंत श्री ललितप्रभ सागर, राष्ट्रसंत चंद्रप्रभ सागर जी और डॉ. मुनिश्रीशांतिप्रिय सागर जी के अद्वितीय व अनूठे चातुर्मास की पूर्णाहुति पर भावभीनी विदाई समारोह आयोजित किया गया, इस अवसर पर चातुर्मास लाभार्थी सम्पत चपलोत, उमरावसिंह ओस्तवाल, श्रीपारस चपलोत, श्रीकिशोरचंद डागा, सुरेश जैन, मनोज बनवट, महेंद्र भूतड़ा, जवाहरलाल देसलहरा, राजेंद्र महेंद्र सुराश्री, सागर जैन, पुखराज रांका, जितेंद्र रांका, रिखबचंद झाड़चूर, मूलचंद जैन, शांतिलाल बोहरा, अनिल चौरडिया, महेंद्र चौपड़ा, संजय बोथरा, सम्पत कूड़ा, भरत मेहता, शंकरलाल घीया, गौतमचंद भंसाली, सुरेंद्र लोढ़ा और नगरसेविका श्रीमती बीना दोशी का गुरुजनों ने व समाज के वरिष्ठ लोगों ने तिलक, माला और अभिनंदन पत्र देकर सम्मानित किया, इस दौरान जब मधुर गायिका श्रीमती दीपमाला बोहरा ने ‘प्रार्थना कर जोड़ के, हम सभी को छोड़ के, जाओ ना गुरुदेव भजन गुनगुनाया तो पावन धाम में बैठे सभी श्रद्धालुओं की आँखें भर आई इस दौरान अखिल भारतीय ओसवाल परिषद बैंगलोर द्वारा गुरुजनों को राष्ट्रगौरव के सम्मान से नवाजा गया।

याद रहेगा मुंबई: संत श्रीचंद्रप्रभजी ने कहा कि मुंबईवासियों ने हमें चातुर्मास में जिस तरह से पलकों पर बिठा कर रखा, उसे हम कभी भूल न पाएगें, हम संतों का यह विदाई समारोह कम, चातुर्मास लाभार्थियों का आभार, हम तन से भले ही यहाँ से चले जाऐंगे, पर मन से सदा आपके पास रहेंगे, उन्होंने कहा कि हमें भले ही भूल जाना पर हमने जीने की कला के जो सूत्रादि दिए हैं, श्री परिवार को स्वर्ग बनाने के जो मंत्रादि दिए हैं वैसे ही संभाल कर रखना जैसे कोई गर्भवती अपने गर्भ को संभाल के चलती है तो आपके जीवन में खुशियों का सवेरा उदय होता रहेगा, उन्होने कहा कि यहाँ आकर लगा कि मुंबई मायानगरी कम धर्मनगरी ज्यादा है। २०१९ में बचपन का ऋण चुकाने का संकल्प लेने की प्रेरणा देते हुए, उन्होंने कहा कि मारवाडियों, मेवाडियों और गुजरातियों को चाहिए कि यहाँ आकर जो धन कमाया है उस धन से वे अपनी मातृभूमि के उत्थान में अपनी महती भूमिका निभाए, जिस स्कूल में पढ़े उसे उच्चस्तरीय बनाने में योगदान दें, जहाँ का पानी पिया वहाँ कम से कम १ तालाब बनवा कर, जहाँ का अन्न खाकर बड़े हुए, वहाँ कम से कम ५१ पेड़ लगवाये।

मुनि शांतिप्रिय जी ने कहा कि चावल में दूध मिलाने से खीर बनती है और मुंबई आने से तकदीर बनती है। राष्ट्रसंतों का यह चातुर्मास सामाजिक सद्भाव कायम करने, धार्मिकता बढ़ाने, शाकाहार और सदाचार को फैलाने, रिश्तों में मिठास, हँसते-मुस्कुराते हुए जीवन जीने और पूरे विश्व में धूम मचाने के रूप में सफल और ऐतिहासिक सिद्ध हुआ है, अगर सभी सत्संग प्रेमी गुरुजनों के सद्विचारों को अपनाकर आदर्शभरा जीवन जीते हैं तो वह आने वाले कल के लिए न केवल मुंबई वरन् पूरे भारत के लिए, वरदान स्वरूप बन जाएगा, इस अवसर पर बोम्बे हाईकोर्ट जज किशोरचंद जी तातेड़ ने कहा कि अब तक तो धर्म हमारे दिमाग तक ही उतरता था, पहली बार इन गुरुजनों ने धर्म को दिमाग से दिल तक उतार दिया है जिससे मेरे और मेरे परिवार में चमत्कारी परिवर्तन हुए हैं, मशहूर बोकाडिया ने कहा कि पहले मुझे लगता था कि अमिताभ बच्चन सबसे अच्छा बोलता है, पर इन गुरुजनों को सुना तो लगा कि उससे भी ज्यादा अच्छा आप सब बोलते हैं, भारत जैन महामंडल के पूर्व अध्यक्ष समाज सेवी घनश्याम मोदी ने कहा कि गुरुजनों की समयबद्धता, सरलता, सटीकता और सहजता ने मुंबईवासियों को कायल कर दिया है, मराठी समाज के गंगाराम आपटे ने कहा कि हमारे समाज में गुरुजनों ने प्रवचन कर सैकड़ों लोगों को व्यसन और मांसाहार से मुक्त कर असीम उपकार किया है, गुजराती समाज के परेश भाई शाह ने कहा कि समाज में गुरुजनों की प्रेरणा से जो क्रांति हुई है वह अद्भुत है,

इसके साथ ही रायचंद खटेड़ बैंगलोर, नरपतसिंह चौरडिया, गौतमचंद नाहर, विशाल लोढ़ा पूना, दिनेश नाहर, श्रीमती सुनीता जैन, श्रीमती वैशाली जैन आदि अनेक वक्ताओं ने इस चातुर्मास को मुंबई और मानव समाज के लिए महामंगलकारी बताया, कार्यक्रम में श्रीमती बदामी बहन श्रीया, विमलजी कराड, मेवाड़ नवयुवक मण्डल बोरीवली, मेवाड़ बालिका मंडल बोरीवली, भुवाल माता मण्डल के अध्यक्ष बाबूलालजी छाजेड़, भंवरलाल छाजेड़ से प्राप्त सेवाओं के लिए, विशेष रूप से सम्मान किया गया, इस अवसर पर संत श्री ललितप्रभजी ने कहा कि मुंबई अब हमारे लिए पीहर की तरह रहेगा, यहाँ का बुलावा आने की इंतजारी नहीं करेंगे वरन् कोई न कोई बहाना बनाकर आ जाऐंगे, जैसे हनुमान जी की छाती में राम बसते थे अगर कोई हमारी छाती चीर के देखेगा तो सबसे पहले मुंबई दिखेगा, हमारे अब तक देश भर में ४२ चातुर्मास हो चुके हैं, पर जो श्रद्धा हमें मुंबई में मिली वैसी कहीं नहीं मिली, वास्तव में मुंबई का कोई शानी नहीं है, इस बार तो हम देरी से आए, पर अगली बार और जल्दी आने की कोशिश करेंगे। राष्ट्रसंत सूरत, बड़ोदा, अहमदाबाद, माउंट आबू, पाली होते हुए लगभग २० जनवरी को जोधपुर पहुँचेंगे।

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