राजपुत परिवार की तान्या दीक्षा ग्रहण करके बनेगी जैन साध्वी

Rajput

अगर परिवार या आसपास के माहौल में आपका कोई अग्रज कोई सराहनीय काम करता है तो एक सच्चे इंसान की इंसानियत यही कहती है कि आपको भी उनका अनुसरण करना ही चाहिए, इसी संदेश को अमर करने के लिए रायकोट की तान्या भी राजपूती शान-ओ-शौकत को त्याग चुकी|वह अपनी बड़ी बहन के नक्श-ए-कदम पर चलते हुए अहिंसा परमो धर्म: को धारण की, अब १० फरवरी के बाद से एक जैन साध्वी के रूप में उनकी नई पहचान होगी। ये है मूल सांसारिक पहचान: तान्या राजपूत परिवार से संबंध रखने वाली लुधियाना के अमरीक सिंह बिट्टू के घर १३ दिसम्बर २००२ को जन्मी तीन बेटियों में मंझली बेटी है,संके १० पढ़ी तान्या ५ वर्ष की अल्पायु में जब पहली कक्षा में थी तो तीसरी कक्षा में पढ़ रही बड़ी बहन मुस्कान (अब प्रतिष्ठा जी महाराज) के साथ रायकोट (पंजाब) में जैन साध्वियों के साथ रहकर पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड से १०वीं की। १ फरवरी २०१५ को जहां महासाध्वी श्वेता जी महाराज की शिष्या के रूप में मुस्कान ने जैन दीक्षा ग्रहण कर ली, वहीं अब उन्ही के पदचिन्हों पर चलते हुए तान्या ने भी संसारिक सुखों को त्याग सुमन महाराज की शिष्या के रूप में दीक्षा ग्रहण करने का फैसला किया है। १० फरवरी को होगा दीक्षा महोत्सव: महासाध्वी ओमप्रभा जी महाराज की सुशिष्या पदमप्रभा जी महाराज ने बताया कि १६ साल की तान्या की केसर रस्म २७ जनवरी २०१९ को, मेहंदी की रस्म ९ फरवरी को होगी। १० फरवरी को रायकोट (लुधियाना) में ध्यानयोगी एवं जैन धर्म के चर्तुर्थ पट्धर आचार्य सम्राट शिवमुनि महाराज एवं उत्तर भारतीय प्रवर्तक प्रज्ञा महर्षि सुमन मुनि महाराज की आज्ञानुवर्ती शासन प्रभाविका उपप्रवर्तनी महासाध्वी वैâलाशवती महाराज की सुशिष्या एवं उपप्रवर्तनी महासाध्वी चन्द्रप्रभा महाराज की सुशिष्या पंजाब सिंहनी स्वर्ण संयम आराधिका महासाध्वी ओमप्रभा जी महाराज के सान्निध्य में उनकी दीक्षा होगी, इसके लिए निकाली जाने वाली शोभायात्रा में हरियाणा व पंजाब के अलावा अन्य प्रदेशों से हजारों श्रद्धालु भाग लेेंगे, इसके साथ बड़ी दीक्षा का आयोजन १७ फरवरी को होगा।

मयुर पिच्छी अहिंसा और संयम का महान प्रतिक: मुनी विशुद्धसागर जी

चिकलठाणा (महाराष्ट्र): मयुर पिच्छी अहिंसा और संयम का महान प्रतिक है, दिगंबर जैन मुनी मयुर पिच्छी बिना सात कदम भी नहीं चल सकते, इस पिच्छी के कारण ही दिगम्बर जैन मुनी- ‘तप’ ‘त्याग’ ‘संस्कार’ का आशिश प्रदान करते हैं, जो श्रावक पिच्छी प्रदान करने का सौभाग्य प्राप्त करता है वह बड़ा पुण्यशिल होता है, ऐसा उद्बोधन और संदेश धर्मनगरी औरंगाबाद में प्रख्यात दिगंबराचार्य विशुद्ध सागरजी मुनी श्री ने हिराचंद कासलीवाल प्रांगण में ‘‘पिच्छिी परिवर्तन समारोह’’ में हजारों भाविकों के सामने दिया। औरंगाबाद का जैन समाज संपूर्ण भारत वर्ष के लिये, गुरूसेवा के लिये तत्पर एवम अग्रसर रहता है, ऐसा मुनीश्रीजी ने कहा, इस अवसर पर अ‍ॅड. डि.बी. कासलीवाल, प्रविण लोहाडे, देवेंद्र, प्रकाश कासलीवाल, ललित पाटणी, एम.आर. बडजाते, भागचंद बिनायका, चांदमाल चांदिवाल, महेंद्र ठोले, पत्रकार एम.सी. जैन तथा हजारों श्रावक उपस्थित थे।

