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शान्तिलाल जी सांड की सेवाओं से अभिभूत साधुमार्गी संघ द्वारा

शान्तिलाल जी सांड की सेवाओं से अभिभूत साधुमार्गी संघ द्वारा

‘मधुमय जीवन’ अभिनंदन ग्रंथ का हुआ विमोचन बैंगलुरू: शहर के प्रमुख उद्योगपति एवं समाजसेवी शान्तिलाल सांड का गत दिनों मध्यप्रदेश के रतलाम में आचार्य रामलालजी म.सा. के गतिमान चातुर्मास संयम साधना महोत्सव २०१८ के अंतर्गत आयोजित हुए अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संघ के ५६ वें राष्ट्रीय अधिवेशन में सम्मान किया गया। प्रत्येक संघ समाज-संगठन-धर्म-सम्प्रदाय-पंथ के कार्यक्रमों एवं सेवा कार्यों में एक सशक्त हस्ताक्षर के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले झूंझारू व्यक्तित्व के धनी पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शांतिलाल सांड की सेवाओं से अभिभूत होकर अखिल भारतीय साधुमार्गी संघ द्वारा उनके जीवन यात्रा को जीवंत रखने के उद्देश्य से एक...
भ. ऋषभनाथ की तरह अपने आचरण को भी ऊंचा बनायें-राष्ट्रपति

भ. ऋषभनाथ की तरह अपने आचरण को भी ऊंचा बनायें-राष्ट्रपति

ज्ञान, वैराग्य, करूणा से ही अहिंसा संभव ऋषभदेवपुरम् मांगीतुंगी में जैन समाज की सर्वोच्च साध्वी भारतगौरव गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के पावन सान्निध्य में आयोजित विश्वशांति अिंहसा सम्मेलन का उद्घाटन भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द जी ने किया, साथ में प्रथम महिला नागरिक श्रीमती सविता कोविन्द, महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री सी. विद्यासागर राव जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, केन्द्रीय रक्षा राज्यमंत्री भारत सरकार डॉ. सुभाष भामरे, नासिक जिले के पालक मंत्री गिरीश महाजन, वाशिम के विधायक राजेन्द्र पाटणी आदि अनेक नेतागण पधारे। महोत्सव का शुभारंभ प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी के मंगलाचरण एवं प्रस्तावना भाषण के साथ...
भगवान महावीर और उनके सिद्धान्त

भगवान महावीर और उनके सिद्धान्त

अहिंसा का अर्थ है हिंसा का परित्याग करना, किसी को दु:ख देने की भावना से दु:ख देना हिंसा है, द्रव्य और भाव इन भेदों से हिंसा दो प्रकार की होती है, किसी का गला घोंट देना या तलवार आदि शस्त्रों द्वारा किसी का प्राणान्त कर देना द्रव्य हिंसा है। द्रव्य-हिंसा का अधिक सम्बन्ध द्रव्य के साथ होने से, द्रव्य-हिंसा कहा जाता है, जिस हिंसा का सम्बन्ध भावना के साथ हो वह भाव-हिंसा कहलाती है। ह्रदय में दूसरों को मारने का विचार करना, झूठ, चोरी, व्यभिचार, क्रोध, मान, कपट और लोभ आदि दुर्गुणों का पैदा होना भाव हिंसा है। हिंसा चाहे...
भगवान महावीर की शिक्षा और आज का युग

भगवान महावीर की शिक्षा और आज का युग

आज हम विनाश और विकास के मोड़ पर हैं, विज्ञान और अज्ञान साथसाथ चल रहे हैं, मनुष्य चंद्रमा पर पहुँच गया, भारत का उपग्रह आर्यभट्ट आकाश में घूम रहा है। रुस का अंतरिक्ष यान शुक्र-धरातल को स्पर्श करेगा लेकिन मानव का शांति के लिये आक्रोश आक्रंदन जारी है। मानव कल्याण की सर्वोच्च घोषणा करने वाले युग में, पीड़ित मानवता की वेदना समाप्त नहीं हुई। विषमता और निर्ममता का साम्राज्य व्याप्त है। मनुष्य की आत्मा खो गयी सी लगती है, चेतना घुट गयी सी लगती है। ‘जवाहर लाल नेहरु’ पुरस्कार विजेता दार्शनिक ‘आंद्रे मालरो’ के यह विचार ‘वर्तमान विश्व में भारत...
महावीर प्रभु का जीवन और कथन

महावीर प्रभु का जीवन और कथन

महावीर प्रभु का जीवन मनुष्य स्वभाव में हो रही हिंसा, असत्य, राग इत्यादि आसुरी तत्वों पर विजय प्राप्त कर मनुष्य जीवन को सत्य, अहिंसा, प्रेम आदि देवी गुणों से भरकर समाज का उत्थान करने वाला था। भगवान महावीर ने चरित्र निर्माण, सदाचरण और अहिंसा पर बल दिया था, उनके अमृत उपदेशों से भारत के ही नहीं अपितु सारे संसार के कोटि-कोटि लोगों को नया मार्ग तथा नया ज्ञान मिला। आज के वैज्ञानिक युग में जबकि मानवता संघर्ष और तनाव के बीच में से गुजर रही है उनके उपदेशों द्वारा ही राहत मिल सकती है। समाज में आज जो अशांति है...