सांसारिक सुखों का त्याग कर लिया सन्यास
संन्यास लेने वालों में दो सगी बहनें शामिल हमेशा पैदल चलेंगी और जमीन पर सोएंगी घर-परिवार त्यागकर निकली तीनों लड़कियां मुंबई: भिवंडी में जैन समाज की तीन लड़कियों ने दीक्षा लेकर संन्यास धारण कर लिया, इनमें दो सगी बहनें दीक्षा लेकर मुमुक्षु दीपिकाबेन से प.पू.सा.श्री ज्ञानर्षिनिधि श्रीजी म.सा. एवं मुमुक्षु जिनलबेन से प.पू. सा.श्री खेमर्षिनिधि श्रीजी म.सा. और मुमुक्षु भक्तिबेन से प.पू.सा.श्री द्वादशांगनिधि श्रीजी म.सा. हो गई हैं।भिवंडी स्थित गोकुलनगर मैदान में एक भव्य कार्यक्रम में श्रमणी गणनायक प.पू. आचार्य श्री अभयशेखर सुरीश्वरजी म.सा. द्वारा तीनों मुमुक्षु कुमारियों को दीक्षा देकर सांसारिक जीवन से मुक्त कर दिया। साध्वी बनने के बाद तीनों लड़कियां अपना घर,परिवार त्यागकर एक दिन के विहार के लिए चली गई। दो दिन बाद वापस आने पर ये तीनों शिवाजी चौक स्थित आराधना भवन में श्री पोरवाल श्वेताम्बर जैन ट्रस्ट द्वारा आयोजित वाचना सत्र में अन्य साध्वी के साथ शामिल हुई और वाचना सत्र समाप्त होने के बाद अलग-अलग क्षेत्रों में विहार करने के लिए निकल गयीं।तीनों ने साध्वी बनने के लिए बहुत ही कठिन व्रत लिया है, बिना जूताचप्पल के कभी न चलने वाली ये लड़कियां अब जिंदगी पर चप्पल नहीं पहनेंगी, अपने पास एक पैसा भी नहीं रखेंगी, हमेशा पैदल चलेंगी और जमीन पर सोएंगी। विहार के दौरान अपना सामान भी स्वयं लेकर जाएंगी, इनके पास सिर्फ दो जोड़ी कपड़ा एवं भोजन करने के लिए लकड़ी का एक पात्र रहेगा। भिक्षा मांगकर दिन में दो बार भोजन करेंगी। सुबह सूर्योदय होने के ४८ मिनट के बाद और शाम को सूर्यास्त होने के पहले भोजन कर लेंगी, उसके बाद रात्रि में कुछ भी नही लेंगी, यहां तक की बीमार होने पर भी रात में दवा नहीं लेंगी। बिजली, पंखा, लाइट, वाहन सहित किसी भी प्रकार के संसाधन का उपयोग कभी भी नही करेंगी।मुमुक्षु कुमारी दीपिकाबेन एवं जिनलबेन की बड़ी बहन और मौसी भी दीक्षा लेकर साध्वी बन गई हैं, उनके संपर्क में रहने के बाद ये दोनों बहनें भी कठिन व्रत का पालन करने के लिए घर-परिवार त्याग कर निकली हैं। जन्मभूमि बनेंगी अब तीर्थ भूमि : आचार्य विश्वरत्न सागरसूरि राजगढ़(धार) गुरूदेव की जन्मभूमि अब तीर्थ भुमि बन चुकी हैं। गुरूदेव के अधूरे सपने को हम पूरी सिद्धत से पूर्ण कर रहे हैं। आपकी निश्रा में ४० मंदिरों का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ था, तीन वर्षों बाद अनेक मंदिरों में प्रतिष्ठा हो चुकी हैं, शेष मंदिरों में कार्य प्रगति पर हैं। ५५० वर्षों पश्चात् एक ऐसी पूण्यात्मा का जन्म राजगढ़ नगर में हुआ जिन्होंने पूरे विश्व में जैनसमाज के नाम रोशन किया और मालवांचल में ५५० वर्षों के अंतराल बाद जिनशासन की पताका को सभी ओर लहराया हैं।