तेरापंथ की अनमोल बातें
तेरापंथ की अनमोल बातें :
- तेरापंथ की स्थापना हुई- आषाढ़ शुक्ला पूर्णिमा, संवत् १८१७, केलवा (राजस्थान)।
- तेरापंथ के प्रथम साधु- मुनि थिरपालजी, जिन्होंने संघ की नींव को स्थिर बनाया।
- तेरापंथ की प्रथम साध्वी- साध्वी कुशालांजी।
- तेरापंथ की स्थापना के बाद संघ में दीक्षित होने का सौभाग्य मिला साध्वीत्रय को- साध्वी कुशालां जी, मट्टू जी एवं अजबू जी।
- तेरापंथ का प्रथम मर्यादा पत्र (संविधान) लिखा गया- मृगसर कृष्णा ७, संवत् १८३२।
- आखिरी मर्यादा पत्र (संविधान) लिखा गया- आचार्य भिक्षु द्वारा माघ शुक्ला ७, संवत् १८५३।
- हाजरी वाचन का प्रारम्भ हुआ – श्रीमज्जयाचार्य द्वारा पौष कृष्णा संवत् १९१० (रावलियां)।
- सेवा केन्द्र की स्थापना – श्रीमज्जयाचार्य द्वारा संवत्ा् १९१४ (लाडनूं)।
- साध्वी प्रमुखा पद का प्रारम्भ – श्रीrमज्जयाचार्य द्वारा संवत् १९१०।
- आचार्य भारीमलजी ने मुनि वर्धमानजी को अर्धरात्रि में दीक्षित किया।
- साध्वी नंदू जी (सं. १८७३), मुनिश्री जीवोजी (सं.१८८०), मुनिश्री हरखचंदजी (सं.१९०२) एवं। मुनिश्री अभयराजजी (सं.१९१७) की दीक्षा गहने-कपड़े सहित गृहस्थ वेश में हुई।
- आचार्य भिक्षु ने ३८ हजार पद परिणाम साहित्य लिखे।
- जयाचार्य ने साढ़े तीन लाख पद परिणाम साहित्य लिखे।