जिन शब्दों में बोझ कम हो वही प्रार्थना भगवान तक पहुंचती है
जिन शब्दों में बोझ कम हो वही प्रार्थना
जिन शब्दों में बोझ कम हो वही प्रार्थना भगवान तक पहुंचती है, मांडू के छोटा दिगम्बर जैन मंदिर में पर्युषण पर्व मनाया जा रहा है, सुबह ६ बजे से समाज के सभी अनुयाई मंदिर में उपस्थित हो जाते हैं, समाज के सभी अनुयाई मंदिर में पूजा-अर्चना, विधानमंडल के साथ भगवान की अंगरचना कर रहे हैं। सुरेश गंगवाल जैन ने ‘जिनागम’ को बताया कि मूलाचार पढ़ने में एक गाथा आती है कि हर संसारी जीव चाहता है वह इच्छित वस्तु को प्राप्त करे, परंतु किसी भी संसारी प्राणी के पास सुख नहीं है। संसार में सबसे बड़ा सुख चक्रवर्ती के पास होता है, हम दूसरों को नहीं सुधार सकते परंतु स्वयं को तो बदल सकते हैं। सत्संग करने से जीवन में ज्ञान का समावेश होता है,भक्ति के बिना ईश्वर के दर्शन नहीं होते जो ईश्वर की भक्ति करता है उसे जीवन में कभी भी पीछे पलट कर नहीं देखना पड़ता। अच्छे कर्म करने से यश कीर्ति सुख समृद्धि बढ़ती है। मनुष्य का आचरण उसके स्वभाव में परिवर्तन लाता है। सत्संग में विचारों का होना जरूरी है, जिन शब्दों में बोझ कम होता है वही प्रार्थना भगवान तक पहुंचती है। भगवान के दरबार में निश्चल बनकर जाओ और मन में विश्वास और प्रायश्चित का भाव हो तो एक दिन भगवान जरूर मिलेंगे। मनुष्य ने कर्म को क्रूर बना दिया है। नित्य प्रतिक्रमण कर व्यक्तित्व को इतना सुंदर बना दिया कि लोगों को आपके अंदर भगवान के दर्शन हो। आटे में नमक चलता है परंतु नमक में आटा मिला रहे हो, इसलिए समाज में क्लेश बढ़ रहा है। खाने में अच्छा खाते हो तो फिर व्यवहार में भी बुराई की जगह अच्छाई ग्रहण करो। भक्ति संगीत कार्यक्रम में भजन गायक नितिन गंगवाल और रॉबिन गंगवाल ने ‘नाम है तेरा पालन हारा, कब तेरे दर्शन होंगे’, जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर वह कितना सुंदर होगा..
गुरु मेरी पूजा गुरु भगवान : जैसे भजनों की प्रस्तुति दी। पूजा-अर्चना में इंदिरा गंगवाल जैन, मुकेश गंगवाल जैन, सरला गंगवाल जैन, दिलीप गंगवाल जैन, रानी गंगवाल जैन, संजय सेठी जैन, अर्चना सेठी जैन, नितिन गंगवाल जैन, गुड्डी गंगवाल जैन, विधान गंगवाल जैन, झलक सेठी जैन आदि समाजजन मौजूद थे।
अणुविभा द्वारा बालोदय एज्यूट्यूर का शुभारंभ
राजसमंद: अणुव्रत विश्व भारती द्वारा संचालित बाल-संस्कार के विभिन्न प्रकल्पों के बीच ‘बालोदय एज्यूट्यूर’ नाम से नई प्रवृत्ति कर शुभारंभ किया गया, इसके अंतर्गत बाहर आने वाली स्कूलों को मेवाड़ भ्रमण से साथ-साथ बच्चों के आदर्श व्यक्तित्व निर्माण के लक्ष्यगत विभिन्न कार्यक्रमों को शामिल किया। अणुविभा के अध्यक्ष संजय जैन ने ‘जिनागम’ को बताया कि आने वाले वर्षों में ‘बालोदय एज्यूट्यूर’ के माध्यम से देश-भर की स्कूलों के लिए राजसमंद एक आकर्षण का केंद्र बन जाएगा।
बालोदय एज्यूट्यूर के समन्वयक महेंद्र गुर्जर ने बताया कि यह कार्यक्रम अणुविभा द्वारा लंबे समय से आयोजित किए जा रहे बालोदय शिविरों से कुछ अलग है, इसमें बच्चों को बालोदय प्रवृतियों के साथ-साथ मेवाड़ के ऐतिहासिक दर्शनीय स्थलों के उद्देश्यपरक भ्रमण भी शामिल किया है, पहले बालोदय एज्यूट्यूर में शामिल सीकर की ज्ञानज्योति एकेडमी के ५६ बच्चों और शिक्षकों के समूह के अनुभवों को बताते हुए स्कूल के प्रबंधक सैयद आसिफ ने बताया कि ऐसे टूर की हमने कल्पना नहीं की थी। ‘चिल्ड्रन्स पीस पैलेस’ जैसी प्राकृतिक स्थली बच्चों को स्वर्गिय आनन्द की अनुभूति करा रही है, इसके साथ यहां की चित्र प्रदर्शनी, फिल्म शो, योगा व जीवनशैली का पाठ पढ़ाने वाली यहां की दिनचर्या बच्चों को न सिर्पâ हमेशा याद रहेगी वरन् उनके जीवन को संवारने में भी सहायक बनेगी।
उल्लेखनीय है कि टूर के पहले दिन बच्चों ने बालोदय प्रवृत्तियों में भाग लिया और कुंभलगढ़ दुर्ग के ऐतिहासिक से दो-चार हुए, इस दिन उदयपुर में सहेलियों की बाड़ी, फतेहसागर, प्रताप स्मारक आदि दर्शनीय स्थलों का भ्रमण करते हुए लोककला मंडल में कठपुतलियों व लोकनृत्य से भी रूबरू हुए, तीसरे दिन हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप की शौर्य गाथाओं ने बच्चों को रोमांचित किया। राजसमंद की नौचौकी में वैज्ञानिकता और कलात्मकता का सम्मिश्रण देख बच्चे चकित रह गए। पूरे समूह का रात्रि प्रवास अणुविभा के अतिथिगृह में रहा। प्रात:कालीन योगा सत्र सायंकालीन सांस्कृतिक संध्या व बस यात्रा में रोचक गेम्स व एक्टिविटीज ने इस शैक्षिक भ्रमण को गुणवत्ता के नए आयाम प्रदान किए। रवानगी से पूर्व स्वूâल व अणुविभा में संवाद कार्यक्रम में अणुविभा के अध्यक्ष संजय जैन, उपाध्यक्ष सुरेश कावड़िया, गणेश कच्छारा एवं अशोक डूंगरवाल, विमल जैल व ज्ञानज्योति के शिक्षक और शिक्षिकाओं ने इस पर चिंतन किया कि भ्रमण कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने जो मूल्यपरक बातें जाना-सीखी हैं उन्हें वैâसे निरंतर प्रयासों द्वारा संपुष्ट किया जा सके।