उक्त बातें आचार्यश्री नवरत्नसागरसूरिश्वरजी के पट्धर युवाचार्य श्री विश्वरत्न सागरसूरिश्वरजी ने नवरत्न आराधना भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही, इसके पूर्व आपके नगर प्रवेश पर भव्य शोभायात्रा निकाली गई। आचार्यश्री ने कहा कि नवरत्न सागरजी ने अपने जप-तप के बल से मालवांचल में जिनशासन के कार्यों को अत्यंत सफलता पूर्वक संपन्न कराया, आपने गच्छ परंपरा की सीमाओं को लांघकर आमजनों से जैन शासन को जोड़ने का अभूत पूर्व कार्य किया, सभा के प्रारंभ में समाज के वरिष्ठ जवेरीलाल जैन एवं निर्मल जैन ने उपस्थितजनों को गुरूवंदन कराया। शुभारंभ में नवरत्न बहुमण्डल एवं विनीता, अल्का एवं रेखा जैन ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। नगर प्रवेश पर हुई भव्य आगवानीआचार्यश्री अपने मुनिमण्डल सहित प्रातः ९ बजे नवरत्न आराधना भवन पहुंचे, यहां पर ऋषभदेव मोतिलाल ट्रस्ट अध्यक्ष मनोहर जैन, सचिव राजेश कामदार ने आगवानी की, इस अवसर पर पूर्व अध्यक्ष दिनेश संघवी, ट्रस्टी सुरेश कांग्रेसा, संदिप जैन, सुनिल संघवी, पुष्पेंद्र कांग्रेसा, बसंतलाल मुठरिया सहित अनेक गणमान्य नागरिक मौजूद थे। शहर में निकली शोभायात्रा आचार्यश्री के मंगल प्रवेश समारोह के अवसर पर भव्य शोभायात्रा निकाली गई, इसमें नगर की विभिन्न महिला मण्डल की सदस्याएं मंगल कलश लेकर चल रही थी, नगर के १० महिला मण्डल ने शोभायात्रा में सहभागिता की, मण्डल की तय पौषाखों में महिलाओं की उपस्थिति आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी। नगर के सभी मुख्य मार्गों से होती हुई शोभायात्रा पुनः नवरत्न आराधना भवन पहुंची, रास्ते में अनेक स्थानों पर अक्षत एवं श्रीफल से गहुली कर आचार्यश्री की आगवानी की गई, शोभायात्रा के प्रारंभ में ऋषभदेव मोतिलाल ट्रस्ट के ट्रस्टियों व पदाधिकारीयों की ओर से नवकारसी व्यवस्था की गई थी, नवरत्न भवन में आयोजित धर्मसभा को आचार्यश्री के अलावा युवामुनिश्री किर्तीरत्न सागरजी, उदयरत्न सागरजी, उज्जवलरत्नजी, पद्मरत्नजी, लब्धीरत्नजी एवं बालमुनि रम्यरत्नजी ने निश्रा प्रदान की, साथ ही साध्वीमण्डल ने भी निश्रा दी। दो आचार्यों का हुआ मिलन यूवाचार्यश्री विश्वरत्नजी ने चालनीमाता से विहार कर प्रसिद्ध जैन तीर्थ मोहनखेड़ा में पहुंचे, गुरूदेवश्री राजेंद्रसूरिश्वरजी के समाधि मंदिर में दर्शन-वंदन किए एवं तीर्थ पर विराजित गच्छाधिपति आचार्यश्री ऋषभचंद्रसूरिश्वरजी से मुलाकात की, इस दौरान तीर्थ विकास, जिनशासन एवं तीर्थों की सुरक्षा के संबंध में विचार-विमर्श हुआ।आचार्यश्री, अमझेरा स्थित अतिप्राचीन श्री अमिझरा पाश्र्वनाथ जैन तीर्थ पर १० फरवरी को पहुंचें, आपकी निश्रा में तीर्थ पर वार्षिक ध्वजारोहण समारोह का आयोजन हुआ, इसके पूर्व आप राजगढ़ में ५ फरवरी का आयोजित महामांगलिक श्रवण कराकर धार स्थित जैन तीर्थ भक्तांबर के लिए प्रस्तावना की, धार में भक्तांबर तीर्थ पर आयोजित प्रतिष्ठा महोत्सव में निश्रा प्रदान की गयी। जिनागम के प्रबुद्ध पाटक का हुआ आकस्मिक निधन यदि समय रहते सहयात्रियों का सहयोग मिला होतातो शायद देवकुमार आज भी हमारे बीच होते जीवन के अंतिम समय में निष्ठुरता व अमानवीय व्यवहार के शिकार हुए देवकुमार बेंगलुरू: व्यक्ति के जीवन में मानवता का होना बहुत जरूरी