श्री महाश्रमण
हम सभी तो जैन हैं ही, लेकिन हम सभी के दिलों में दिगम्बर-श्वेताम्बर की भावना जो बसी है, कुछ कट्टरता भी है वो बस आमनाय की है, भले ही हम चार भाइयों की आमनाय अलग-अलग हो, पूजा-पद्धति अलग-अलग रहे लेकिन वो अपने घरों में रहे, मंदिरों में रहे, पर शहर-नगर मे ना हो, वहाँ हम केवल-केवल जैन हों, भगवान महावीर के अनुयायी हों, क्योंकि भगवान महावीर मात्र ‘जैनों’ के नहीं वो तो विश्व के हैं, क्योंकि उनके द्वारा दिया गया अहिंसा शस्त्र ही फैले आतंकवाद से हमें बचा सकता है, हमें सुरक्षा दे सकता है।
कहते हैं युवा पिढ़ी जिस किसी अभियान को अपने कंधे पर पर ले लेती है वह सफल होता ही है, आज हमारे जैन समाज के युवानों ने अपने कंधे पर ‘जैन एकता’ अभियान उठा लिया है, सफलता निश्चित है बस हमें सकारात्मकता अपनाने की जरुरत है।
मंत्री मुनिश्री सुमेरमलजी ‘लाडनूं’ के स्वर्गालोक की खबर सुनकर मन आद्वेलित हो गया, भगवान महावीर उन्हें मोक्ष प्रदान करें, उनके चरणों में वंदन!
जय भारत!
जय भारतीय संस्कृति!
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