आत्मशुद्धि का पर्व – पर्वाधिराज पर्युषण पर्व
लहरों को मझधार नहीं, किनारा चाहिए
हमें चांद सुरज नहीं, सितारा चाहिए
मोह-माया में भटकी, इस आत्मा को
प्रभु महावीर के संदेशों का सहारा चाहिए
जैनों के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर का नाम लेते ही व्यक्ति नहीं, सत्य का आभास होने लगता है। सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकांतवाद, ब्रह्मचर्य, अभय, क्षमा के प्रतीक भगवान महावीर के उपदेशों, सिद्धांतों के प्रसार-प्रचार की आज अत्यंत आवश्यकता है।
आज समस्त विश्व हिंसा की कगार पर खड़ा है, ऐसे में जरूरत है ‘विश्व मैत्री दिवस’ ‘क्षमा-याचना’ दिवस मनाने की। जैनों का महत्वपूर्ण महापर्व पर्वाधिराज ‘पर्युषण’ एवम् क्षमापर्व ‘संवत्सरी दिवस’ फिर एक बार दुनिया को क्षमा का, प्रेम का अमर संदेश देने के लिये आया है।……
-मंजू लोढ़ा जैन, मुम्बई