जैन एकता है जरुरी (Jain Ekta )(Jain unity is essential in Hindi)
जैन एकता है जरुरी (Jain Ekta )(Jain unity is essential in Hindi)
जैन एकता है जरुरी
जैन एकता का प्रश्न खड़ा है सबके सम्मुख हल अभी तक क्यों कोई खोज नहीं पाया है अनेकता में एकता की बात हम कैसे कहें अलग-अलग पंथ का ध्वज हमने फहराया है गुरुओं ने अपने-अपने कई पंथ बना लिए महावीर के मूल पथ को सभी ने बिसराया है ‘संवत्सरी’ को भी हम अलग-अलग मनाते सभी एकता का भाव कहां मन में समाया है संगठन में ही शक्ति है ये क्यों नहीं विश्वास हमें भविष्य के अंधेरे का होता क्यों नहीं आभास हमें टूट टूट कर बिखर जाएंगे वे दिन अब दूर नहीं खतरे की घंटियों का क्यों नहीं अहसास हमें एक ही है ध्वज हमारा, सबका मंत्र एक ‘णमोकार’ है एक ही प्रतीक चिन्ह है, महावीर हम सब के आधार हैं अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकांत सभी मूल सिद्धांत हमारे हैं रोटी-बेटी का व्यवहार आपस में हम सब करते सारे हैं वक्त आ गया है फिर एकता का बिगुल हमें बजाना है मनमुटाव छोड़ हम सब को एक ध्वज के नीचे आना है महावीर को अलग-अलग रूपों में तो हमने माना खूब अब हमें एक होकर महावीर को दिल से अपनाना है परचम एकता का नहीं लहराया तो बुद्धिमान समाज बुद्धू कहलाएगा संगठित गर नहीं हुए तो वजूद ही हमारा संकट में पड़ जाएगा देर हुई तो भले हुई अब और नहीं देर करो एक हो मन तो हमारे रोम-रोम में शक्ति का संचार होगा पुरी दुनिया में अलग ही जैन समाज का परचम लहरायेगा – युगराज जैऩ मुंबई
जैन एकता है जरुरी (Jai nEkta )(Jain unity is essential in Hindi)
राजस्थानियों के विचारों के साथ समस्त राजस्थान समाज को एकजुट करने वाली एकमात्र पत्रिका मेरा राजस्थान लगातार १८ वर्षों से कार्यरत
समस्त जैन समाज को एकजुट करने वाली एकमात्र पत्रिका जिनागम लगातार 25 वर्षों से कार्यरत
भारतीय सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक भावना को प्रेरित करती पत्रिका मैं भारत हूँ लगातार १२ वर्षों से कार्यरत
More
अप्रैल 2024
बिजय कुमार जैन वरिष्ठ पत्रकार व सम्पादक
हिंदी सेवी-पर्यावरण प्रेमी
भारत को भारत कहा जाए
का आव्हान करने वाला एक भारतीय
जैन एकता के साथ महावीर जन्मकल्याणक पर्व सामूहिक रूप से मनाएं
हम सभी जैन पंथावलंबियों के आराध्य तीर्थंकर महावीर का जन्मकल्याणक
हम सभी २५५३ वां वर्ष के रूप में मना रहे हैं।
विश्व में अहिंसा का संदेश फैलाने हेतु हम सभी विभिन्न पंथों को मानने वाले मिलकर ‘महावीर जन्मकल्याणक’ अपने-अपने क्षेत्र में मनाएं तो विश्व को हम बता सकते हैं कि हम सभी जैन हैं, एक हैं, २४ तीर्थंकरों के अनुयाई हैं, ‘णमोकार मंत्र’ हमारा एक है, ‘जियो और जीने दो’ संदेश फैलाने वाले हम सभी एक हैं, जैन हैं, हम जैनों का संदेश ‘अहिंसा परमो धर्म:’ व ‘परस्परोपग्रहो जीवानाम’ बताएं, तो जानते हैं क्या होगा, हमारा परिचय अन्य भारतीय धर्मावलंबियों के बीच सकारात्मक जाएगा, सभी के बीच एक संदेश जाएगा कि अहिंसा प्रेमी जिन धर्मावलंबी ‘एक’ हैं और ‘जैन’ हैं।
श्रावक-श्राविकाओं से यह भी निवेदन करता हूं कि अपने-अपने क्षेत्र में विराज रहे हम सभी के चलते-फिरते तीर्थंकर ‘साधु-साध्वियों’ के चरणों में विनंती करें कि हमें ‘एकता’ का आशीर्वाद प्रदान करें, क्योंकि साधु-संतों का मार्गदर्शन हमें प्राप्त हुआ या होता रहा तो विश्वास दिलाता हूं कि हमारा ‘जैन एकता’ का आह्वान सफल होकर रहेगा और हम अलग-अलग नहीं ‘एक’ होकर रहेंगे, चाहे हम किसी भी पंथ के मानने वाले हों।
‘महावीर जन्मकल्याणक’ पर्व पर हमें यह सब बताना है, इसलिए सभी से निवेदन करता हूं कि जाएं जैन साधु-संतों के चरणों में और उनसे निवेदन करें कि हमें ‘जैन एकता’ का आशीर्वाद प्रदान करें।
‘भारत को केवल ‘भारत’ ही बोला जाए’ घ्र्Dघ्A नहीं, अभियान की सफलता के लिए ‘आपणों राजस्थान’ कार्यक्रम ३० मार्च ‘राजस्थान स्थापना दिवस’ भव्यातिभव्य रूप में मुंबई की फिल्म सिटी में मनाया गया, जिसमें विभिन्न जाति के राजस्थानी भाई-बहन अपने-अपने परिधानों को पहन कर राजस्थानी गीत, नृत्य, संगीत के साथ ‘जय-जय राजस्थान’ का नारा लगाया और सभी ने कहा कि यह है ‘आपणों राजस्थान’ क्योंकि भारत में है राजस्थान!
मुंबई में एक और कार्यक्रम १ मई ‘महाराष्ट्र दिवस’ के उपलक्ष मुंबई यूनिवर्सिटी में झ्rग्हम्ग्ज्aत्’े ण्दहम्त्aन का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें मुंबई के करीब २०० कॉलेज के प्राचार्य आपस में चर्चा-परिचर्चा करेंगे कि कैसे अपने देश का नाम एक ही रहे केवल भारत?
फिर मिलूंगा अगले अंक में कुछ विशेष नया लेकर…
जय जिनेंद्र!