भ. ऋषभनाथ की तरह अपने आचरण को भी ऊंचा बनायें-राष्ट्रपति

ज्ञान, वैराग्य, करूणा से ही अहिंसा संभव

ऋषभदेवपुरम् मांगीतुंगी में जैन समाज की सर्वोच्च साध्वी भारतगौरव गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के पावन सान्निध्य में आयोजित विश्वशांति अिंहसा सम्मेलन का उद्घाटन भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द जी ने किया, साथ में प्रथम महिला नागरिक श्रीमती सविता कोविन्द, महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री सी. विद्यासागर राव जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, केन्द्रीय रक्षा राज्यमंत्री भारत सरकार डॉ. सुभाष भामरे, नासिक जिले के पालक मंत्री गिरीश महाजन, वाशिम के विधायक राजेन्द्र पाटणी आदि अनेक नेतागण पधारे। महोत्सव का शुभारंभ प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी के मंगलाचरण एवं प्रस्तावना भाषण के साथ हुआ, तत्पश्चात् समारोह में पधारे माननीय राष्ट्रपति जी ने एवं पधारे अतिथिगणों ने कार्यक्रम का दीप प्रज्जवलन किया।

माननीय राष्ट्रपति जी का स्वागत कमेटी के अध्यक्ष स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी ने भगवान ऋषभदेव की मूर्ति की प्रतिकृति प्रदान कर किया। प्रथम महिला नागरिक श्रीमति सविता कोविन्द का स्वागत कमेटी के कार्याध्यक्ष अनिल जैन दिल्ली एवं संघस्थ ब्रह्माचारिणी कु. बीना जैन ने किया। माननीय राज्यपाल जी का स्वागत कमेटी के अधिष्ठाता इंजी. सी. आर. पाटिल, मुख्यमंत्री जी का स्वागत कमेटी के महामंत्री संजय पापड़ीवाल पैठण एवं मंत्री विजय कुमार जैन जम्बूद्वीप ने, समारोह की अध्यक्षता कर रहे डॉ. सुभाष भामरे का स्वागत कमेटी के कोषाध्यक्ष प्रमोद कुमार कासलीवाल औरंगाबाद ने किया। मूर्ति निर्माण के विषय में जानकारी प्रदान करते हुए संस्थान के अध्यक्ष रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी ने बताया कि किस प्रकार से मूर्ति का निर्माण एवं इसका महोत्सव इतनी कुशलता के साथ सम्पन्न किया गया, शासन-प्रशासन के सहयोग की प्रशंसा करते हुए स्वामीजी ने बताया कि हमें बिजली, पानी, सुरक्षा, सड़के आदि व्यवस्थाएं प्रशासन के द्वारा बहुत कम समय में उपलब्ध कराई गई, जिससे महोत्सव को एक वर्ष तक निराबाध रूप से किया गया,

विश्व में अहिंसा और शांति का वातारण बने: राष्ट्रपति

अहिंसा का बहुत बड़ा व्यापक शब्दार्थ है। मन, वचन, काय किसी भी रूप में किसी भी जीवधारी को पीड़ा न पहुंचाना, प्राणी मात्र के प्रति पे्रम, सौहार्द, करूणा, सम्मान का भाव हो। विश्व शांति महासम्मेलन का मांगीतुंगी, नासिक में उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने व्यक्त किए। ज्ञान के बिना वैराग्य नहीं होता और वैराग्य के बिना करूणा का भाव जागृत नहीं होता ओर करूणा के बिना कोई अहिंसा का पालन नहीं कर सकता, कहते हुए राष्ट्रपति ने दीक्षा के लम्बे ६६ वर्ष तथा ८४ वर्ष की आयु पर बधाई देते हुए स्वस्थ मंगल की कामना की, उन्होंने कहा तीर्थंकरों ने धर्म को पूजा से निकालकर व्यवहार और आचरण में लाने का मार्ग दिखाया और समझाया कि मानव मात्र के प्रति करूणा भाव और संवेदनशील होना ही धर्म है, यहां इतनी ऊंची १०८ फुट प्रतिमा अपने ऊंचे पद से मापदण्ड तय किये हैं, हम-सब भी अहिंसा धर्म का पालन करते हुए अपने आचरण को भी ऊंचा बनाकर रखें, तभी यह कार्यक्रम सार्थक होगा। विश्वशांति एवं अिंहसा सम्मेलन की आयोजन समिति को ओर इससे जुड़े सभी लोगों को मैं बधाई देता हूँ, उन्होंने एक ऐसे विषय को इस सम्मेलन के लिए केन्द्र में रखा, जो आज की दुनिया के लिए परम आपश्यक है, आप सब के प्रयास सफल हों, विश्व में हिंसा के स्थान पर अहिंसा का और अशांति के स्थान पर शांति का वातारण बने, ऐसी मेरी शुभकामना है।

