Category: नवंबर-२०१८

एकता में शक्ति

वाह जिनागम! मुझे जिनागम पत्रिका मिली, बराबर तीन दिनों तक इस पत्रिका पर चिन्तन किया, बहुत ही शिक्षाप्रद है, थोड़ा सा समय हम-सभी आत्म चिन्तन में लगायें, जैन समाज जो बिखरा हुआ है, हम आपस में झगड़ते हैं, जिसका लाभ दूसरों को मिल जाता है।दिगम्बर-श्वेताम्बर हम सब ‘एक’ बन जायें, भारत में शासन करने लगें, एकता में ही शक्ति निहित है। उदाहरण के तौर पर एक छोटा सा लेख लिख रहा हूँ, ध्यान से पढिये और आत्म चिन्तन करिये। एक व्यक्ति के पास रेशम का धागा था, रेशम के धागे आपस में लड़ने लगे, अलग-अलग रहने की सबने ठानी। धागे दर्जी के पास गये और कहा हमारे टुकड़े कर दो। दर्जी ने रेशम के धागे के टुकड़े कर दिये। धागे हवा से इधर-उधर हो गये, एक व्यक्ति आया उसने देखा, रेशम के धागे हैं जिसको एक कर बड़ा से गट्टा बना दिया, फिर जंगल में गया खजूर की पत्तियों को इकट्ठा किया, फिर उसकी सिलाई करके चटाई बनाई, उसने चटाई को बाजार में बेच दिया। धागे अलग-अलग रहे तो कोई नहीं पूछा, जब एक हो गये तो उसका आदर हो गया, इसी तरह जैन समाज अलग-अलग रहेगें तो हमारे ऊपर हमले होते रहेगें, चारों सम्प्रदाय एक हो जायें तो हमारा कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। धर्म एक है, मान्यता अलग रहे हमारे धर्म पर, हमारे मुनियों पर हमले हों तो उस समय ‘एकता’ का परिचय जरूर दें। धागे अलग-अलग रहे तो कोई नहीं पूछा, जब एक हो गये तो उसका आदर हो गया, इसी तरह जैन समाज अलग-अलग रहेगें तो हमारे ऊपर हमले होते रहेगें, चारों सम्प्रदाय एक हो जायें तो हमारा कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। धर्म एक है, मान्यता अलग रहे हमारे धर्म पर, हमारे मुनियों पर हमले हों तो उस समय ‘एकता’ का परिचय जरूर दें।‘हिन्दी’ हमारी राष्ट्रीय भाषा है फिर भी हम हिन्दी को राष्ट्रभाषा नहीं मानते, जब ‘हिन्दी’ को सभी भारतीय बोलने लग जायेगें, तो भारत का नाम दुनिया में रोशन हो जायेगा, ‘हिन्दी’ भाषा राष्ट्र की है जिसके हम अनुयायी हैं। – महावीर प्रसाद अजमेरा जोधपुर, राजस्थान, भारत बढ़ता हुआ आयुष्य भारत में पहले औसत आयु ४०-५० वर्ष की रही, जो बाकी दुनियां के काफी देशों से कम थी, इसका मुख्य कारण था, छोेटे बच्चों का जन्म के बाद ही जल्दी मृत्यु प्राप्त हो जाना, जिसका मुख्य कारण था, बच्चों के जन्मते ही कोई न कोई इत्तेफाक होना, उस समय अस्पतालों व नर्सिंग होम की प्रसव करवाने की साफ-सुथरी व अन्य व्यवस्थायें नहीं थी, अत: पहला प्रसव होते-होते ही २५-३० प्रतिशत महिलायें नवजात शिशु व कभी-कभी दोनों ही काल-कलवित हो जाते थे, उसके बाद जो बच भी जाती थी, उनसें काफी रोगग्रस्त हो जाती थी, ५-१० प्रतिशत कुछ वर्षों में यानि जल्दी ही कम आयु में मृत्यु वरण कर लेती थी, इसके अलावा माता बोदरी एवं चेचक आदि अनेकों बच्चों के रोग उनको छोटी उम्र में ही घेर लेते थे एवं समुचित इलाज के अभाव में या तो बच्चे काल-कलवित हो जाते थे या पोलियोग्रस्त एवं बदरूप भी हो जाते थे। बड़े लोगों में हैजा, मलेरिया, लकवा, हार्ट फेल ऐसे अनेकों रोगों से, इलाज के अभाव में, कम उम्र में मर जाते थे, अत: हमारा औसत आयु अन्य देशों से काफी कम था। स्वतंत्रता के बाद इस ओर धीरे-धीरे ध्यान गया, चिकित्सा सुविधायें बढ़ने लगी, लोग बाग भी स्वास्थ्य नियमों व साफ-सफाई आदि के प्रति जागरूक बने, अब प्रसव में मरने वाली महिला व नवजात बच्चों के मरने के प्रतिशत प्राय:-प्राय: बहुत ही कम हो गये हैं। चिकित्सा सुविधायें व दवाइयों का प्रचलन इतना अधिक बढ़ गया है कि मृत्यु के नजदीक जाने वाली अवस्था प्राप्त व्यक्ति भी डॉक्टरों, मशीनों व वेण्टीलेटर द्वारा जिन्दा रखे जाने की कोशिश होती है, जब तक उसके परिजन रोजाना का हजारों रुपयों का खर्च बर्दाशत कर सकते हैं, ऐसा नर्सिंग होम में जमा होने वाला एडवांस एवं परिजनों के हावभाव से आंकलन किया जा सकता हैं। अब तो औसत आयु का बढ़ना कुछ समस्या भी होने लगी है, विशेषकर सरकारी नौकरी से रिटायर होने के बाद जो पेंशन औसत ५-१० वर्ष देनी होती थी, अब २०-३० वर्ष तक चालू रहती है एवं सरकार के बजट पर यह पेंशन भारी बोझ की तरह रहती है, मेरा यह सोच, फिर इस तरह से लिखना कुछ घटिया सा ही लगा होगा? लेकिन अब सोचिये इसके बाद की बात, वर्तमान में औसत आयु ७० वर्ष हो चुकी है, कई देशों में इससे भी ज्यादा अधिक है। वर्तमान में इतने रिसर्च हो गये हैं कि आपके खराब हुए अंग-प्रत्यंग अन्य कृत्रिम अंगों से बदल दिये जाते हैं और वो अच्छी तरह काम करते हैं। हार्ट अटैक व कैंसर आदि पर भी काफी काबू पाया जा चुका है, भले ही उनकी दवाइयों से साइड फ्लू, हिप्पेटाईटिस आदि जिनमें कइयों का अभी नामकरण भी होना बाकी है। अब तो लेबोरेटरी में कृत्रिम खून भी बना लिया गया है, उसके अलावा शरीर के अन्य अंग-प्रत्यंग, नसों व कोशिकाओं का भी आविष्कार हो चुका है, बुढ़ापे व आयु के कारण होने वाली कमजोरियों को मिटाने एवं वृद्धावस्था के कारण होने वाली मुश्किलों को भी हटाने/मिटाने में भी कामयाबी हासिल हो रही है। कहते हैं कुछ ही वर्षों में मनुष्य की उम्र १०० वर्ष की औसत स्वरूप हो जायेगी।सन् १९४०-५० तक पीढ़ी का बदलाव औसत २० वर्ष था, शादी जल्दी-जल्दी होने से २० वर्ष में पहली संतान, ४० वर्ष में पौता व ६०-६५ वर्ष में पड़पौता हो जाता था, अब शादी कुछ देर से होने से यह औसत २५ वर्ष आ गई है, यानि उसके पड़पौता यानि उसकी तीसरी पीढ़ी ७५ वर्ष की आयु तक हो जाती है, अब यदि आयु १०० वर्ष हो जाने लगेगी तो सोचिये जनसंख्या के बारे में, उससे भी ज्यादा सोचिये कि उन बूढ़ों का क्या किया जायेगा, काम के कुछ रह नहीं जाते हैं, घर में स्थान/ चारपाई/कमरा भी चाहिये। अब ४-५ पीढ़ियां एक साथ कैसे  रह पायेंगी या इन बूढ़ों को सड़ने के लिए कहां रखा जायेगा, क्या उपयोग है? अत: इन सिरफिरे रिसर्च करने वालों को सोचना चाहिये कि वो ऐसी रिसर्च क्यों कर रहे हैं, क्या उपयोग है, क्या इससे पारिवारिक/ सामाजिक/ जनसंख्या की समस्या नहीं बढ़ेगी, स्वस्थ रहते हुए कोई ९०-१०० वर्ष तक तो जीये, वरना जबरदस्ती अंग बदल-बदलकर, किसी अवस्था को ७५-८० से ज्यादा जीवित रखना, समस्या को बढ़ाना ही है, उपादेय नहीं है। – विजयराज सुराणा नई दिल्ली

