समीक्षा-नवंबर-२०१८

जय जिनेन्द्र ! जिनागम

आर.पी. जैन

व्यवसायी व समाजसेवी
फिरोजाबाद निवासी
भ्रमणध्वनि: ९८३७०३०६९८

दीपावली का पावन पर्व पूरे भारत वर्ष ही नहीं अपितु पूरे विश्व में बड़े उत्साह व उमंग से मनाया जाता है। जैन धर्म में भी यह त्यौहार भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसी दिन भगवान महावीर को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी, अत: इस दिवस को जैन समाज निर्वाणोत्सव के रूप में बड़े ही हर्षोल्लास से मनाता है, इस दिन जगह-जगह सांस्कृतिक व सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है, जिसमें जैन समाज के बच्चे से लेकर बड़े-बुढ़े तक सहभागी होते हैं, यह पर्व मात्र दीपक से रोशनी का नहीं अपितु इस अवसर पर अपने अंतर्मन की अज्ञानता के अंधकार को ज्ञान व सच्चाई की रोशनी से प्रकाशित करना है, असत्य पर सत्य , हिंसा पर अहिंसा की विजय का पर्व है ‘दीपावली’

मेरा जन्म १९५५ में मेरे मूल निवास स्थान फिरोजाबाद में हुआ, यहीं मेरी सम्पूर्ण शिक्षा हुई, तत्पश्चात यह ही मेरी कर्मभूमि भी बनी, वर्तमान में यहां हमारा काँच के ग्लास व बोतल निर्माण का कारोबार है। सामाजिक व धार्मिक कार्यों में मेरी गहन रुचि है इसलिए यहां स्थित कई सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं में सक्रिय भूमिका निभाता हूँ, यहां स्थित शिक्षण संस्थाओं में प्रबंधक के रुप में कार्यरत हूँ, साथ ही अन्य संस्थाओं से भी जुड़ा हूँ। ‘जैन एकता’ जैन समाज के लिए अति आवश्यक है क्योंकि एकता में बड़ी शक्ति होती है, यदि सभी जैन पंथ एकमंच पर उपस्थित हों तो इससे उपयुक्त अन्य कार्इे बात हो ही नहीं सकती। ‘जिनागम’ के माध्यम से ‘जैन एकता’ का प्रयास सराहनीय है, पत्रिका में सभी जैन समाजों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है, पत्रिका में प्रकाशित लेख उत्तम व ज्ञानवर्धक होते हैं। ‘हिंदी’ हमारी व हमारे राष्ट्र ही पहचान है, भारत में रहने वाला प्रत्येक नागरिक ‘हिंदी’ बोलता व समझता है। ‘हिंदी’ हमें आपस में जोड़ती है, ‘हिंदी’ के माध्यम से ही बहुभाषिय इस भारत में सम्पर्क का उत्तम माध्यम है, ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक सम्मान अवश्य प्राप्त होना चाहिए।

मूलत: हमारा परिवार राजस्थान के बीकानेर स्थित गंगाशहर का निवासी है। १९१४ से मेरा परिवार असम का प्रवासी बना। मेरा जन्म १९५२ में गंगाशहर में हुआ व सम्पूर्ण शिक्षा भी यहां से ग्रहण की। युनियन बैंक ऑफ इंडिया में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहते हुए वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर सेवा-निवृत्ति प्राप्त की, अब पूर्ण रूप से सामाजिक कार्यों में लगा रहता हूँ। तेरापंथ समाज में अध्यक्ष पद पर सेवारत हूँ व यहां स्थित अन्य कई संस्थाओं में सदस्य के रूप में सक्रिय भागीदारी निभाता हूँ।जैन धर्म में भगवान महावीर का निर्वाण दिवस बड़े उत्साह पूर्वक मनाया जाता है, इस दिन कई स्थानों पर प्रभात फेरी जुलूस निकाले जाते हैं, सांस्कृतिक व सामाजिक कार्यों का आयोजन किया जाता है। 

