श्री जाखोड़ा तीर्थ​

तीर्थाधिराज : श्री शान्तिनाथ भगवान, पद्मासनस्थ, प्रवालवर्ण, लगभग ३५ सेमी., श्वेताम्बर मंदिर।
तीर्थस्थल : राजस्थान प्रांत के पाली मारवाड़ जिले में जवाई बांध रेल्वे स्टेशन से १० किमी, फालना से १८ किमी दूर है, सिरोही-साण्डेराव सड़क मार्ग पर शिवगंज से ९ किमी तथा सुमेरपुर से ७ किमी दूर जाखोड़ा गांव के पहाड़ी की ओट में यह तीर्थ स्थित है।
प्राचीनता : ऐसा कहा जाता है कि इस प्रभु प्रतिमा की अंजनशलाका आचार्य श्री मानतुंग सूरीश्वरजी के सुहस्ते हुई थी, विक्रम की पन्द्रहवीं शताब्दी में श्री मेघ कवि द्वारा रचित तीर्थमाला में इस तीर्थ का वर्णन है, प्रतिमाजी के परिकर पर वि.सं. १५०४ का लेख उत्कीर्ण है, इसके अनुसार सं. १५०४ में श्री यक्षपुरी नगर में तपागच्छीय श्री सोमसुन्दरजी के शिष्य श्री जयचन्द्रसूरिजी ने मूलनायक श्री पार्श्वनाथ प्रभु की मूर्ति के परिकर की प्रतिष्ठा की, लेकिन इस परिकर के बारे में यह मान्यता है कि किसी अन्य मंदिर से श्री पार्श्वनाथ प्रभु का यह परिकर लाकर यहां लगाया गया है, प्रभु दर्शन मात्र से पांचों इन्द्रियों के विषय प्रतिकूल से अनुकूल बन जाये, मनोहर मुख मण्डल ने जैसे जन्म जन्म के दु:ख हर लिये हो, ऐसे शान्तिनाथ प्रभु की कलात्मक परिकर युक्‍त प्रतिमा, चन्द्र से शीतल, सूर्य से तेजस्वी अहर्निश उदयांकर है।
विशिष्टता : यह तीर्थ प्राचीन होने के साथ साथ चमत्कारिक क्षेत्र भी है, यहां पर पानी की बड़ी भारी विकट समस्या थी, पथरीली भूमि-में पानी मिलने की संभावना भी नहीं थी, एक दिन अधिष्ठायक देव ने कोलीवाड़ा के चान्दाजी को स्वप्न में मंदिर के निकट पानी होने का संकेत दिया, तदनुसार खुदवाने पर विपुल मात्रा में मीठा व स्वास्थ्यवर्धक पानी प्राप्त हुआ, जैन-जैनेतर और भी अनेक तरह के चमत्कारों का वर्णन करते हैं, यहां प्रतिवर्ष माघ शुक्ला पंचमी को ध्वजा तथा कार्तिक पूर्णिमा व चैत्री पूर्णिमा को मेले का आयोजन होता है तब हजारों यात्री दर्शनार्थ आते हैं।
अन्य मन्दिर : वर्तमान में इसके अतिरिक्त एक श्री आदिनाथ प्रभु का मंदिर भी है।
कला व सौन्दर्य : प्रभु प्रतिमा की कला आकर्षक एवं दर्शनीय है।
सुविधाएं : तीर्थ पर ठहरने के लिये प्राचीन शैली की विशाल धर्मशाला है तथा भोजनशाला की सुविधा उपलब्ध है।ती

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