महावीर निर्वाणोत्सव मंगलमय हो

जैन जैन धर्मानुसार दीपावली का सम्बंध भगवान महावीर के निर्वाण से है। कार्तिक अमावस्या को भगवान का निर्वाण हुआ था, उस समय पावापुरी में देवों ने और राजाओं ने प्रकाश उत्सव किया था, आज उसी का अनुकरण दीप जलाकर किया जाता है, यही वीर-निर्वाण दिवस है। महावीर निर्वाण विधि: शुद्ध वस्त्रो पहनकर श्रीसंघ सहित मंगलगीत गाते हुए प्रात: ५ बजे जिनमंदिर पहुंचें। पुरुष प्रभु के दहिनी और तथा महिलाएं प्रभु के बार्इं ओर खड़े होकर द्वार का उद्घाटन करें, तत्पश्चात सभी मिलकर तीर्थंकर परमात्मा की आरती उतारें, फिर नैवेद्य, लड्डू, फल आदि चढ़ावें और सविधि देव वंदन करें। पूजन विधि: पूजन करने वाले सज्जनों को स्नान शुद्धि कर शुद्ध वस्त्रो पहनना चाहिए। बाद में निम्न प्रकार से पूजा की तैयारी कर पूजा करनी चाहिए। शुभ मुहूर्त में नई बहियों, दफ्तरी, कलमें, दवातें आदि साफ किए हुए बाजोट (चौकी या पाटे) पर पूर्व या उत्तर दिशा में स्थापना करनी चाहिए, इस पाट के दाहिनी और घृत का दीपक, बार्इं ओर धूप या अगरबत्ती रखनी चाहिए। पूजन करने वाले को तीन नवकार गिनकर कलाई में मौली (लच्छा) बांधना चाहि फिर नवकार पढ़ते हुए कलम और दवातों में मौली बांधनी चाहिए। नई बही के प्रथम पाने में सर्वप्रथम ॐ अर्हम नम: लिखना चाहिए, फिर एक से लेकर ९ लकीरों में एक श्री से प्रारम्भ कर क्रमश: ९ श्री लिखना चाहिए, इससे श्री का शिखर बन जाएगा, उसके नीचे रोली वुंâवुंâम का स्वास्तिक बनाएं श्री पाश्र्वनाथाय नम: श्री महावीराय नम: श्री सद्गुरुभ्यो नम: श्री सरस्वत्यै नम: श्री लक्ष्मी दैव्यै नम: श्री गौतम स्वामी जी जैसी लब्धि हो। श्री केसरियाजी जैसे भंडार भरपूर हो। श्री भरत चक्रवर्तीजी जैसी पदवी हो। श्री अभयकुमार जी जैसी बुद्धि हो। श्री कवयन्ना जी सेठ जैसा सौभाग्य हो। श्री बाहुबली जी जैसा बल प्राप्त हो। श्री धन्ना-शालिभद्र जैसी ऋद्धि हो। श्री श्रेयांसकुमार जी जैसी दानवृत्ति हो। श्री वीर संवत्…..विक्रम संवत…..शुभ मिति कार्तिक बदी ३० अमावस्या, वार….., दिनांक……,ईश्वरी सन्….शुभ मुहूर्त…………….लिखें। फिर स्वस्तिक पर नागरबेल का अखंड पान, सुपारी, लौंग, इलायचा रख दें। फिर चलती धारा बही के चारों ओर देकर वासक्षेप, अक्षत, पुप्ष, मिश्रित कुसुमांजलि हाथ में लेकर नीचे लिखा श्लोक और मंत्र इस प्रकार पढ़ें मंगलम भगवान वीरो, मंगलम गौतम प्रभु| मंगलम स्थूलभद्राद्या, जैन धर्मोस्तु मंगलम|| मंत्र ॐ आर्यावर्ते अस्मिन् जम्बुद्वीपे दक्षिर्णाद्ध भरतक्षेत्रे मध्य खण्डे अमुक देशे (देश का नाम) अमुक राज्य (राज्य का नाम) अमुक नगरे (नगर का नाम) मम गृहे श्री शारदा देवी, लक्ष्मीदेवी, आगच्छ-आगच्छ तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा:।। यह कहकर हाथ में ली हुई कुसुमांजलि चढ़ा देवें। फिर नीचे लिखी स्तुति पढ़ें: आचार्या: पंचाचार, वाचकां वाचनां वराम् ।।१।। साधव: सिद्धि साहाय्यं, वितन्वन्तु विवेकिनाम्। मंगलानां च सर्वेषां, आद्यं भवित मंगलम् ।।२।। अर्हमित्यक्षरं माया, बीजं च प्रणवाक्षरम् । एवं नाना स्वरूपं, च ध्येयं ध्यायंति योगिन: ।।३।। ह्रत्पद्मषोडशा, स्थापितं षोडशाक्षरम् । परमेष्ठि स्तुतेर्बीज, ध्यायेदक्षरदं मुदा ।।४।। मंत्राणामादिम मंत्रं, तंत्र विघ्नौद्य निग्रहे। ये स्मरंति सदैवैनं, ते भवंति जिन प्रभा ।।५।। नोट: उपरोक्त स्तुति बोलने के बाद नीचे लिखा हुआ मंत्र बोलते हुए आठों द्रव्यों से पूजना करना चाहिए। आठों द्रवों के नाम इस प्रकार हैं:- (जल, चंदन, केशर, पुष्प, धूप, दीप, अक्षत्, नैवेद्य और फल) मंत्र  ॐ ह्रीं श्रीं भगवत्यै, केवलज्ञान स्वरूपायै, लोकालोक प्रकाशिकायै, सवस्वतै, लक्ष्मीदेव्यै ‘‘जलं’’ समर्पयामि स्वाहा: ।। ॐ ह्रीं श्रीं भगवत्यै, केवलज्ञान स्वरूपायै, लोकालोक प्रकाशिकायै, सवस्वतै, लक्ष्मीदेव्यै ‘‘चंदन’’ समर्पयामि स्वाहा: ।। ॐ ह्रीं श्रीं भगवत्यै, केवलज्ञान स्वरूपायै, लोकालोक प्रकाशिकायै, सवस्वतै, लक्ष्मीदेव्यै ‘‘पुष्पं’’ समर्पयामि स्वाहा: ।। ॐ ह्रीं श्रीं भगवत्यै, केवलज्ञान स्वरूपायै, लोकालोक प्रकाशिकायै, सवस्वतै, लक्ष्मीदेव्यै ‘‘धूपं’’ समर्पयामि स्वाहा: ।।  ॐ ह्रीं श्रीं भगवत्यै, केवलज्ञान स्वरूपायै, लोकालोक प्रकाशिकायै, सवस्वतै, लक्ष्मीदेव्यै ‘‘दीपं’’ समर्पयामि स्वाहा: ।। ॐ ह्रीं श्रीं भगवत्यै, केवलज्ञान स्वरूपायै, लोकालोक प्रकाशिकायै, सवस्वतै, लक्ष्मीदेव्यै ‘‘अक्षतं’’ समर्पयामि स्वाहा: ।। ॐ ह्रीं श्रीं भगवत्यै, केवलज्ञान स्वरूपायै, लोकालोक प्रकाशिकायै, सवस्वतै, लक्ष्मीदेव्यै ‘‘नैवेद्यं’’ समर्पयामि स्वाहा: ।। ॐ ह्रीं श्रीं भगवत्यै, केवलज्ञान स्वरूपायै, लोकालोक प्रकाशिकायै, सवस्वतै, लक्ष्मीदेव्यै ‘‘फलं’’ समर्पयामि स्वाहा: ।। इसके पश्चात जितने भी पूजक मौजूद हों, सब खड़े होकर हाथ जोड़कर सरस्वती एवं लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें।