पृथ्वीराज छाजेड़ जैन

गंगाशहर निवासी-असम प्रवासी
सेवानिवृत्त व समाजसेवी
भ्रमणध्वनि: ९८६४१६३०२१

जिनालयों में निर्वाण लाडु चढ़ाए जाते हैं व इस दिन को बड़े उत्साह व उमंग के साथ सहपरिवार मनाते हैं, हमारे आराध्य भगवान महावीर के सिद्धांतों को जीवन में आत्मसात करने का प्रयास करते हैं, भगवान महावीर निर्वाण दिवस अर्थात् दीपावली का दिन अन्य धर्म व समाज में इस दिन की अलग-अलग मान्यताएं हैं, दीपावली के पावन पर्व को सभी धर्म के लोग अपने रिति-रिवाजों के अनुरूप मनाते हैं। ‘जैन एकता’ के संदर्भ में मेरा यही कहना है कि जैन समाज के सभी सम्प्रदायों का एकसाथ-एकमंच पर आकर ‘जैन एकता’ प्रयास करना होगा, अभी-अभी सम्मेद शिखर के मुद्दे पर सभी एक हो गए थे उसी तरह ‘जैन एकता’ को लेकर सभी को एकसाथ- एकमंच पर आना होगा, तभी ‘जैन एकता’ संभव है, तभी जैन धर्म की शक्ति बढ़ेगी। ‘जिनागम’ एक उत्तम पत्रिका है, पत्रिका के माध्यम से ‘जैन एकता’ का प्रयास सराहनीय है, पत्रिका में प्रकाशित मुद्दे व लेख रोचक होते हैं। मेरी शिक्षा भले ही अंग्रेजी माध्यम से हुई है पर पूर्णत: हिंदी का समर्थन करता हूँ। ‘हिंदी’ आम जन की भाषा है, इससे देश का प्रत्येक व्यक्ति जुड़ा हुआ है, अत: ‘हिंदी’ का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार होना चाहिए। ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए बिजय कुमार जैन जी के अभियान का पूर्ण समर्थन करता हूँ, ‘हिंदी’ को अवश्य राष्ट्रभाषा का सम्मान प्राप्त होना ही चाहिए।

प्रेम देढिया जैन

व्यवसायी व समाजसेवी,
कच्छ निवासी-मुंबई प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९८२००२०९४७

७० वर्षीय प्रेम देढिया जी मुंबई में एक सफल व्यवसायी व समाजसेवी हैं, आप ५५ वर्षों से मुंबई के प्रवासी हैं, आप मुलत: गुजरात के कच्छ स्थित भोजाय के निवासी हैं, आपका जन्म व सम्पूर्ण नामक शिक्षा यहां सम्पन्न हुई, तत्पश्चात व्यवसाय के उद्देश्य से आपका मुंबई आना हुआ, यहां आपका ‘निलम’ नामक स्टील के बर्तनों का कारोबार हैं, यहां स्थित कई सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। श्री भोजाय जैन जागृति मंडल के चेयरमेन व सांताकुरज वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ में उपाध्यक्ष पद पर सेवारत हैं, इस संघ के माध्यम से भोजनशालाएं चलाई जाती है। भोजाय स्थानकवासी जैन संघ में ट्रस्टी के रूप भी कार्यरत हैं, साथ ही अन्य कई सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं से जुड़े हैं।

जैन धर्म में ‘दीपावली’ का अपने आप में विशेष महत्व है। जैन धर्म के आराध्य भगवान महावीर का निर्वाण दिवस किसी त्यौहार से कम नहीं है, इस दिन को जैन समाज बड़े उत्साह पूर्वक मनाता है, त्यौहारों से हमारी युवा पिढ़ी भी जुड़े रहे इसके लिए प्रयासरत रहना चाहिए। निर्वाणोत्सव के दिन विभिन्न सांस्कृतिक व धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है व भगवान महावीर के बताए मार्गों का अनुसरण करते हैं। ‘जैन एकता’ स्थापित होने से सम्पूर्ण जैन समाज को इसका लाभ प्राप्त होगा, अत: ‘जैन एकता’ के लिए समाज के सभी वर्गों व सम्प्रदायों को इसके लिए प्रयास करना चाहिए तभी ‘जैन एकता’ संभव हो पाएगी। ‘जिनागम’ एक उच्च कोटि की पत्रिका है, पत्रिका में प्रकाशित लेख व विषय बड़े ज्ञानवर्धक होते हैं, पत्रिका की प्रिंटिंग की श्रेणी भी अति उत्तम है पत्रिका के माध्यम से सम्पादक बिजय कुमार जैन द्वारा किया जा रहा प्रयास सराहनीय है। बिजय कुमार जैन जी द्वारा ‘हिंदी बने राष्ट्रभाषा’ अभियान अवश्य सफल होगा जो कि आवश्यक भी है। ‘हिंदी’ से देश की पहचान है व इस पहचान को बनाए रखने के लिए ‘हिंदी’ को संवैधानिक रुप से राष्ट्रभाषा का सम्मान प्राप्त होना ही चाहिए।