है, मानवता सबसे बड़ा तीर्थ माना जाता है, कहा जाता है कि यदि मानवता का गुण विद्यमान है तो घर भी तीर्थ समान है, फिर भी शास्त्रों में तीर्थ स्पर्शना की महिमा बताई गई है और हर धर्म के व्यक्ति अपनी अपनी मान्यतानुसार तीर्थों की यात्रा करते हैं, ऐसी ही एक तीर्थ यात्रा में हाल ही में बेंगलुरू के जैन सुश्रावक धर्मनिष्ठ देवकुमार जैन का सम्मेतशिखर तीर्थ पर अचानक देवलोकगमन हो गया, यह सामान्य घटना होती तो हम भी इसका जिक्र यहां नहीं करते परन्तु देवकुमारजी के दोनों पुत्र अभयकुमार एवं सुरेशकुमार का एक पत्र सोशल मीडिया पर सार्वजनिक हुआ जिसमें उन्होंने अपने पिता के अंतिम समय के घटना क्रम का बड़ी वेदना के साथ वर्णन किया है और दुख जताया है कि जिस व्यक्ति ने हमेशा धर्म और धार्मिक संस्थाओं से पूरी निष्ठा से जुड़ाव रखा, उस व्यक्ति के अंत समय में उसको और उसके परिवार को उनके हाल पर छोड़कर यात्रा कर रहे सब लोग आगे बढ़ गए। सोशल मीडिया पर वायरल हुए पत्र में बेटों ने लिखा है कि उनके पिता देवकुमार जैन कांकरेज प्रगति समाज द्वारा आयोजित एक ११ दिवसीय जैन तीर्थयात्रा संघ में करीब ४०० तीर्थयात्रियों के साथ सफर कर रहे थे, उनके साथ उनके परिवार के अन्य पांच सदस्य भी उस तीर्थ यात्रा संघ में शामिल थे। सम्मेतशिखरजी तीर्थ पहुंचकर देवकुमार की ह्रदयगति कम हो जाने से वे अचेतन अवस्था में पहुंच गए, इस सामूहिक यात्रा में डॉक्टर की उपलब्धता न होने के कारण उन्हें तुरंत अस्पताल में रैफर किया गया। ४०० यात्रियों का समूह जिसमें शायद स्व. देवकुमारजी अधिकतर लोगों को जानते-पहचानते होंगे, मूकदर्शन बना खड़ा रहा और इक्का-दुक्का व्यक्ति को छोड़कर कोई भी उनकी मदद को आगे नहीं आया, यह कैसी मानवता या कैसी प्रभु भक्ति है, एक तरफ हमारा साथी जीवन व मौत के बीच में संघर्ष कर रहा हो, हम उसे असहाय छोड़कर प्रभु भक्ति में लगे रहें, माना किसी आयोजन में बहुत खर्च व व्यवस्था लगती है परन्तु एक व्यक्ति, वह भी देवकुमार जैसे मिलनसार और बहुपरिचित व्यक्ति को विकट परिस्थिति में किसी अनजान शहर में दूसरों के सहारे छोड़कर अपने आगे के गंतव्य को निकल जाना एक बेहद अमानवीय कृत्य रहा।व्यक्तिगत यात्रा पर जाने से पहले हर व्यक्ति अपने स्तर पर हर प्रकार की तैयारी करके जाता है और जब इस प्रकार कई दिनों की सामूहिक व सार्वजनिक यात्रा हो तो तैयारियां बड़े व व्यापक स्तर पर करनी होती हैं।आयोजन मंडल में सुरेन्द्रगुरूजी जैसे अनुभवी व्यक्ति होते हुए भी पूरी यात्रा में डाक्टर का न होना एक बहुत बड़ी भूल थी, पत्र में जिक्र किया गया है कि डाक्टर की उपलब्धता न होना एक तरफ है परन्तु यात्रा आयोजन मंडल के सदस्यों की मानवता, सहयोग, आपसी प्रेम की भावना का नदारद होना या साथी यात्रियों की निष्ठुरता कई बार बहुत भारी पड़ जाती है और ऐसा ही हुआ देवकुमार जैन के साथ। स्व. देवकुमार जैन के ज्येष्ठ पुत्र अभयकुमार जैन ने बताया कि उनके पिता के अंतिम समय में उनके साथ इतना बुरा हुआ कि जिसे कहने में भी ह्रदय फटता है, उन्होंने बताया कि यात्रा संघ में शामिल सभी व्यक्ति (एक-दो को छोड़कर) उनके पिता को मरणासन्न अवस्था में छोड़कर आगे चल दिए। सम्मेतशिखर से हॉस्पिटल तक पहुंचाने वाली एक गाड़ी भी बिना इंतजार तुरताफुरती में अस्पताल से बिना कोई सूचना दिए कब वापस रवाना हो गई, पता ही नहीं। प्राथमिक उपचार न मिलने के कारण देवकुमार को वहां से करीब ४० किलोमीटर दूर गिरिडीह अस्पताल के लिए रैफर किया गया।