भ. ऋषभदेवजी द्वारा प्रतिपादित अहिंसा सिद्धांत की आवश्यकता

चिकलठाणा (महाराष्ट्र) भ. ऋषभदेवजी द्वारा प्रतिपादित ‘‘अहिंसा’’ की वर्तमान को आवश्यकता है, आज विश्व में अत्याचार, हिंसा बढ रही है, जैन धर्म के प्रथम तिर्थंकर भ. ऋषभदेवजी ने ‘‘अहिंसा’’ सिद्धान्त का प्रचारप्रसार किया था, आज सत्य, शांति, अहिंसा की अधिक आवश्यकता है,ऐसे भावपूर्ण उद्गार भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंदजी ने महाराष्ट्र के प्राचिन मांगी-तूंगी जी में राष्ट्रपति जी के आगमन पर विशेष समारोह में दिगंबर जैन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्मलकुमारजी सेठी, एवं हैदराबाद के विजयकुमार पाटोदी और प्रतिमा निर्माण र्इंजीनीयर सि आर पाटिल अपनी धर्मपत्नी के साथ सिद्धक्षेत्र मांगितुंगीजी में ऋषभदेव पुरम में ‘‘विश्वशांती अहिंसा सम्मेलन’’ में कहे, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने १०८ फिट ऊंची भ. ऋषभदेव जी की मुर्ती के दर्शन किये, महाराष्ट्र में सुखे की स्थिती व्याप्त है, उस पर चिंता व्यक्त की। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी ने कहा कि प्रकृति से हमें छेड़-छाड़ नहीं करनी चाहिये। वृक्ष, जल, पहाड़, पर्वत, यह हमारी सम्पत्ती है और जीवन रक्षक है। ‘‘सम्यकदर्शन’’ ‘‘सम्यकज्ञान’’ और ‘‘सम्यकचारित्र’’ जैनधर्म के महान रत्न हैं, तीर्थंकरों ने अपने उपदेश एवम दिव्य वाणी द्वारा मानव समाज का पथ प्रदर्शन किया है। प्रवचन माला यह बोली हैयह बोली हर समस्या का समाधान ढूँढती है।यह बोली हर बात का हल करती है।यह बोली ही कभी-कभी बनती बात बिगाड़ देती है।यह बोली ही कभी जंग छेड़ देती है।यह बोली ही बड़ी-बड़ी गल्तियों को खोल देती है।यह बोली ही है जो दर्द पर मल्हम लगा देती है।यह बोली ही है जो मीठे दूध में जहर घोल देती है।यह बोली ही है जो वर्षों से बन्द तालों को खोल देती है।यह बोली ही है जो आदमी को आसमां में चढा देती है।यह बोली ही है जो पल भर में नीचे गिरा देती है।यह बोली ही है जो आदमी को धूल चटा देती है।यह बोली ही है जो महाभारत रच देती है। यह बोली ही है जो समाधान की बैठक में बुला लेती है। इसलिए सभी कुछ इस छोटी सी जबान की करामात है। जो आदमी को कभी नीचे तो कभी ऊपर उठा देती है, इसलिए हमें अपनी जबान पर लगाम रखनी चाहिये। जब भी बोलें, मुंह खोलें तो मधुर बोलना चाहिये। यह बोली ही है जो जिन्दगी को तोलती है। हमारे स्वभाव की एक-एक परत खोलती है। इसीलिये तो महापुरूष सोच कर बोली बोलती हैं। हर शब्द हर बात का पिटारा संभलकर खोलते हैं। यह बोली ही है जो हमारे रिश्तों को जोड़ती है। हमें मुस्कराकर मीठा बोलने की आदत डालनी चाहिये क्योंकि बोली ही जीवन में सुख शान्ति का अमृत घोलती है। – महावीर प्रसाद अजमेरा, जोधपुर

आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का ७३वां जन्मोत्सव श्रद्धापूर्वक मनाया गया