राजस्थान के चुरू जिले स्थित सादुलपुर गांव मेरा जन्म स्थल व मेरी शिक्षा भी यहीं सम्पन्न हुई है, यहां से लगभग ४५ वर्ष पूर्व असम के गोदलपाडा में व्यवसाय के निमित्त आना हुआ, तभी से असम का प्रवासी हूँ, यहां हमारा हार्डवेअर का कारोबार है, यहां स्थित कई सामाजिक संस्थाओं की सेवाओं में सक्रिय भागीदारी निभाता हूँ। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा में अध्यक्ष पद द्वारा धार्मिक व सामाजिक कार्यों में सहभागी हूँ। भगवान महावीर निर्वाण दिवस सम्पूर्ण जैन समाज के लिए महत्वपूर्ण है, इसी दिन भगवान को बड़ी कठोर तपस्या व व्रत के बाद मोक्ष प्राप्त हुआ था, इस उपलक्ष्य में पूरा जैन समाज दीपावली मनाता है। घरों व मंदिरों में दीप जलाए जाते हैं, तप किए जाते हं। 

जीवनमल जैन धाडेवा

व्यवसायी व समाजसेवी
सादुलपुर निवासी-असम प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९४३५०२४२७४

‘जैन एकता’ के संदर्भ यही कहना है कि जैन धर्म में एकता अवश्य स्थापित होनी चाहिए, एकता के माध्यम से जैन धर्म के मूलभूत सिद्धांतों की रक्षा की जा सकती है, सम्प्रदायवाद व पंथवाद के कारण जैन धर्म का अस्तित्व खतरे में है, अत: इसे बचाने के लिए सभी सम्प्रदायों व पंथों के गुरू भगवंतों व श्रावकगण को एकसाथ-एकमंच पर आना होगा। ‘जिनागम’ उत्तम पत्रिका है, पत्रिका में प्रकाशित लेख-विषय बहुत रोचक व ज्ञानवर्धक होते हैं। पत्रिका के माध्यम से ‘जैन एकता’ का उत्तम प्रयास जो किया जा रहा है वह सराहनीय है। ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक सम्मान अवश्य मिलना चाहिए। ‘हिंदी’ हमारे सम्पर्क का प्रमुख साधन हैं। ‘हिंदी’ एक बहुत सरल व वैज्ञानिक भाषा है, जिसे कोई भी व्यक्ति आसानी से समझ व बोल सकता है।

पन्नालाल सिपानी जैन

व्यवसायी व समाजसेवी
उदयरामसर निवासी, चेन्नई प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९८४१०७४११०

पन्नालाल सिपानी जैन ने भगवान महावीर निर्वाणोत्सव पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहते हैं कि संपूर्ण भारत वर्ष दीपोत्सव अत्यंत हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाता है। जैनियों के लिए यह पर्व विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसी दिन भगवान महावीर को निर्वाण प्राप्त हुआ था उन्हें मोक्ष की प्राप्ती हुई थी, अत: जैन धर्मावलम्बी त्यौहार को बड़े उत्साह पूर्वक मनाते हैं इस दिन महावीर के संदेशों को जन-जन तक पहुँचाएं व उनके बताए मार्गों पर चलने का सुफल प्रयास करें। मूलत: आपका परिवार राजस्थान के बीकानेर से १० किमी दूर स्थित उदयरासर गांव का निवासी है, आपका जन्म शिक्षा यहीं सम्पन्न हुई, यहां से लगभग ५० वर्ष पूर्व आप कोलकाता आकर बस गए। कोलकाता में आपका बिल्डिंग मटेरियल निर्यात का कारोबार है। आप सामाजिक व धर्मिक संस्थाओं से जुड़े हैं, यहां स्थित साधुमार्गी जैन संघ में सदस्य के रूप में जुड़े हैं।

