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गच्छाधिपति ज्योतिषसम्राट ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. का संक्षिप्त परिचय

जन्म : ज्येष्ठ सुदी ७, संवत् २०१४, दिनांक ४ जून १९५७
मूल निवास : सियाणा (राजस्थान)
गृहस्थ नाम : मोहनकुमार
गौत्र : थुरगोता काश्यप प्राग्वाट (पोरवाल)      
पिता : शा. श्रीमान् मगराजजी
माता : श्रीमती रत्नावती (संयम में – तपस्वीरत्ना पूज्य सुसाध्वी श्री पीयूषलताश्रीजी म.सा.)
भाई : नथमल (संयम में – प.पू. आचार्यदेव श्री रवीन्द्रसूरीश्वरजी म.सा.)
बहन : जीवी बहन।
दीक्षा : द्वितीय ज्येष्ठ सुदी १०, दिनांक २३ जून १९८० श्री मोहनखेड़ा तीर्थ (म.प्र.) दीक्षा गुरु प.पू. श्री मोहनखेड़ा तीर्थोद्धारक कविरत्न आचार्यप्रवर श्रीमद्विजय विद्याचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा.‘पथिक’
शिष्य सम्पदा: मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा.,
                         मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म.सा.
                         मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा.,
                         मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा.
                         मुनिराज श्री जनकचन्द्र विजय जी म.सा.
अध्ययन व्याकरण, न्याय, आगम प्रवचन, वास्तु, ज्योतिष, मंत्र शास्त्र, उपासना, आयुर्वेद, शिल्प, ध्यान, योगसाधना, अध्यात्म चिंतन आदि।

  • लेखन कार्य : ४० से अधिक पुस्तकें :- अध्यात्म का समाधान (तत्वज्ञान), धर्मपुत्र (दादा गुरुदेव का जीवन दर्शन), पुण्य-पुरुष, सफलता के सूत्र (प्रवचन), सुनयना, बोलती शिलाएं, कहानी किस्मत की, देवताओं के देश में, चुभन (उपन्यास), सोचकर जीओ, अध्यात्म नीति वचन (निबंध) आदि मुख्य रचनाऐं हैं। प्रभावी श्री राजेन्द्र सूरि गुरुपद महापूजन भी आपकी रचना है। अध्यात्मिक, मौलिक चिन्तन एवं जिनभक्ति, मंदिर विधि क्रम की पुस्तकें आदि। इसके अतिरिक्त प्रतिवर्ष श्री गुरुसप्तमी पंचांग भी प्रकाशित होता है।
  • प्रिय क्षेत्र: मानव सेवा, जीवदया, शिक्षा का प्रचार- प्रसार, ज्योतिष व मंत्र विज्ञान।
  • उपलब्धियाँ : श्री मोहनखेड़ा तीर्थ में नेत्र, विकलांगता, नशा मुक्ति, कटे हुए (कुरूप) होठों, कुष्ठ, मंदबुद्धि निवारण आदि चिकित्सा शिविरों का आयोजन आपके निर्देशन एवं निश्रा में पूर्ण किये गये। श्री मोहनखेड़ा तीर्थ विकास के लिये पूज्य गुरुवर आचार्य प्रवर श्रीमद्विजय विद्याचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के जो सपने, मुख्यत: हॉस्पिटल, गौशाला, गुरुकुल आदि के थे, वे गुरुकृपा से पूर्ण कर सच्चे गुरु के सच्चे शिष्य बनने का गौरव हासिल किया, साथ ही गुरु की दिव्यकृपा तथ आशीर्वाद से श्री मोहनखेड़ा तीर्थ को विकास पथ पर आगे बढ़ाया जिसमें मुख्य –
  • राजगढ़-मोहनखेड़ा नाके पर श्री शत्रुंजय तीर्थ अनुरूप जय तलेटी निर्माण की प्रेरणा।
  • श्री महावीर पवित्र सरोवर (तालाब) जिसकी लागत ५ करोड़ से ज्यादा है, आपकी प्रेरणा/प्रयास से निर्मित हुआ।
  • दादागुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शताब्दी महोत्सव के मद्देनजर मुख्य मंदिर को स्वर्णमय बनाने की परिकल्पना तथा प्रेरणा, शताब्दी महोत्सव के लिए विशाल इतिहास की पुन: रचना करने वाला, अलौकिक अनुपम सौन्दर्य से युक्त, भव्य कलाकृति से मंडित जैन संस्कृति पार्क की रचना में आपका योगदान है। आप तीर्थ विकास एवं तीर्थ रक्षा के सूत्रधार के रूप में अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं।