महिलाओं से ही भारतीय संस्कृति सुरक्षित-डॉ. दत्ता कोहिनकर

पुणे: हर क्षेत्र में कार्य करने की क्षमता महिलाओं में हैं। राजमाता जीजाऊ, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, क्रांति ज्योति सावित्रीबाई फुले आयरन लेडी इंदिरा गांधी जैसी अनगिनत महिलाओं ने देश को महान सुपुत्र दिए, उन्हें अच्छे संस्कार दिए, भारतीय संस्कृति को सुरक्षित रखने में महिलाएं सदा अग्रस्थान पर रहीं, उनके कार्यों का हमें सम्मान करना चाहिए, यह विश्वशक्ति इंटरनेशनल सेंटर प्रमुख विश्वस्त डॉ. दत्ता कोहिनकर ने कहा, वे सूर्यदत्ता एजूकेशन फाउंडेशन के सूर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स द्वारा नवरात्रि उत्सव निमित्त बावधन के सूर्यदत्ता एजूकेशन वैâम्पस में आयोजित ‘सूर्यदत्ता शास्त्रोंशक्ति पुरस्कार’ प्रदान समारोह में बोल रहे थे, इस अवसर पर स्टै्रटजिक फोरसाइट ग्रुप के वरिष्ठ सलाहकार सचिव इटकर, सूर्यदत्ता ग्रुप की उपाध्यक्षा डॉ. सुषमा चोरड़िया, वरिष्ठ पुलिस निरिक्षक अनुजा देशमाने, सूर्यदत्ता एजूकेशन इंस्टीट्यूट के संचालक शैलेंद्र कासंडे उपस्थित थे। शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक, पत्रकारिता एवं महिला सबलीकरण आदि विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाली नौ महिलाओं को ‘सूर्यदत्ता शास्त्रों शक्ति पुरस्कार’ देकर सम्मानित किया गया, इनमें आवेदा इमानदार (शिक्षा), सरिताबेन राठी (आध्यात्मिक), मनीषा लुनावत (अध्यात्म), मुक्ता पुणतांबेकर (समाजसेवा), डॉ. नीलिमा देसाई (समाजकार्य), तृप्ति देसाई (महिला सबलीकरण), मनीषा दुगड़ (उद्योग), अनुजा देशमाने (प्रशासन सेवा) नम्रता फडणीस व मिलन म्हेत्रे (पत्रकारिता) का समावेश है, अपने भाषण में डॉ. दत्ता कोहिनकर ने आगे कहा कि जहां महिलाओं का सम्मान होता है वहां का माहौल आनंदमय हो जाता है, सर्व शक्तियों का वास होता है। प्रकृति ने भी शास्त्रों को माता, पत्नी, बहन, सहेली के रूप में महत्वपूर्ण स्थान दिया है, जो हमारे जीवन को प्रेरणा देती है। सचिन इटकर ने कहा कि महिलाएं पुरूषों के मुकाबले एक कदम आगे रहकर समाज में काम करती है, उनका कार्य प्रेरणादायी है, अंत में पुरस्कार प्राप्त महिलाओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. संजय चोरडिया ने स्वागत व प्रास्ताविक किया। सुनील धनगर ने सूत्र-संचालन व शैलेंद्र कासंडे ने आभार प्रदर्शन किया।

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