दीपावली पर ५० परिवारों को राशन के साथ-साथ कपड़े एवं मिठाईयां दी गई

महिला शाखा भगवान महावीर सेवा सोसाइटी

इंन्द्रदिन्न सुरिश्वर जी म. के जन्म दिन के उपलक्ष में उपप्रवर्तक प्रवचन दिवाकर श्री पीयूष मुनि जी म. के पावन सानिध्य में दीपावली के उपलक्ष में राशन वितरण समारोह सिविल लाईन्ज़ के जैन स्थानक में आयोजित किया गया। समारोह का शुभारंभ महामन्त्र नवकार के सामुहिक उच्चारण से शुरू किया गया। महिला शाखा की प्रधान निलम जैन एवं महामंत्री रिचा जैन ने कहा दीपावली खुशियों का त्यौहार है जो परिवार हमारे साथ जुड़े हुए हैं उनकी भी दिवाली पहले से कैसे अच्छी हो उसमें हमें यथायोग्य सहयोग करना चाहिए, आज इस कार्यक्रम में तकरीबन ५० परिवारों को राशन के साथ-साथ कुलदीप ओसवाल-कुसुम जैन परिवार के ओर से फैंन्सी कोटियों, अश्वनी जैन-मोती लाल जैन, सन बराईट होज़री परिवार की ओर से सभी को मिठाईयां, दीए, मोमबत्तीयां एवं अन्य समान दिये गये

संस्था के संयोजक राकेश जैन ‘प्रधान’ भगवान महावीर सेवा संस्थान पंजी. ने कहा कि यह हमारी समाजिक जिम्मेवारी भी है जो परिवार आज असहाय महसूस कर रहे हैं उनकी सहायता कर हम पुण्य का उपार्जन करें, इस मौके पर महिला शाखा भगवान महावीर सेवा सोसायटी की कार्यकारिणी सदस्य सोनिया जैन, रजनी जैन, भाणू जैन, नीरा जैन एस. के., प्रवेश जैन, सुषमा जैन, निरू जैन, शालनी जैन, विदूषी जैन, फूल चन्द जैन, रमा जैन, नीरा जैन, विनोद देवी सुराणा, मंजू सिंघी, मीना जैन, रजनी जैन, पूनम जैन, उपमा जैन एवं भगवान महावीर सेवा संस्थान के प्रधान राकेश जैन, उप-प्रधान राजेश जैन, आंचल जैन, सुनील गुप्ता, राकेश अग्रवाल इत्यादि गणमान्य उपस्थित थे।

-नीलम जैन
प्रधान-महिला शाखा

आचार्य श्री के निश्रा में प्रकट प्रभावी घंटाकर्ण
महावीर का हवन पूजन हुआ सम्पन

नागपुर : ६ नवम्बर २०१८ आचार्य श्री देवेंद्रसागरजी के मंगलकारी निश्रा में वर्धमाननगर संभवनाथ जैन मंदिर में कृष्ण पक्ष की चौदस के उपलक्ष्य में श्रद्धालुओं द्वारा घंटाकर्ण महावीर देव का पूजन हवन आयोजित किया गया था, बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। आचार्य श्री ने बताया कि कृष्णा चौदस सर्व शक्तिमान श्री घंटाकर्ण महावीर देव का कृपा दिवस है। इस दिन सात्विक मनोभावों, समर्पण एवं निष्ठापूर्वक देव दरबार में हर मनोकामना देवकृपा से अवश्य पूर्ण होती है। श्री घंटाकर्ण महावीर देव रोग, शोक, भय संकट, प्रेत बाधा, अग्नि भय का निवारण करने वाले प्रभावशाली देवता हैै।

जिन्हें जैन, हिंदू और बौद्ध परंपराओं में समान रूप से विशिष्ट गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त है। आचार्य श्री ने आगे कहा की घंटाकर्ण देव का मूल स्थान जैनियों के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक महुडी तीर्थ है। इस स्थान को प्राचीनकाल में मधुमती के नाम से जाना जाता है और २००० साल पुरानी सभ्यता के सबूत आज भी यहां मिलते है। आचार्य देव बुद्धिसागरसूरीश्वरजी ने इस मंदिर के निर्माण की शुरूआत तपस्या करने के बाद की थी। इस मंदिर में भगवान घंटाकर्ण महावीर मंदिर की पूजा की जाती है जो क्षत्रिय राजा तुंगाभद्रा के रूप में बनी हुई है और इनके हाथ में तीर और धनुष है। विभिन्न धर्मो से लोग यहां आते है, इस मूर्ति के दर्शन करते है और अपनी मन्नत पूरी होने की दुआ करते है। लोगों का मानना है कि इस मूर्ति में चमत्कारी शक्तियां है जो लोगों के दुख: हर लेती है। हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते है और दान के रूप में सुखाडी देते है, माना जाता है कि यह देवता का पसंदीदा भोजन है।

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