‘जिनागम’ पत्रिका के माध्यम से सम्पादक बिजय कुमार जी ‘जैन एकता’ के लिए काफी वर्षो से प्रयासरत हैं, जैन धर्म के सभी साधु-संतों व श्रावकगण को इस ओर सफल प्रयास करना होगा तभी ‘जैन एकता’ संभव होगी, जैन एकता स्थापित हो तो इससे अच्छी और कोई बात नहीं हो सकती, एकता में सबसे बड़ी ताकत है। ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा बनाने के संदर्भ में आपका कहना है कि ‘हिंदी’ एकमात्र राष्ट्रभाषा कहलाने को अधिकारिणी है, ‘हिंदी’ हम सभी को आपस में जोड़ती है। भारत बहुभाषीय देश है, सभी भाषाओं को आपस में जोड़ने का कार्य ‘हिंदी’ करती है, भारत के सभी नागरिक ‘हिंदी’ बोलते व समझते हैं, अत: ‘हिंदा’ को राष्ट्रभाषा संवैधानिक सम्मान अवश्य मिलना चाहिए।

कोलकाता प्रवासी महेन्द्र गोलछा (सुपुत्र स्वं. संतोषचंद गोलछा ) जैन का जन्म व सम्पूर्ण शिक्षा कोलकाता में ही सम्पन्न हुई है, आपके पिताजी सर्वप्रथम कोलकाता व्यवसाय के निमित्त आए और यहीं के होकर रह गए, उन्होंने यहां अपना स्वयं का कारोबार स्थापित किया, आपका परिवार मूलत: राजस्थान के बीकानेर का निवासी है। कोलकाता में आपका छतरी निर्माण का कारोबार है, आपको धर्म-कर्म में बड़ी आस्था है, व्यवसाय से समय निकाल कर आप धार्मिक व सामाजिक कार्यों में भी सहभागी होते हैं, अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संघ, हावड़ा में सदस्य के रूप में कार्यरत हैं, आप स्थानकवासी जैन सभा से भी जुड़े हैं।निर्वाणोत्सव के संदर्भ में आपका कहना है कि भारत में कई त्यौहार मनाए जाते हैं, 

महेन्द्र कुमार गोलछा

व्यवसायी व समाजसेवी
बीकानेर निवासी – कोलकाता प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९८३००९४२४४

जिन्हें मनाने पर आस्था व आध्यात्मिकता की ऊर्जा पैदा होती है, दीपावली त्यौहार मनुष्यों को खुशी, आस्था व भावनाओं से भर देता है, लोग दीए जलाकर अंधकार को दूर करते हैं। जैन धर्म में भी यह त्यौहार विशेष महत्व रखता है इसी दिन जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर ने पावापुरी में अपना शरीर त्याग कर मोक्ष की प्राप्ती की थी, जिस दिन को जैन समाज दीपावली के रूप मनाता है, दीपावली का त्यौहार हमें संदेश देता है कि जिस तरह दीप जलाकर हम अंधकार को दूर करते हैं उसी तरह अपने अंदर की सूप्त चेतना को ज्ञान की चेतना से प्रकाशित करें। ‘जिनागम’ एक उत्तम पत्रिका है, पत्रिका की प्रिंटींग काफी सुंदर व मनमोहक होती है, इसमें प्रकाशित लेख व समाचार ज्ञानवर्धक होते हैं, यह पत्रिका चारों सम्प्रदायों को लेकर चलती है जो जैन धर्म सबसे बड़ी विशेषता है। सम्पादक बिजय कुमार जैन द्वारा ‘हिंदी बने राष्ट्रभाषा’ अभियान चलाया जा रहा है, जो देश हित में आवश्यक है जिसके लिए बिजय जी को ढेरों शुभकामनाएं, राष्ट्रहित अभियान में अवश्य सफलता प्राप्त करेंगे।