सर्वोच्च दिगम्बर जैन प्रतिमा-ग्रंथ का विमोचन

माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा भगवान ऋषभदेव इंटरनेशनल अवार्ड तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुरेश जैन को प्रदान किया गया। मांगीतुंगी मूर्ति निर्माण एवं महोत्सव से संबंधित ग्रंथ ‘सर्वोच्च’ दिगम्बर जैन प्रतिमा’ नामक ग्रंथ का विमोचन राज्यपाल जी के द्वारा समिति के मंत्री जीवन प्रकाश जैन एवं विजय कुमार जैन ने करवाया, माननीय राज्यपाल महोदय ने इसकी प्रथम प्रति माननीय राष्ट्रपति जी को भेंट की। मूर्ति निर्माण के इतिहास की जानकारी एक फिल्म के द्वारा एल. ई. डी. स्क्रीन पर माननीय राष्ट्रपति जी को दिखाई गई,भगवान ऋषभदेव मूर्ति निर्माण की सम्प्रेरिका भारत गौरव गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने अपने प्रवचन में बताया कि भगवान ऋषभदेव, जो कि भारतीय संस्कृति के आद्य प्रणेता हैं, जिनके द्वारा सभी शिक्षाओं का प्रतिपादन किया गया है, आज सारे विश्व में शांति की अत्यन्त आवश्यकता है, जिसकी ज्योति जलाने के लिए माननीय राष्ट्रपति जी इस पावन धरती पर पधारे हैं, यहां से यह शांति का संदेश सारे देश और दुनिया में प्रसारित होगा, पूज्य माताजी ने कहा कि हमें यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता है कि हमारे भारत देश के राष्ट्रपति पूर्णरूपेण शाकाहारी हैं। डॉ. सुभाष जी भामरे ने कहा कि भगवान ऋषभदेव की मूर्ति भारतीय संस्कृति की धरोहर है।

भ. ऋषभदेव के संदेश जन-जन तक पहुंचाएंगे:
मुख्यमंत्री फडणवीस, महाराष्ट्र राज्य

माननीय मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि मूर्ति निर्माण के प्राण प्रतिष्ठा में शासन-प्रशासन के द्वारा जो भी योजनाएं हमारे समक्ष लाई गई थी, उनमें जो भी कार्य शेष रह गया है, उनको हम शीघ्र ही सुचारू रूप से सम्पन्न करायेंगे एवं मूर्ति निर्माण कमेटी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर भगवान ऋषभदेव एवं माताजी के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने में सहयोगी बनेंगे। नासिक शासन-प्रशासन से जुड़े समस्त अधिकारियों ने अत्यन्त ही अल्प समय में हैलीपेैड, सुरक्षा एवं माननीय राष्ट्रपति जी के आगमन से जुड़ी सभी तैयारियों को सुचारू रूप से सम्पन्न किया गया, जिसके लिए मूर्ति निर्माण कमेटी, मांगीतुंगी आभारी है। कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. जीवन प्रकाश जैन एवं विजय कुमार जैन (मंत्री) ने किया।

अ.भा. दि. जैन महिला अधिवेशन:

महोत्सव के द्वितीय दिन अखिल भारतीय दिगम्बर जैन महिला संगठन का अधिवेशन सम्पन्न हुआ, जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमति सुमन जैन-इंदौर, महामंत्री श्रीमती मनोरमा जैन, विकासपुरी दिल्ली, रेखा पतंग्या इंदौर आदि महिलाएं समिल्लित हुई, इसी अवसर पर अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन युवा परिषद द्वारा घोषित आलेख लेखन प्रतियोगिता के पुरस्कारों का वितरण किया गया एवं मुख्यरूप से जयपुर से पधारे राष्ट्रीय महामंत्री उदयभान जैन एवं राजस्थान प्रान्त के अध्यक्ष दिलीप जैन, विमल बज आदि पधारे, अजय कुमार जैन, आरा ‘गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती पुरस्कार’ से सम्मानित तृतीय दिवस गणिनी श्री ज्ञानमति माताजी की महापूजा सांगली भक्तमण्डल के द्वारा विशेष हर्षोल्लास के साथ पं. दीपक उपाध्याय के नेतृत्व में सम्पन्न की गई एवं इस अवसर पर सांगली से लगभग ५०० लोग पधारे, संस्थान के सर्वोच्च पुरस्कार गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती पुरस्कार से सम्मेदशिखर दि. जैन बीसपंथी कोठी-मधुबन के अध्यक्ष एवं बिहार तीर्थंक्षेत्र कमेटी के पूर्व मानद मंत्री वर्तमान संरक्षक अजय कुमार जैन आरा, पटना को सम्मानित किया गया, जिसमें २५१००० रूपये की सम्मान राशि, प्रशस्ति पत्र, शॉल, श्रीफल आदि प्रदान किया गया, यह पुरस्कार श्री वीरा फाउण्डेशन ट्रस्ट नई दिल्ली के सौजन्य से दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान, जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर के पदाधिकारियों द्वारा प्रदान किया गया।

पूज्य माताजी के करकमलों में नवीन पिच्छी भेंट करने का सौभाग्य प्रदीप कुमार जैन खारी बावली-दिल्ली एवं कमण्डल भेंट करने का सौभाग्य सुनील कुमार मीनाक्षी जैन सर्राफ-मेरठ को प्राप्त हुआ, इस अवसर पर पूज्य माताजी का चरण प्रक्षाल करने का सौभाग्य संघपति अनिल कुमार जैन प्रीत विहार-दिल्ली, मनोरमा, महेशचंद जैन दिल्ली, सुभाषचंद जैन साहू-जम्बूद्वीप, नरेश बंसल-गुड़गांव, सुनील कुमार जैन सर्राफ मेरठ एवं प्रद्युम्न कुमार अमरचंद जैन सर्राफ टिकैत नगर वालों ने प्राप्त किया, इस अवसर पर ८५ लोगों ने पूज्य माताजी को शास्त्र समर्पण किया। महोत्सव में देश के अनेक प्रान्तों के साथ विशेषकर मुम्बई महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, गुजरात, हैदराबाद, बिहार, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि प्रान्तों से हजारों भक्तगण पधारे, विशेष रूप से पूज्य माताजी की जन्मभूमि टिकैतनगर (बाराबंकी) उ.प्र. से लगभग २०० लोगों को श्री जयकुमार मदनलाल जैन टिकैतनगर वालों ने नि:शुल्क ट्रेन के माध्यम से महोत्सव में लाने का पुण्य प्राप्त किया।

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