धर्म प्रभावना : श्री शत्रुंजय तीर्थ (पालीताना) को होलीसिटी (पवित्र शहर) घोषित कराया १९९० में। सम्मेत शिखरजी तीर्थ रक्षा के लिए १५ आचार्यों के सम्मेलन का विशाल आयोजन कर अभूतपूर्व योगदान दिया पालीताणा १९९४। गुरु राजेन्द्र विद्याधाम तीर्थ, सरोड़ (पालीताणा) में ३००० पशुओं का एवं मोहनखेड़ा में विशाल कैंप, श्री जय तलेटी पर कार सेवा कर तीर्थशुद्धि अभियान किया गया पालीताणा १९९४ – १९९५। भारत में जैन समाज को अल्पसंख्यक दर्जा दिलाने में विशेष योगदान प्रदान किया। पावा, नवसारी, सरोड़ (पालीताणा), इन्दौर, राउ, खारवांकला, राजगढ़- शान्तिनाथ मंदिर में गुरु मंदिर, ७२ जिनालय भीनमाल, पालिताणा, जावरा, रतलाम, बड़ावदा, नीमच, बागरा, झाब, सुमेरपुर प्रतिष्ठा आदि के भव्य आयोजन आपकी प्रेरणा- मार्गदर्शन तथा निश्रा में सम्पन्न हुए। इन्दौर, पूणे, झाबुआ, श्री मोहनखेड़ा तीर्थ, जावरा, खाचरौद आदि शहरों में भव्य महामांगलिक का आयोजन, जिसमें १०-१० हजार श्रद्धालुओं ने लाभ लिया और भी अनेक विशेषता गौशाला, पाठशाला, गुरुकुल, जिनमंदिर, गुरुमंदिर आदि के कार्य आपकी प्रेरणा व निश्रा में निरन्तर चल रहे हैं।

तीर्थ/संस्थाऐं : श्री गुरु राजेन्द्र विद्याधाम तीर्थ, सरोड़ (पालीताणी) विश्व का अद्वितीय श्री लक्ष्मीवल्लभ पाश्र्वनाथ ७२ जिनालय भीनमाल (राज.)गुरु राजेन्द्र मानव सेवा मन्दिर चिकित्सालय, राजगढ़, धार (म.प्र.) श्री मोहनखेड़ा गुरु धाम ह्रींकारगिरी तीर्थ, इन्दौर (म.प्र.) श्री राजेन्द्र विद्या शोध संस्थान, श्री मोहनखेड़ा तीर्थ (म.प्र.) श्री राजेन्द्रसूरि गुरु धाम तीर्थ, कात्रज पूणे (महाराष्ट्र) श्री राजेन्द्रसूरि दादावाड़ी, रानीबेन्नूर (कर्नाटक) श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ ऋषभधाम तीर्थ, इन्दौर (म.प्र.) श्री राजेन्द्रसूरि बैंक, राजगढ़, धार (म.प्र.) श्री गुरुराज विद्या बैंक, राजगढ़, धार (म.प्र.) ऋषभ चिन्तन (हिन्दी मासिक) पत्रिका। गुरु राजेन्द्र इन्टरनेशनल स्कूल, मोहनखेड़ा (म.प्र.)। युवाओं के अनेक संगठन जैसे भारतीय जैन श्वे. युवामंच भी आपकी ह प्रेरणा, मार्गदर्शन में कार्यरत है जो सामाजिक, धार्मिक कार्यों में अग्रणी रहकर सदैव तन-मन-धन से सेवा भक्ति में तत्पर रहते हैं।

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