पवन जैन

व्यवसायी व समाजसेवी,
एलम निवासी-दिल्ली प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९८११०४१४९०

१९७६ से हम दिल्ली के प्रवासी है, मूलत: हम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर जिले में स्थित एलम के मूल निवासी है, मेरा जन्म व प्रारंभिक शिक्षा एलम में ही सम्पन्न हुई, तत्पश्चात उच्च शिक्षा हेतु दिल्ली आना हुआ, तभी से सहपरिवार दिल्ली का प्रवासी हूँ, यहां हमारे ‘जे.जे. पेपर’ नामक प्रिंटिंग प्रेस का व्यवसाय है। जो पुत्र वैभव जैन देखता है। दिल्ली के कृष्णा नगर स्थित श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा में ११ वर्ष महामंत्री के पद पर कार्यरत रहा, जमनापार पूर्वी दिल्ली में मंत्री, तत्पश्चात अध्यक्ष पद पर रहा, जैन महासंघ में महामंत्री, जैन कन्फैंस जीवदया में महामंत्री रहा, वर्तमान में इस संस्था में मार्गदर्शक सदस्य के रूप में कार्यरत हॅू, अरिहंत मार्गी जैन महासंघ में राष्ट्रीय कोपाध्यक्ष के रुप में सेवारत हूँ, ‘अरिहंत दूत’ में सम्पादक के रूप में कार्यरत हूँ।

वर्तमान में धर्म की परभावना अधिक बढ़ गयी है, श्रावकगण में अपने धर्म के प्रति अधिक जागरूकता आ गयी है, बच्चों में पर्यावरण के प्रति निष्ठा बढ़ती जा रही है व पटाखों से दूर रहने का प्रयास कर रहे हैं। अभय और अमन का वातावरण निर्माण हो इसके लिए हमें प्रयास करना होगा तभी निर्वाणोत्सव का वास्तविक महत्व सार्थक होगा। निर्वाणोत्सव जैन धर्म में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन भगवान महावीर का निर्वाणोत्सव तभी सफल माना जाएगा जब हम उनके बताए सिद्धांतों पर चलें। ‘जिनागम’ पत्रिका की सबसे बड़ी विशेषता है यह सभी सम्प्रदाय को साथ लेकर चलती है, इसमें सभी सम्प्रदायों की जानकारी व समाचार प्राप्त होते हैं, यह आवश्यक भी है कि सभी सम्प्रदाय एकसाथ-एकमंच आयें, जिससे जैन समाज की शक्ति बढ़ेगी। ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का सम्मान अवश्य प्राप्त होना चाहिए, हिंदी हमारी पहचान है अत: हमारी सरकार को भी इस ओर प्रयास करना चाहिए, बिजय कुमार जी जैन द्वारा ‘हिंदी’ बने राष्ट्रभाषा अभियान अवश्य सफल हो, इसकी शुभकामनाएं देता हूँ।

मध्यप्रदेश सागर के मूल निवासी आनंद जैन एक व्यापारी के साथ-साथ सक्रिय समाजसेवी भी हैं, आपका जन्म व सम्पूर्ण शिक्षा सागर में ही सम्पन्न हुई है, आपका यहां आयरन व स्टिल का कारोबार है, आप कई सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं में ट्रस्टी के रूप में सेवारत हैं। दयोदय गौशाला व शांती धारा से जुड़े हुए हैं। गुणायन में ट्रस्टी के रूप में कार्यरत है। भगवान महावीर निर्वाणोत्सव पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहते हैं कि महावीर के संदेशों को दुनिया भर में पैâलाने के उद्देश से ही जैन समाज उनके निर्वाण अर्थात मोक्ष प्राप्ति के दिवस को उत्सव के रूप में मनाते हैैं, भगवान महावीर का निर्वाणोत्सव मनाते हुए उन्हें लड्डूओं का नैवैद्य अर्पित किया जाता है, जिसे निर्वाण लाडू कहते हैं, महावीर स्वामी के संदेश, सिद्धांतों और विचारों पर चलकर ही हम वर्तमान में भागदौड़ भरे जीवन में शांति ला सकते हैं। शांति और प्रेम के साथ महावीर निर्वाणोत्सव व दिवाली पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाएं।