साधनों की उपलब्धता न होने के कारण गिरिडीह अस्पताल पहुंचने में देर हो गई और देवकुमारजी की सांसे पूरी तरह थम गईं। अभय ने बताया कि अस्पताल पहुंचने पर देवकुमारजी को मृत घोषित बताया गया, जिसके बाद पोस्टमार्टम जैसी अन्य ह्रदयविदारक औपचारिकताओं से उनका सामना हुआ, अभय ने बताया कि आयोजन समिति यदि समय रहते तेजी से उपचार का इंतजाम करवा सकती तो शायद आज देवकुमारजी हमारे बीच होते, उनका कहना है कि ह्रदयगति रूक भी जाए तब भी प्राथमिक उपचार से प्रयास तो करने ही पड़ते हैं, इतना ही नहीं यदि पूरा यात्रा संघ साथ होता तो कम से कम पोस्टमार्टम जैसी विषम परिस्थितियों से बचा जा सकता था, यदि संघ में डाक्टर होता तो भी पोस्टमार्टम की प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ता, उनकी डेथ सर्टिफिकेट काम आ जाती। अभय ने बताया कि व्यक्ति चला जाता है उसकी भरपाई करना तो मुश्किल है परन्तु ऐसे विकट समय में यदि अपने परिचित अपने साथ खड़े रहते हैं और ढाढस बंधाते हैं तो दुख हल्का हो जाता है परन्तु ऐसा हमारे साथ कुछ नहीं हुआ और हमारे अपने परिचित, रोज उठने-बैठने वाले लोग भी हमें अधर में छोड़कर आगे चले गए, यह कैसी मानवता है, यह कैसा परिचय और अपनापन है, अभय ने बताया कि पत्र में तो परिस्थितियों को बहुत ही शालीनता से बताया गया है परन्तु वास्तिवकता इसके और भी भयावह है, अभय ने ऐसी बातें भी बताई कि सुनकर किसी का भी दिल भर आए।अभय ने यह भी बताया कि देवकुमार जैन आदिनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर ट्रस्ट के सदस्य व लब्धिसूरी जैन धार्मिक पाठशाला के चेयरमैन थे, इसलिए चिकपेट ट्रस्ट को भी इस पूरी घटनाक्रम के बाबत एक पत्र दिया गया है। कुछ दिनों से यह पत्र सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है और एक सोच को जन्म देता है कि कहां जा रहा है हमारा समाज, क्या हम मात्र आयोजन करने में विश्वास रखते हैं, किसी के जीवन का हमारे लिए कोई महत्व नहीं है? ऐसी घटनाएं हमें एक सबक देकर जाती हैं कि हम जब भी कोई सामाजिक व सामूहिक आयोजन करें तो इस प्रकार की संभावित विकट परिस्थितियों से निपटने के लिए एक योजना बनाएं और उसकेआधार कर कार्य करें, किसी भी यात्रा के आयोजकों को समझना चाहिए कि कोई भी आयोजन किसी व्यक्ति के जीवन से बड़ा नहीं हो सकता।