खजुराहो विश्व पर्यटन नगरी खजुराहो में आचार्य श्री विद्यासागरजी का पावन चातुर्मास चल रहा है जो अंतिम चरण की ओर अग्रसर है। आचार्य श्री का जन्मदिन श्रद्धालुओं ने श्रद्धा भाव से मनाया, इस अवसर पर खजुराहो, जो कि अब स्वर्णोत्सव तीर्थ के नाम से जाना जाएगा, उक्त स्वर्णोत्सव जैन मंदिर की भव्य आधार शिला का पूजन किया गया।मंदिर निर्माण स्थल पर आचार्य श्री तथा मुनि संघ के सानिध्य में शिला पूजन किया गया। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का ७३वां जन्मोत्सव श्रद्धापूर्वक मनाया गया उक्त शिला पूजन में जैन भक्तों ने आचार्य श्री के सामने निर्माण सामग्री के उपयोग में आनेवाले गेंती,फावड़ा, तागड़ी आदि उपकरणों की बोली लगाकरदान दिया गया, सबसे ज्यादा बोली कुपी वाले जैन परिवार वालों ने लेकर दान दिया, वहीं कार्यक्रम में दिल्ली की महिला श्रद्धालु ने अपने हाथ के दोनों सोने के कंगन दान किये। विदित हो कि जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज त्याग और तप के आज सबसे बड़े उदाहरण है, सांसारिक मोह भोग विलासिता से दूर जीव जंतु कल्याण हेतु अनवरत यात्रा जारी है। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज नमक, शक्कर, घी, तेल एवं हरी सब्जियों का हमेशा के लिए त्याग कर चुके हैं तथा रात्रि में मात्र २ घंटे का विश्राम करते हैं एवं अपने जीवन का लगभग ३ गुना जीवन बीत जाने के पश्चात ढलती उम्र के बावजूद भी प्रतिदिन लगभग १० से ३० किलोमीटर तक की पैदल यात्रा कर सकते हैं। आहार क्रिया दिन में एक बार भोजन एवं जल लेने के बाद भी चेहरे में तेज, चमक एवं चाल में तेजी को देखकर सहजता से उम्र का अनुमान लगाना मुश्किल है। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज इन दिनों भारत के अति पिछड़े क्षेत्रों में आने वाले बुंदेलखंड क्षेत्र के तरण तारण में आगमन हुआ, लंबी यात्रा के पश्चात खजुराहो में चातुर्मास होने का गवाह अतिशय क्षेत्र ‘जैन मंदिर खजुराहो’ बना, जहां देश ही नहीं विदेशों से भी जैन धर्मावलंबियों का आना अनवरत जारी है। सहयोग अपील भारत वर्ष में अनेक शिक्षण संस्थाएं हैं लेकिन अहार जी का संस्कृत विद्यालय अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है, यहां छात्रों के सर्वांगीण विकास के अंतर्गत उन्हें नैतिक व आध्यात्मिक संस्कार दिये जाते हैं, विद्यालय में हर प्रान्त के छात्र आते हैं, आज विद्यालय से निकले छात्र भारत के विभिन्न सरकारी तथा सामाजिक संस्थानों में उच्च पदों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। विद्यालय प्रशांत एवं सुरम्य वातावरण में स्थित है। विशाल विद्यालयीन भवन के अतिरिक्त छात्रों के लिए सुविधायुक्त छात्रावास है, विद्यालयीन भवन के अलग-अलग कमरों में कक्षायें लगती है एवं बीच में एक ६३*२० फिट का हॉल है, छात्र इस हॉल में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, गोष्ठियाँ तथा सभायें आयोजित कर अपनी प्रतिभा व क्षमता का प्रदर्शन करते हैं। छात्रों के शारीरिक विकास हेतु व्यायाम तथा विभिन्न प्रकार के खेलों का नियमित आयोजन किया जाता है, एक लघु चिकित्सालय भी है जिसमें योग्य चिकित्सक की सहायता से छात्रों का उपचार किया जाता है। बागवानी के लिए एक उद्यान भी है जिसकी देख-रेख छात्र करते हैं। भोजन की उत्तम व्यवस्था के साथ छात्रों को स्वल्पाहार, दूध, घी, फल एवं गणवेश, किताब, कॉपियाँ आदि सामग्री नि:शुल्क दी जाती है। सप्ताह में एक दिन विशेष प्रकार का भोजन दिया जाता है। वर्तमान में छात्रावास में कक्षा ६ से १२ तक के ५३ छात्र अध्ययनरत हैं, इनके साथ ७ अध्यापक शिक्षण कार्य में कार्यरत हैं। छात्रावास हेतु एक कुशल अधीक्षक की व्यवस्था है, यहां छात्रों को धार्मिक एवं आधुनिक ज्ञान के साथ लौकिक व प्रायोगिक शिक्षा प्रदान की जाती है, जिससे छात्रों को शारीरिक, मानसिक, सांस्कृतिक, व्यवहारिक, नैतिक, अध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता रहता है, छात्रों को पूजन, शास्त्रों प्रवचन आदि का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है, तकनीकी ज्ञान हेतु छात्रों को कम्प्यूटर शिक्षा भी दी जाती है।

राजस्थान सरकार करेगी मेघराज धाकड़ का सम्मान सुश्री किरण माहेश्वरी उच्च शिक्षा मंत्री राजस्थान

कुंकु देवी-सोहन लाल धाकड के हाथों शुभ हुआ भूमि पूजन मातृभूमि के कल्याण में एक सच्चे कर्मयोद्धा होने का खिताब हासिल खमनोर: शिक्षा के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाले राजसमंद जिले के शिशोदा गांव के मूल निवासी व मुंबई के प्रवासी मेघराज धाकड़ को आगामी दिनों में राजस्थान सरकार द्वारा राज्य स्तरीय सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। धाकड़ को यह सम्मान राजस्थान सरकार द्वारा जयपुर में आयोजित होने वाले समारोह के दौरान प्रदान किया जाएगा, इस सम्मान की घोषणा उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने शिशोदा गांव में प्रवासी समाजसेवी मेघराज धाकड़ के पारिवारिक ट्रस्ट मंगल चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से आठ करोड़ की लागत से निर्मित होने जा रहे राजस्थान के प्रथम शत्-प्रतिशत भामाशाह द्वारा समर्पित ‘श्रीमती कंकु बाई – सोहनलाल धाकड़ राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय, शिशोदा’ के शिलान्यास समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कही। भूमि पूजन श्रीमती कंकु देवी- सोहन लाल धाकड़ के हाथों शुभ मुहूर्त में विधिविधान पूर्वक हुआ। शिलान्यास समारोह में मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार की केबिनेट मंत्री किरण माहेश्वरी ने संबोधित कर इस आदर्श कार्य को समाज के लिए प्रेरणास्पद बताया। सुश्री माहेश्वरी ने कहा कि मेघराज धाकड़ ने अपने धन का विसर्जन सही रूप में अपनी मातृभूमि के कल्याण में कर एक सच्चे कर्म योद्धा होने का खिताब हासिल किया है। श्री धाकड़ जैसे लोगों की इस देश को बहुत आवश्यकता है और मैं आशा करती हूं कि मेघराज धाकड़ के नेतृत्व में शिशोदा विकास के नए मार्ग पर आगे बढ़ेगा। अध्यक्षता कर रहे सांसद हरि ओम सिंह राठौड़ ने सृजन के साथ विसर्जन की परंपरा निभाने वाले धाकड़ परिवार की मुक्त कंठ से प्रशंसा कर शिक्षा के प्रति उनकी भावनाओं का सम्मान किया।विशिष्ट अतिथियों में खमनोर प्रधान श्रीमती शोभा पुरोहित, योगी संतोषनाथ, माध्यमिक शिक्षा उदयपुर के उप निदेशक युगल बिहार दाधीच, जिला शिक्षा अधिकारी भरत कुमार जोशी, दिवंगत विधायक की पत्नी कल्पना कुंवर, खमनोर पंचायत समिति उप प्रधान दलजीत सिंह चुंडावत, प्रदेश प्रतिनिधि केशर सिंह चुंडावत,रमेश धाकड़, बी. सी. भलावत मुंबई, मानसिंह बारहट,भीम सिंह चौहान, योगेंद्र सिंह चौहान, श्रीकृष्ण पालीवाल, नाथद्वारा नगरपालिका उपाध्यक्ष परेश सोनी,कोठारिया मंडल अध्यक्ष हरदयाल सिंह, देलवाड़ा मंडल अध्यक्ष संजय सिंह बारहट, खमनोर युवामोर्चा अध्यक्ष संदीप श्रीमाली, भाजपा महिला प्रतिनिधि संगीता कुंवर, देवी लाल सुथार, कमल हिंगड, बीएलओ नीरज शर्मा, अजय गुर्जर आदि विशिष्ट अतिथि मंचासीन थे। धाकड़ परिवार का केबिनेट मंत्री एवं सांसद हरिओम सिंह राठौड़ द्वारा सम्मान किया गया। सर्वप्रथम अतिथियों का सम्मान उपरना ओढ़ा कर प्रतीक चिन्ह भेंट कर किया गया। आयोजन को सफल बनाने में अशोक धाकड़, विनोद धाकड़, भगवती धाकड, प्रवीण हिरण, अजित धाकड, विकास धाकड, विद्यालय प्रधानाचार्य कौशलेंद्र गोस्वामी आदि की भूमिका महत्वपूर्ण रही। समारोह के आरम्भ में राष्ट्रगान, मंगलगीत प्रार्थना आदि प्रस्तुत कर स्थानीय छात्राओं से सुन्दर प्रस्तुतियां दी। उल्लेखनीय है कि तीन मंजिला कुल ३८ कमरों का यह प्रोजेक्ट २ वर्ष में पूर्ण होगा, इसमें डिजिटल अध्ययन कक्ष १६, सेमिनार कक्ष १, लेबोरेटरी कक्ष ७, प्रार्थना कक्ष १, कॉन्फ्रेंस हाल १, विद्यालय भवन के सामने बच्चों के लिए वॉलीबॉल, बॉस्केटबॉल के ग्राउंड बनाए जाएंगे।