आनंद कुमार जैन

सागर, मध्यप्रदेश निवासी
भ्रमणध्वनि: ९५७५८३३९९९

जैन समाज में एकता स्थापित हो व सभी सम्प्रदाय एकसाथ-एकमंच पर आए यह अति आवश्यक है, एकता होने से जैन धर्म का महत्व बढ़ेगा। ‘जिनागम’ एक उत्तम पत्रिका है, जो जैन समाज के सभी सम्प्रदायों को साथ लेकर चलती है, इसमें प्रकाशित लेख व जानकारीयां काफी रोचक होती है। ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का दर्जा अवश्य प्राप्त होना चाहिए, आचार्य विद्यासागर जी ने भी ‘इंडिया नहीं भारत, हिंदी अपनाओ’ पर जोर दिया है, हिंदी से भारत का प्रत्येक नागरिक जुड़ा है, अत: हिंदी को संवैधानिक रूप से राष्ट्रभाषा का सम्मान अवश्य मिलना चाहिए ‘हिंदा’ के माध्यम से देश की वास्तविक प्रगति संभव है।

महेंद्र बोथरा जैन

व्यवसायी व समाजसेवी
तारानगर (चुरू) निवासी-राजामुंदरी प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९८४८०४१०२५

राजस्थान के चुरू जिले में स्थित तारानगर मेरा मूल निवास स्थान है, मेरा जन्म व प्रारंभिक शिक्षा तारानगर में ही सम्पन्न हुई, तत्पश्चात वाणिज्य संकाय से स्नातक की शिक्षा ‘पिलानी’ से ग्रहण की। १९८३ से राजामुंदरी आंध्रप्रदेश को प्रवासी हूँ, यहां चायपत्ती के ट्रेडिंग का कारोबार है, व्यवसाय के साथ सामाजिक संस्थाआें से भी जुड़ा हूँ, लायन्स क्लब ऑफ गोदावरी में निदेशक के पद पर सेवारत हूँ। राजामुंदरी जैन श्वेताम्बर तेरापंथी जैन सभा में अध्यक्ष पद पर कार्यरत हूँ इसके अलावा अन्य कई सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं से जुड़ा हूँ। भगवान महावीर ने कार्तिक अमावस्या के दिन ही अपना देह त्याग कर मोक्ष की प्राप्ती की थी, इस निर्वाण दिवस को जैन समाज निर्वाण उत्सव के रूप में मनाता हैं,

इस अवसर पर शहर के सभी जैन मंदिरों में विशेष रूप से पूजा- अर्चना के साथ ही महावीर भगवान को निर्वाण लाडू चढ़ाए जाते हैं, इसी अवसर पर गौतम स्वामी को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुयी थी, भगवान महावीर के संदेशों को दुनिया आज भी अपना रही है, इस अवसर पर हमारे क्षेत्र में अनाथालयों में फल-मिठाईयाँ आदि बांटी जाती है, हम जैनों को चाहिए कि भगवान महावीर के संदेशों को अपने जीवन में भी उतारें तथा उनके संदेशों को जन-जन तक पहूंचाने का कार्य भी करें। ‘जिनागम’ उत्तम पत्रिका है, पत्रिका के माध्यम से ‘जैन एकता’ का प्रयास सराहनीय है, ‘जैन एकता’ आज जैन समाज की सबसे बड़ी आवश्यकता है, एकता के माध्यम से ही जैन धर्म के अस्तित्व को सुरक्षित रखा जा सकता है। ‘हिंदी’ हम सभी की भाषा है यह हमारे सम्पर्क का मुख्य माध्यम है अत: ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का सवैंधानिक अधिकार अवश्य प्राप्त होना चाहिए।