आयोजन तो फिर किए जा सकते हैं परन्तु इस दुनिया से गया व्यक्ति कभी वापस नहीं आता। देवकुमार जैन की आकस्मित मौत समाज के सामने अनेक अनसुलझे प्रश्नों का पुलिंदा छोड़ गई है जिन पर गहन व सार्थक चिंतन व मनन होना चाहिए। -अभय देवकुमार जैन, बैंगलुरू भारतीय जैन संस्कृती में महिलाओं को उचित स्थान तथापंचामृत अभिषेक का अधिकार मिले – राष्ट्रसंत आचार्य देवनंदिजी चिकलठाणा (महाराष्ट्र): महाराष्ट्र के प्रख्यात संकटहार पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र ‘जैनगिरी जटवाडा’ में २ फरवरी से ६ फरवरी २०१९ तक जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन किया गया, जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समापन समारोह पर बोलते हुए प्रज्ञाश्रमण राष्ट्रसंत सारस्वताचार्य देवनंदिजी ने कहा कि भारतीय जैन संस्कृती में महिलाओं को सदैव उचित स्थान दिया जाये तथा ‘पंचामृत अभिषेक’ करने का अधिकार भी प्राचीन समय से महिलाओं को दिया जाये। यह भी प्रासंगिक है। एम.सी.जैन जैन समाज का पूजनीय तीर्थ महावीर जी मेंजैन सोशल ग्रुप का राष्ट्रीय अधिवेशन सम्पन्न महावीर जी: दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप फेडरेशन का २३वाँ राष्ट्रीय अधिवेशन व रजत जयन्ती वर्ष समारोह गत २६ व २७ जनवरी, २०१९ को पावन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीर जी में धूम-धाम के साथ सानन्द सम्पन्न हुआ। फेडरेशन के संस्थापक अध्यक्ष श्रीमान् प्रदीप कुमार सिंह कासलीवाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष हंसमुख जैन गांधी, महासचिव आर.के.जैन (एक्साईज), कोषाध्यक्ष राकेश विनायका, कॉन्फ्रेंस प्रभारी राजेश जैन लॉरेल व परामर्शक, संरक्षक (अधिवेशन) महेन्द्र पाटनी, अनिल जैन (आई.पी.एस.), सुरेन्द्र जैन पांडया, नवीन सैन जैन, सुरेन्द्र कुमार पाटनी, रीजन अध्यक्ष अतुल बिलाला, ग्रुप सूत्रधार श्रीमती मालती जैन व सम्पूर्ण राजस्थान रीजन के मार्गदर्शन, सानिध्य के साथ समारोह के आयोजन का गुरूत्तर दायित्व कॉन्फ्रेंस चैयरमेन व आयोजक ग्रुप संस्थापक अध्यक्ष यशकमल अजमेरा के कुशल नैतृत्व में दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप डायमण्ड जयपुर ने उठाया और इस राष्ट्रीय समारोह के आयोजन में नया कीर्तिमान रचते हुये इस भव्य अधिवेशन को नयी बुलन्दिया प्रदान की। कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष आनन्द अजमेरा, सचिव मुकेश जैन, कोषाध्यक्ष रमेश छाबड़ा, को-चेयरमेन पारस कुमार जैन, मुख्य समन्वयक भारत भूषण जैन (प्रशा), राजकुमार अजमेरा, प्रमोद जैन सोनी, विनोद जैन कोटखावदा, मनीष बैद (प्रिन्ट एवं मिडिया) व सम्पूर्ण डायमंड टीम के सभी सदस्य इस आयोजन में कन्धे से कन्धा मिलाकर जुटे हुये थे और सुनिश्चित कर रहे थे कि व्यवस्थाओं में कोई कसर न रह जाये, समारोह में आये किसी भी सदस्यगण को किसी भी प्रकार की समस्या/असुविधा न हो, सभी के आवास की समुचित व्यवस्थाएँ की गयी थी और विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन परोसकर मेहमान नवाजी भी की गयी।