खुश खबरी…..खुश खबरी….खुश खबरी…..

जागो जैनो जागो ‘जैन एकता’ स्वीकारो बैंगलुरू: समस्त शिखरजी बचाओ आंदोलन से मिली सफलता पूरे भारत वर्ष में ही नहीं विश्व में खुश खबरी फैली है। जानकारी हो कि देश के साथ विदेशों से भी मांग उठी थी, दि. १५-१०-२०१८ को श्री आदिनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर, चिकपेट से विराट रैली महिलाओं की हुई। श्री पाश्र्व सुशील धाम में विराजित लब्धि समुदाय के गच्छाधिपति आचार्य श्री अशोकरत्नसूरीश्वरजी म.सा., आचार्य श्री अमरसेनसूरीश्वरजी म.सा., मुनि श्री अजितसेनविजयजी म.सा. व सुशील धाम के संस्थापक आदि ने शिखरजी की पवित्रता बरकरार रखने की अपील की थी। स्मरण रहे सन् १९८८ में काचरकनहल्ली में बड़ पैमाने पर कत्लखाने के विरोध में सम्मेतशिखरजी का विषय १९९४ में, पालीताणा का विषय १९९६ में, घाटकोपर में जगडूशाह मंदिर तोड़ने का विरोध २००४ में, केशरीयाजी तीर्थ अधिग्रहण २००७ में, संथारा हेतु सभी सम्प्रदायों की रैली चिकपेट मंदिरजी होते हुए २०१५ में, आदि जब-जब चिकपेट दादा आदिनाथ से आवाज उठी, सफलता के शिखर छुए। जैन धर्म में चमत्कार है नहीं, मगर हो जाते हैं, प्रत्यक्ष उदाहरण १५-१०-२०१८ का विराट महिलाओं की रैली नारी शक्ति के प्रभाव का, ७ दिन अन्दर प्रत्यक्ष प्रभाव बेंगलोर में विराजित आचार्य भगवंतों, साधु-साध्वी भगवंतों, महिलाओं-युवतियों बच्चों आदि ने रैली में भाग लिया, प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग किया, उन सभी के प्रयासों से झारखंड के मुख्यमंत्री श्री रघुवरदासजी ने जैनों की मांंग पर गंभीर विचार कर सभी मांगें मानकर नोटिफिकेशन जारी किया, एक बार पुन: हम सबके सहयोग के लिए आभार व्यक्त करते हैं। – लब्धिसूरि जैन धार्मिक शिक्षणशिक्षक उत्कर्ष ट्रस्ट, बेंगलोर, कर्नाटका, भारत सेहत के लिए वरदान से कम नहीं है जौ जौ ऐसा अनाज है, जिसके सेवन से हमारे शरीर को कई पोषक तत्व तो मिलते ही हैं, साथ ही साथ ये हमें कई बीमारियों से भी बचाता है। जौ, गेहूं की ही जाति का एक अनाज है, लेकिन ये गेहूं की अपेक्षा हल्का और मोटा अनाज है, जौ में मुख्य रूप से लेक्टिक एसिड, सैलिसिलिक एसिड, फास्फोरिक एसिड, पोटेशियम और कैल्शियम उपलब्ध होता है। आइए जानते हैं जौ के फायदे: एसिड और कैल्शियम पाया जाता है मोटापा खत्म करें : ९५ प्रतिशत लोग मोटापे की समस्या से परेशान रहते हैं, जौ के सत्तू और त्रिफले के काढ़े को पीने से मोटापा समाप्त हो सकता है, इसके अलावा जो व्यक्ति कमजोर हैं, वे जौ को दूध के साथ खीर बना कर खाने से मोटे हो जाते हैं। रंग निखारता है : जौ सिर्फ आंतरिक ही नहीं, बल्कि बाहरी रूप सेभी लाभकारी है, ये रंग को निखारने के लिए वरदान है। जौ का आटा, पिसी हुई हल्दी और सरसों के तेल को पानी में मिलाकर लेप बना लें, रोजाना शरीर में इसका लेप करके गर्म पानी से नहाने से रंग निखरता है। (केवल श्रावकों के लिए) डायबिटीज करे नियंत्रित : डायबिटीज को अगर धीमी मौत कहें तो कुछ गलत नहीं होगा, ये बीमारी लोगों की लाइफस्टाइल पर निर्भर करती है, इसके लिए कोई एलोपैथी दवा काम नहीं करती, इसलिए इसबीमारी से छुटकारे के लिए आपको हेल्दी डाइट लेने की जरूरत है। डायबिटीज के रोगी जौ के आटे की रोटी और सत्तू बनाकर खा सकते हैं, जौ के आटे में चने का आटा मिलाकर भी खाया जा सकता है। पथरी में आराम : खराब और दूषित खानपान के चलते अधिकतर लोग पथरी की समस्या से परेशान रहते हैं, इस बीमारी से पीड़ित लोग जौ को पानी में उबालें, इसे ठंडा करने के बाद रोज १ ग्लास पिएं, ऐसानियमित करने से पेट की पथरी गलती है, इसके अलावा ऐसे लोग जौ की रोटी, घाणी और जौ का सत्तू भी ले सकते हैं। ‘‘जौ का पानी पेट के रोगों के लिए बहुत लाभदायक है, इसके अलावा पथरी के इलाज में जौ का पानी बहुत असरकारक है’’