भगवान महावीर निर्वाणोत्सव का पर्व जैन धर्म में विशेष महत्व है, इसी दिन भगवान महावीर ने अपने शरीर का त्याग कर अपनी आत्मा का कल्याण कर सिद्ध शीला पर स्थान प्राप्त किया। भगवान महावीर द्वारा समाज में सत्य अहिंसा जैसे सिद्धांत प्रदान किए गए जो जैन धर्म का मूल मंत्र है, मूलत: भगवान महावीर की ‘अहिंसा’ मात्र शब्द न होकर अपने आप में पूर्ण जगत को समा लेता है, जिसे अिंहसा बम भी कहा जा सकता है, जब कि परमाणु बम, अणुबम आदि मात्र विध्वंसक तबाही लाते हैं, वहां अहिंसा बम शांति-भाईचारा व सद्भावना स्थापित करता है, अहिंसा शब्द अपने आप में सार्थक है,जिसका पालन जैन धर्म के लोगों द्वारा अनुसरण कर किया जाता है। अहिंसा से बड़ा कोई शस्त्र नहीं है, यह कहना है हसमुख गांधी जैन का। सामाजिक क्षेत्र में उच्च मुकाम प्राप्त करने वाले हसमुख जैन का जन्म इंदौर में हुआ, 

हसमुख गांधी जैन

राष्ट्रीय अध्यक्ष
दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप पेâडरेशन
इंदौर निवासी,
भ्रमणध्वनि: ९३०२१०३५१३

आपकी सम्पूर्ण शिक्षा इंदौर में ही सम्पन्न हुई, इंदौर में आप एक सफल उद्योगपति के रूप में कार्यरत हैं, यहां आपका कोल्ड स्टोरेज फर्टिलाईजर व अन्य कारोबार है, कारोबार के साथ-साथ आपने सामाजिक सेवाओं में भी उच्च मुकाम प्राप्त किया है, वर्तमान में आप दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप फडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर सेवारत हैं, इस संस्था की पूरे भारत में ३५० शाखाए हैं, लगभग एक लाख सदस्य हैं। २०१८ में श्रवणबेलगोला में हुए महामस्ताभिषेक के समय युवा सम्मेलन में संयोजक के रूप में कार्यरत रहे, इस बार ५००० युवाओं ने पूरे भारत से आकर वल्र्ड रिकार्ड बनाया, ‘दिगम्बर जैन तीर्थ’ के सम्पादक के रूप में कार्यरत हं जो २००४ से प्रकाशित की जा रही है अब तक इसकी ७८००० प्रतियां प्रकाशित की जा चुकी हैं। ‘जैन एकता’ के संदर्भ में आपका कहना है कि वर्तमान में जो परिस्थितिया निर्माण हो रही है उसमें ‘जैन एकता’ होना बहुत जरूरी हो गया है, पूरे विश्व की आबादी में जैनों की संख्या बहुत ही कम है अगर उसमें भी हम विभिन्न सम्प्रदायों में विभक्त रहेंगे तो जैन धर्म का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा, जैन धर्म का मूल सिद्धांत ‘जीयो और जीने दो’ तो क्यों नहीं हम इस सिद्धांत का पालन करें तथा सभी को साथ लेकर चलें। आज विश्व के प्रत्येक कोने में जैन समाज के लोगों ने अपना वर्चस्व स्थापित किया है जिस पर हमें खुश होना चाहिए। ‘हिंदी’ एकमात्र भाषा है जो पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में बांधती है, यह आम बोल चाल की भाषा है, चूंकि भारत बहुभाषिय देश है और हर क्षेत्रिय भाषा का अपना विशेष महत्व है। ‘हिंदी’ वह भाषा है जो पूरे भारत में एक समान रूप से बोली-समझी जाती है, आज विज्ञापन में, फिल्मों में समाचार पत्र के माध्यम से ‘हिंदी’ का प्रचार प्रसार हो रहा है। विश्व के प्रत्येक राष्ट्र की अपनी राष्ट्रभाषा है तो भारत की राष्ट्रभाषा क्यों नहीं? इसके लिए सरकार को इस ओर प्रयास करना होगा, तभी ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक सम्मान प्राप्त हो सकेगा।