आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का ७३वां जन्मोत्सव श्रद्धापूर्वक मनाया गया

खजुराहो

विश्व पर्यटन नगरी खजुराहो में आचार्य श्री विद्यासागरजी का पावन चातुर्मास चल रहा है जो अंतिम चरण की ओर अग्रसर है। आचार्य श्री का जन्मदिन श्रद्धालुओं ने श्रद्धा भाव से मनाया, इस अवसर पर खजुराहो, जो कि अब स्वर्णोत्सव तीर्थ के नाम से जाना जाएगा, उक्त स्वर्णोत्सव जैन मंदिर की भव्य आधार शिला का पूजन किया गया।मंदिर निर्माण स्थल पर आचार्य श्री तथा मुनि संघ के सानिध्य में शिला पूजन किया गया। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का ७३वां जन्मोत्सव श्रद्धापूर्वक मनाया गया उक्त शिला पूजन में जैन भक्तों ने आचार्य श्री के सामने निर्माण सामग्री के उपयोग में आनेवाले गेंती,फावड़ा, तागड़ी आदि उपकरणों की बोली लगाकर
दान दिया गया, सबसे ज्यादा बोली कुपी वाले जैन परिवार वालों ने लेकर दान दिया, वहीं कार्यक्रम में दिल्ली की महिला श्रद्धालु ने अपने हाथ के दोनों सोने के कंगन दान किये।

विदित हो कि जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज त्याग और तप के आज सबसे बड़े उदाहरण है, सांसारिक मोह भोग विलासिता से दूर जीव जंतु कल्याण हेतु अनवरत यात्रा जारी है। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज नमक, शक्कर, घी, तेल एवं हरी सब्जियों का हमेशा के लिए त्याग कर चुके हैं तथा रात्रि में मात्र २ घंटे का विश्राम करते हैं एवं अपने जीवन का लगभग ३ गुना जीवन बीत जाने के पश्चात ढलती उम्र के बावजूद भी प्रतिदिन लगभग १० से ३० किलोमीटर तक की पैदल यात्रा कर सकते हैं। आहार क्रिया दिन में एक बार भोजन एवं जल लेने के बाद भी चेहरे में तेज, चमक एवं चाल में तेजी को देखकर सहजता से उम्र का अनुमान लगाना मुश्किल है। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज इन दिनों भारत के अति पिछड़े क्षेत्रों में आने वाले बुंदेलखंड क्षेत्र के तरण तारण में आगमन हुआ, लंबी यात्रा के पश्चात खजुराहो में चातुर्मास होने का गवाह अतिशय क्षेत्र ‘जैन मंदिर खजुराहो’ बना, जहां देश ही नहीं विदेशों से भी जैन धर्मावलंबियों का आना अनवरत जारी है।

सहयोग अपील

भारत वर्ष में अनेक शिक्षण संस्थाएं हैं लेकिन अहार जी का संस्कृत विद्यालय अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है, यहां छात्रों के सर्वांगीण विकास के अंतर्गत उन्हें नैतिक व आध्यात्मिक संस्कार दिये जाते हैं, विद्यालय में हर प्रान्त के छात्र आते हैं, आज विद्यालय से निकले छात्र भारत के विभिन्न सरकारी तथा सामाजिक संस्थानों में उच्च पदों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। विद्यालय प्रशांत एवं सुरम्य वातावरण में स्थित है। विशाल विद्यालयीन भवन के अतिरिक्त छात्रों के लिए सुविधायुक्त छात्रावास है, विद्यालयीन भवन के अलग-अलग कमरों में कक्षायें लगती है एवं बीच में एक ६३*२० फिट का हॉल है, छात्र इस हॉल में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, गोष्ठियाँ तथा सभायें आयोजित कर अपनी प्रतिभा व क्षमता का प्रदर्शन करते हैं।

छात्रों के शारीरिक विकास हेतु व्यायाम तथा विभिन्न प्रकार के खेलों का नियमित आयोजन किया जाता है, एक लघु चिकित्सालय भी है जिसमें योग्य चिकित्सक की सहायता से छात्रों का उपचार किया जाता है। बागवानी के लिए एक उद्यान भी है जिसकी देख-रेख छात्र करते हैं। भोजन की उत्तम व्यवस्था के साथ छात्रों को स्वल्पाहार, दूध, घी, फल एवं गणवेश, किताब, कॉपियाँ आदि सामग्री नि:शुल्क दी जाती है। सप्ताह में एक दिन विशेष प्रकार का भोजन दिया जाता है। वर्तमान में छात्रावास में कक्षा ६ से १२ तक के ५३ छात्र अध्ययनरत हैं, इनके साथ ७ अध्यापक शिक्षण कार्य में कार्यरत हैं।

छात्रावास हेतु एक कुशल अधीक्षक की व्यवस्था है, यहां छात्रों को धार्मिक एवं आधुनिक ज्ञान के साथ लौकिक व प्रायोगिक शिक्षा प्रदान की जाती है, जिससे छात्रों को शारीरिक, मानसिक, सांस्कृतिक, व्यवहारिक, नैतिक, अध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता रहता है, छात्रों को पूजन, शास्त्रों प्रवचन आदि का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है, तकनीकी ज्ञान हेतु छात्रों को कम्प्यूटर शिक्षा भी दी जाती है।

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