जीतो कार्निवल, २०१८ का सफल समापन

जीतो लेडिज़ विंग, जीतो लुधियाना चेप्टर एवं जीतो यूथ विंग द्वारा भव्य कार्यक्रम ‘‘जीतो कार्निवल – २०१८’’ का आयोजन सिविल लाईन्स, लुधियाना में किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ नवकार मंत्र के उच्चारण से अतिथि ऊषा जैन एवं विनोद जैन ( सी.एच.ई.) द्वारा रिबन काटकर किया गया। कार्यक्रम के दीप प्रज्ज्वलन का लाभ मधु जैन, कमल जैन इंद्रा वैल्यूज़ परिवार ने अपने कर कमलों से किया। कार्यक्रम के स्वागत अध्यक्ष जवाहर लाल ओसवाल, अभिलाष ओसवाल, कोमल कुमार जैन ड्यूक एवं राजीव जैन चमन निट्स ने सभी आने वाले मेहमानों को सम्मान चिन्ह देकर सम्मानित किया, इस कार्निवाल में महिलाओं के लिए अपनी योग्यता को अच्छे ढंग से समाज के सम्मुख प्रदर्शित करने का मौका मिला। जैन समाज की महिलाओं द्वारा टैक्सटाईल, हैंडीक्राफ्ट, गारमैंट्स, गिफ्ट्स, पेंटींग्स, खानपान, हेल्थ प्रोडक्ट्स, डेकोरेशन पीस, आर्टिफीशियल एवं सिल्वर ज्यूलरी, कॉस्मेटिक की नवीनतम वैरायटी के अतिरिक्त अन्य उत्पादों के डिजाइनर कलैक्शन के तकरीबन ६५ स्टॉल लगाए गए, सभी स्टॉल बहुत सुन्दर तरीके से सजे हुए थे, यह प्रदर्शनी आम लोगों के लिए प्रातः १०:०० बजे से सायं ०८:०० बजे तक खुली थी, इस अवसर पर जैन घराने की महिलाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला, इसमें मनोरंजन हेतु वेल्कम डांस, सरप्राईज गिफ्ट, लक्की ड्रॉ आदि कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया। जीतो लेडीज़ विंग की चेयर पर्सन अभिलाष ओसवाल ने आए हुए सभी मेहमानों का भव्य स्वागत किया। सभा को संबोधित करते हुए ओसवाल वूलन मिल्स के मालिक प्रसिद्ध उद्योगपति जवाहर लाल ओसवाल एवं अभिलाष ओसवाल ने बताया कि इस कार्निवल का मुख्य उद्देश्य कॉर्पोरेट परिवारों की जिम्मेवारी है मध्य वर्ग के परिवारों को सहयोग करना, उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी सशक्तीकरण व उत्थान के लिए आयोजित की गई है, आज महिलाओं का वर्चस्च किसी से छुपा नहीं है, आज की महिलाएं उतनी कमजोर नहीं जितनी कि पहले थीं, आज महिलाओं, का जोर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी नज़र आता है, हमारा इस प्रदर्शनी का मकसद यह है कि महिलाएं अपनी ऊर्जा को पहचानें और निखारें, आज लुधियाना को स्मार्ट सिटी बनाने का जो दर्जा मिला है वह महिलाओं के अथक प्रयास से ही संभव हुआ है। महिलाएं भारत के प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान का हिस्सा भी बन रही हैं। जीतो लुधियाना चेप्टर के चेयरमैन कोमल कुमार जैन ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए लेडीज़ विंग के साथ-साथ आए हुए सभी मेहमानों, जीतो वर्किंग टीम, यूथ विंग एवं समूह जैन समाज का धन्यवाद किया, उन्होंने जीतो की गतिविधियों के बारे में विस्तार में बताया और भावी कार्यक्रमों की भी जानकारी दी, उन्होंने बताया कि यह कार्निवाल महिलाओं के उत्थान एवं महिला को सुशिक्षित, सेवा संसार, आत्म सुरक्षा व आत्म निर्भर बनाने के उद्देश्य से किया गया, विगत् समय में जीतो लुधियाना द्वारा अनेक आयोजन जैसे कि मुफ्त मेडिकल कैम्प, जरूरतमंद परिवारों को राशन वितरण,आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की पढ़ाई में मदद इत्यादि किए गए। उक्त कार्निवाल में जीतो लेडीज़ विंग से अभिलाष ओसवाल, मंजू ओसवाल, कंचन जैन, रंजना जैन, सोनिया जैन, सीरत ओसवाल, करुणा ओसवाल, कीर्ति जैन, एकता जैन, श्वेता जैन, प्रांजल जैन, मधु, सुनैना, नीरा, शैला तथा लुधियाना चेप्टर के कोमल कुमार जैन (ड्यूक), जवाहर लाल ओसवाल, राजीव जैन, भूषण जैन, रमेश जैन, कश्मीरी लाल जैन, कमल जैन, तरुण जैन, राकेश जैन, अमित जैन, कोमल जैन, कुशल जैन तथा जीतो यूथ विंग के निखिल जैन, सर्वेश, भव्या, प्रतीक, मनीष, साहिल, अशीष, रिधि, श्रेया, सन्यम, अदिश, संभव इत्यादि उपस्थित थे। -कोमल कुमार जैन,चेयरमैन – ड्यूक फैशन्स ( इंडिया ) लि., लुधियाना