समारोह के प्रथम दिन गणतन्त्र दिवस पर सुबह की शुरूआत राष्ट्रीय ध्वजारोहण के साथ शुरू हुई। राष्ट्रीय अध्यक्ष हंसमुख गांधी ने सैकड़ों सदस्यों की उपस्थिति में ध्वजारोहण का कार्य सम्पादित किया, तत्पश्चात मुख्य मंदिर जी परिसर में देवाधिदेव भगवान महावीर के अभिषेक और सामुहिक महावीर विधान की संगीतमय पूजा की गयी व सदस्यों ने आल्हादित मन और भक्ति भाव से पूजा विधान में भाग लिया। दोपहर के भोजन के पश्चात मुख्य मण्डप में खुला मंच कार्यक्रम आयोजित हुआ, इस कार्यक्रम में विभिन्न सदस्यों एवं पदाधिकारियों ने फेडरेशन व समाज से संबंधित विभिन्न ज्वलन्त मुद्दों, समस्याओं, विषयों पर विचार रखे, तत्पश्चात फेडरेशन के संस्थापक अध्यक्ष प्रदीप कुमार सिंह कासलीवाल ने इन पर अपनी सारगर्भित टिप्पणियाँ व्यक्त की, इसके बाद आयोजित नेक्रोलोजी कार्यक्रम में फेडरेशन व ग्रुपों की दिवंगत विभुतियों को श्रद्धांजली अर्पित की गयी। रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। शाम के समय का मंजर न भूला देने वाला था, जब सायंकालीन भोजन पश्चात मंदिर जी प्रांगण में १००८ दीपकों से संगीत की सुर लहरियों के साथ सभी के द्वारा भगवान महावीर की महाआरती की गयी, देर तक सभी सदस्य भक्ति रस में डूबे संगीत की ताल परभक्ति नृत्य करते रहे। बॉलीवुड गायक चिन्तन बाकलीवाल ने अपनी आवाज के जादू से इसमें चार चांद लगा दिये। प्रथम दीप प्रज्वलित कर महाआरती के पुण्यार्जक रहे इन्दौर निवासी श्रेष्ठी शील कुमार जी जैन साहब, आज के दिन का अन्तिम कार्यक्रम था, भव्य सांस्कृतिक समारोह, जिसमें दीप प्रज्वलन का शुभ कार्य सम्पादित किया दुर्गापुरा निवासी श्रीमान निहाल चन्द जी दोषी ने। समारोह की अध्यक्षता करोली जिलाधीश नन्नू मल पहाडिया के द्वारा की गयी। मुख्य अतिथि थे श्री राकेश कुमार जी लुहाड़िया व विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थिति प्रदान कर कार्यक्रम को गोरवान्वित किया उज्जैन निवासी समाज सेविका श्रीमती स्नेह लता सोगानी व कंस्ट्रक्शन व्यवसायी श्रीमान जितेन्द्र चौधरी ने। भव्य सांस्कृतिक संध्या में डायमण्ड ग्रुप जयपुर द्वारा मंगलाचरण व नृत्य की प्रस्तुती के साथ विभिन्न गु्रपों, जिसमें जबलपुर नगर, जबलपुर मेन, सम्यक उज्जैन, संगीनी फॉरएवर जयपुर के द्वारा आनन्दित कर देने वाली मनोहारी प्रस्तुतियां दी गयी, इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों की अरिहन्त नाट्य संस्था द्वारा बहुत ही रोचक ज्ञानवर्धक नाटक ‘‘कुटुम्ब’’ माता-पिता के चरणों में प्रस्तुत किया गया, जिसका सभी ने पूर्ण आनंद लिया व कार्यक्रम की भूरी-भूरी प्रशंसा की गई, अगले दिन २७ तारीख को सुबह हजारों सदस्य गणों, पदाधिकारी गणों द्वारा आम जन को सन्देश देते हुए सर्वप्रथम ग्रीन महावीर जी-क्लीन महावीर जी के उद्घोष के साथ एक शानदार रैली का आयोजन किया गया एवं श्री महावीर जी में रीजनके सभी ग्रुपों के द्वारा वर्ष भर सघन वृक्षारोपण का संकल्प भी लिया गया। रैली के पश्चात सभी समारोह के विधिवत उद्घाटन हेतु ध्वजारोहण के कार्यक्रम के लिए मुख्य मंदिर जी के पूर्वी प्रांगण में एकत्रित हुए जहाँ मुख्य ध्वजारोहण श्रेष्ठी रमेश चंद यशकमल अजमेरा द्वारा किया गया एवं प्रत्येक तीर्थकर को नमन करते हुए डायमण्ड ग्रुप के सदस्यों व सम्पूर्ण फेडरेशन