दीपावली पर ५० परिवारों को राशन के साथ-साथ कपड़े एवं मिठाईयां दी गई

महिला शाखा भगवान महावीर सेवा सोसाइटी इंन्द्रदिन्न सुरिश्वर जी म. के जन्म दिन के उपलक्ष में उपप्रवर्तक प्रवचन दिवाकर श्री पीयूष मुनि जी म. के पावन सानिध्य में दीपावली के उपलक्ष में राशन वितरण समारोह सिविल लाईन्ज़ के जैन स्थानक में आयोजित किया गया। समारोह का शुभारंभ महामन्त्र नवकार के सामुहिक उच्चारण से शुरू किया गया। महिला शाखा की प्रधान निलम जैन एवं महामंत्री रिचा जैन ने कहा दीपावली खुशियों का त्यौहार है जो परिवार हमारे साथ जुड़े हुए हैं उनकी भी दिवाली पहले से कैसे अच्छी हो उसमें हमें यथायोग्य सहयोग करना चाहिए, आज इस कार्यक्रम में तकरीबन ५० परिवारों को राशन के साथ-साथ कुलदीप ओसवाल-कुसुम जैन परिवार के ओर से फैंन्सी कोटियों, अश्वनी जैन-मोती लाल जैन, सन बराईट होज़री परिवार की ओर से सभी को मिठाईयां, दीए, मोमबत्तीयां एवं अन्य समान दिये गये संस्था के संयोजक राकेश जैन ‘प्रधान’ भगवान महावीर सेवा संस्थान पंजी. ने कहा कि यह हमारी समाजिक जिम्मेवारी भी है जो परिवार आज असहाय महसूस कर रहे हैं उनकी सहायता कर हम पुण्य का उपार्जन करें, इस मौके पर महिला शाखा भगवान महावीर सेवा सोसायटी की कार्यकारिणी सदस्य सोनिया जैन, रजनी जैन, भाणू जैन, नीरा जैन एस. के., प्रवेश जैन, सुषमा जैन, निरू जैन, शालनी जैन, विदूषी जैन, फूल चन्द जैन, रमा जैन, नीरा जैन, विनोद देवी सुराणा, मंजू सिंघी, मीना जैन, रजनी जैन, पूनम जैन, उपमा जैन एवं भगवान महावीर सेवा संस्थान के प्रधान राकेश जैन, उप-प्रधान राजेश जैन, आंचल जैन, सुनील गुप्ता, राकेश अग्रवाल इत्यादि गणमान्य उपस्थित थे। -नीलम जैनप्रधान-महिला शाखा आचार्य श्री के निश्रा में प्रकट प्रभावी घंटाकर्ण महावीर का हवन पूजन हुआ सम्पन नागपुर : ६ नवम्बर २०१८ आचार्य श्री देवेंद्रसागरजी के मंगलकारी निश्रा में वर्धमाननगर संभवनाथ जैन मंदिर में कृष्ण पक्ष की चौदस के उपलक्ष्य में श्रद्धालुओं द्वारा घंटाकर्ण महावीर देव का पूजन हवन आयोजित किया गया था, बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। आचार्य श्री ने बताया कि कृष्णा चौदस सर्व शक्तिमान श्री घंटाकर्ण महावीर देव का कृपा दिवस है। इस दिन सात्विक मनोभावों, समर्पण एवं निष्ठापूर्वक देव दरबार में हर मनोकामना देवकृपा से अवश्य पूर्ण होती है। श्री घंटाकर्ण महावीर देव रोग, शोक, भय संकट, प्रेत बाधा, अग्नि भय का निवारण करने वाले प्रभावशाली देवता हैै। जिन्हें जैन, हिंदू और बौद्ध परंपराओं में समान रूप से विशिष्ट गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त है। आचार्य श्री ने आगे कहा की घंटाकर्ण देव का मूल स्थान जैनियों के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक महुडी तीर्थ है। इस स्थान को प्राचीनकाल में मधुमती के नाम से जाना जाता है और २००० साल पुरानी सभ्यता के सबूत आज भी यहां मिलते है। आचार्य देव बुद्धिसागरसूरीश्वरजी ने इस मंदिर के निर्माण की शुरूआत तपस्या करने के बाद की थी। इस मंदिर में भगवान घंटाकर्ण महावीर मंदिर की पूजा की जाती है जो क्षत्रिय राजा तुंगाभद्रा के रूप में बनी हुई है और इनके हाथ में तीर और धनुष है। विभिन्न धर्मो से लोग यहां आते है, इस मूर्ति के दर्शन करते है और अपनी मन्नत पूरी होने की दुआ करते है। लोगों का मानना है कि इस मूर्ति में चमत्कारी शक्तियां है जो लोगों के दुख: हर लेती है। हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते है और दान के रूप में सुखाडी देते है, माना जाता है कि यह देवता का पसंदीदा भोजन है।

श्री दिगम्बर जैन संगठन धुलियान द्वारा समाज सेवा….

धुलियान : श्री दिगम्बर जैन संगठन धुलियान ने गरिबों को खाना खिलाया, यह संगठन पहले भी गरिबों को कम्बल दान व जगह-जगह जाकर गरिबों को ठंड में कम्बल उढ़ाना जैसे काम कर चुकी है तथा बच्चों के स्कुल जाकर बच्चों को जरुरत के सामान देती है।      -संजय बड़जात्या उद्योगपति भूषण जैन बने जीतो लुधियाना चैप्टर के चैयरमैन दीप जलाओ, पटाखे नहीं प्रदूषणमुक्त दीपावली मनाओ दीपावली दीपों का त्योहार है, बेशक दीप जलाएं, घर-बाहर दीप जलाना बहुत रमणीय लगता है, लेकिन दीपों के साथ-साथ लोग पटाखे भी जलाते हैं, पटाखों का कुछ पल का मजा वातावरण में जहर घोल देता है, इनमें मौजूद नाइट्रोजन डायआक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड जैसे हानिकारक प्रदूषक अस्थमा व ब्रान्काइटिस जैसी सांसों से संबंधी समस्याओं को जन्म देते हैं, लेकिन कुछ मापदंडों को अपनाकर, आप इन हानिकारक प्रदूषकों से बच सकते हैं। दीपावली खुशियों एवं रोशनी का त्यौहार है लेकिन दीपावली के दौरान छोड़े जाने वाले तेज आवाज के पटाखे पर्यावरण के साथ जन स्वास्थ्य के लिये खतरा पैदा कर सकते हैं। दीपावली के दौरान पटाखों एवं आतिशबाजी के कारण दिल के दौरे, रक्त चाप, दमा, एलर्जी, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है और इसलिये दमा एवं दिल के मरीजों को खास तौर पर सावधानियां बरतनी चाहिये। … तो आज ही यह बात अपने दोस्तों में फैला दें कि आप इस बार प्रदूषक मुक्त दीपावली मनाने वाले हैं।  -मनोज जैन, ए३ फिल्म्स द्वारा निर्मित ‘श्री गणेशा’ ने सातवें अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ संगीत वीडियो का पुरस्कार जीता अंगदान जैसे महान कार्य के महत्व को लोगों तक पहुंचाने वाली म्यूजिकल स्टोरी, ए३ फिल्म्स की ‘श्री गणेशा’ ने सातवें अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ संगीत वीडियो का पुरस्कार जीता। नई दिल्ली में आयोजित इस समारोह में दुनिया भर से विचारशील, अत्यधिक रचनात्मक और आकर्षक लघु फिल्मे दिखाई गयी। ए३ फिल्म्स के शैलेश संघवी द्वारा निर्मित ‘श्री गणेशा’ के गाने को प्रसिद्ध गायिका महालक्ष्मी अय्यर ने गाया है, इस गीत की कल्पना शीतल मंदार की है जिसे प्रसिद्ध मराठी फिल्म निर्देशक और छायाकार केदार गायकवाड ने निर्देशित किया है, इस कहानी में अंगदान जैसे कार्य को भगवान गणेश की कहानी के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया गया है जिसमें मां बाखूबी अपने बच्चे को गणेशजी के बारे में जिज्ञासा कर गाने के जरिये उजागर करती है। निर्माता शैलेश संघवी ने कहा, ‘यह फिल्म एक यादगार अनुभव है, यह पुरस्कार दुनिया भर के लोगों को अंगदान के महान कार्य के लिए प्रोत्साहित करेगा।         -दीव्यल जोगल

संघवी ए३ ग्रुप के श्री शैलेश संघवी

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा जैन समाज मुंबई के प्रभारी पद पर नियुक्त संघवी ए३ ग्रुप  के व्यवस्थापक शैलेश संघवी को हाल ही में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा जैन समाज मुंबई के प्रभारी पद पर नियुक्त किये गए। ‘सबका साथ-सबका विकास’ भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा महाराष्ट्र प्रदेश जैन प्रमुख़, सहप्रमुख, जिल्हा प्रमुख, सहप्रमुख की संघटन के कार्य हेतु प्रदेश कार्यालय नरीमन पॉइंट, मुम्बई में प्रदेश अध्यक्ष मा. जमालजी सिद्धिकी की अध्यक्षता में एवं भाजपा प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष, अल्पसंख्यक कल्याण समिति के अध्यक्ष, विदर्भ वैधानिक विकास महामंडल के अध्यक्ष चैनसुख संचेती के मुख्य अतिथि एवं प्रदेश अल्पसंख्यक महामंत्री सिकंदर शेख, प्रदेश जैन प्रमुख प्रशांत मानेकर के नेतृत्व में सभा का आयोजन किया गया, इस अवसर पर शैलेश संघवी ने कहा ‘मैं भाजपा के पदाधिकारियों का बहुत शुक्रगुजार हुं कि उन्होंने मुझे मुंबई के जैन अल्पसंख्यक मोर्चा समुदाय का कार्यभार सौंपा। भारत सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा, रोजगार, आर्थिक आदि क्षेत्र में अनेक प्रावधान हैं जिससे हमारा जैन समुदाय अभी तक वाकिफ नहीं है, इन्हीं योजनाओं को विविध कार्यक्रमों के जरिये समाज को अवगत करने का काम हम करेंगे, आज के डिजिटल युग में इंटरनेट, सोशल मीडिया के माध्यम से समाज के हर स्तर के लोगों तक जागरूकता हम लाएंगे ताकि हम जैन भी अपने जीवन का स्तर ऊँचा कर संके। मुंबई के विभिन्न भागों से लोगों को जोड़कर उन भागों के लिए समितियाँ बनायीं जाएगी और हम-सब मिलकर इस दिशा में जैन समाज के लिए कार्य कर नयी उचाइयाँ अर्जित करेंगे, यह आप सभी के सहयोग से यह संभव हो पायेगा।’ मुंबई के रियल एस्टेट क्षेत्र में पिछले पैंतीस सालों से अग्रणीय संघवी ए३ गु्रप के शैलेश संघवी MCHI CREDAI के सदस्य स्पोट्र्स कन्वेनर तथा मीरा- विरार यूनिट के उपाध्यक्ष हैं, जैन इंटरनॅशनल ऑर्गनायजेशन (जिओ) के डायरेक्टर एवं एग्जीक्यूटिव चेयरमैन, स्पोट्र्स के पद पर भी कार्यान्वित हैं। टीएमयू के रिद्धि-सिद्धि भवन में आचार्यश्री और गणिनी प्रमुख का जन्म दिवस मनाया गया तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी रिद्धि-सिद्धि भवन में आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज एवं गणिनी प्रमुख आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माता जी के अवतरण दिवस पर भक्ति भजन संध्या का आयोजन हुआ। शरद पूर्णिमा की शुभ तिथि पर आचार्यश्री १०८ विद्यासागर जी महाराज और गणिनी प्रमुख आर्यिका रत्न श्री ज्ञानमती माता जी का जन्मदिवस मनाया जाता है, इस वर्ष आचार्यश्री विद्यासागर जी का ७४ वां और गणिनी प्रमुख आर्यिका रत्न ज्ञानमती माता जी का ८५ वां अवतरण दिवस मनाया गया, इस उपलक्ष्य में सुबह टीएमयू जिनालय में शांतिनाथ भगवान का अभिषेक, शांतिधारा और आरती की गई। कार्यक्रम में टीएमयू कुलाधिपति सुरेश जैन, टीएमयू फस्र्ट लेडी श्रीमती वीना जैन, गु्रपवाइस चेयरमैन मनीष जैन और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रिचा जैन के अलावा डॉ. एसके जैन एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रितु जैन, डॉ. अर्चना जैन आदि की विशेष मौजूदगी रही, इस मौके पर ऋषभदेव इंटरनेशनल अवार्ड से सम्मानित कुलाधिपति को सभी श्रावक-श्राविकाओं ने बधाईयां दी। सिविल इंजीनियरिंग विभागाध्यक्ष प्रो. रवि जैन बोले, हमें गुरूवर के चरण ही नहीं बल्कि आचरण छूने की कोशिश करनी चाहिए। विद्याधर से आचार्यश्री विद्यासागर जी और मैना से गणिनी प्रमुख आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माता जी बनने तक का सफर कठिनतम, व्रत, तप, साधना, संयम का सहारा लेकर तय हुआ। दोनों ही संत जन कल्याण की अनेकों योजनाओं के प्रेरणा स्त्रोत रहे। श्रावक सम्भव जैन ने मंगलाचरण कर कार्यक्रम की शुरूआत की। अरिहंत जैन ने …..कभी तो ये गुरूवर मांझी बन जाते हैं……, सम्कित जैन ने ……करता रहूं गुणगान मुझे दो ऐसा वरदान……, अर्पिता जैन ने ……घोर तपस्वी गुरूवर हैं ऐसा मैंने सुन रखा था….., शशांक जैन ने ……रंग बरसाओ ना भक्ति जगाओं ना……, …..सारे के सारे भक्त मिल के पुकारें……, आकांक्षा जैन ने ….प्रभु आपकी कृपा से सब काम हो रहा है……, शोभित जैन ने …..मितवा रे सुमिरन अवसर आयो……, साक्षी जैन ने ……किसी का दिल दुखाना……आदि भजनों के जरिए छात्र-छात्राओं ने पूरे रिद्धि-सिद्धि भवन को गुंजायमान कर दिया। तत्पश्चात महाआरती का आयोजन हुआ। प्रसाद के रूप में मेवा युक्त दूध का वितरण किया गया। फैकल्टी अर्चना जैन ने छात्र-छात्राओं से आचार्यश्री और माताजी पर आधारित प्रश्न पूछे। विशेष जैन, सिमोन जैन, शशांक जैन और आकांक्षा जैन ने प्रश्नों का सही उत्तर देकर पुरस्कार प्राप्त किया। संचालन प्रो. रवि जैन ने किया, इस मौके पर विक्की जैन, डॉ. अश्विनी जैन, अक्षत जैन, संकल्प जैन, रिषभ जैन, मितांश जैन, वैभव जैन, अरिहंत जैन, पार्थ जैन आादि श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे। -श्याम सुंदर भाटियामीडिया प्रबन्धक७५००२०००८५