पधादिकारियों ने परिवार सहित २४ ध्वज और फहराये, यह आयोजन बहुत ही रोचक, शानदार तथा गरिमापूर्ण रहा। दिव्यघोष जयपुर से पधारी महिला सदस्यों के ग्रुप ने बहुत ही सुन्दर बैंडवादन किया। आदर्श महिला महाविद्यालय की छात्राओं के द्वारा मनमोहक नृत्य के रूप में मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। हजारों की संख्या में उपस्थित सभी ने इस कार्यक्रम का भरपूर आनन्द लिया व सराहना की, इसके उपरांत अति भव्य बने मुख्य मंडप के उद्घाटन के कार्य के साथ मुख्य कार्यक्रमों की शुरूआत हुई। मंडप उद्घाटन का शुभ कार्य नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रेष्ठी राजेश लॉरेल (इंदौर) परिवार द्वारा किया गया, प्रथम सत्र के मुख्य कार्यक्रम में देश भर से पधारे श्रेष्ठि गणों में मुख्य अतिथि के रूप में समाजरत्न राजेंद्र के गोधा, समारोह अध्यक्षता के रूप में सुधांशु कासलीवाल, गौरवमयी उपस्थिति के रूप में माननीय जस्टिस (रिटायर्ड) एन. के. जैन, अध्यक्ष सिद्धा ग्रुप श्रेष्ठि सी.पी. पहाडिया साहब, रत्न व्यवसायी बापू नगर निवासी श्रेष्ठी श्री जितेन्द्र कुमार जैन, श्रेष्ठि मानद मंत्री अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी महेंद्र कुमार पाटनी, विशिष्ठ अतिथि के रूप में अध्यक्ष श्रमण संस्कृति संस्थान गणेश राणा, रत्न व्यवसायी विवेक काला, समाज सेवी श्रीमान् राजीव जैन (गाजियाबाद) व द्वितिय सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में वैशाली नगर निवासी ट्रांसपोर्ट व्यवसायी गजेंद्र कुमार जी, प्रवीणजी, विकास बड़जात्या व विशिष्ठ अतिथि के रूप में पूर्व उपाध्यक्ष नगर पालिका किशनगढ़ श्रेष्ठि प्रदीप चौधरी किशनगढ़ निवासी, एम.डी. एम.आर. एल. ट्रांसपोर्ट प्रा०लि० श्रेष्ठि प्रवीण चौधरी भीलवाड़ा निवासी, ट्रस्टी पंच बालयति मंदिर श्रेष्ठि महेश जैन, अध्यक्ष जैन समाज दिल्ली श्रेष्ठि चक्रेश जैन, रत्न व्यवसायी श्रेष्ठी सुदीप, प्रतीक जी ठोलिया, समाज सेवी-मुनि भक्त श्रेष्ठि कैलाश चन्द छाबड़ा मोजमाबाद वाले, एम.डी. जैनको इण्डस्ट्रीज श्रेष्ठि बसंत जैन तथा स्मारिका विमोचनकर्ता के रूप में श्रेष्ठी सुरेंद्र कुमार जैन मिंटू भैया वैशाली नगर, श्रेष्ठी सुरेंद्र कुमार बड़जात्या (उगरियावास वाले) दुर्गापुरा निवासी ने उपस्थिति प्रदान कर समारोह को गौरवान्वित किया। समाजभूषण राजेंद्र जैन को समाज के लिए अतुलनीय योगदान प्रदान करने परलाईफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया। कॉन्फ्रेंस चेयरमैन यशकमल अजमेरा के स्वागत उद्धबोधन के पश्चात विभिन्न गणमान्य अतिथियों एवं पदाधिकारीयों सर्वश्री प्रदीप कासलीवाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष हंसमुख जैन गांधी, महासचिव आर.के.जैन (एक्साईज) आदि ने अपने विचार व्यक्त करते हुये सभा को सम्बोधित किया, सभी अतिथियों का भाव भीना स्वागत सत्कार किया गया तथा यादगार स्वरूप सभी को भगवान महावीर के प्रतिक चिन्ह प्रदान किये गए।मंच संचालन समाजसेवी मनीष बैद द्वारा किया गया। दोपहर के भोजन पश्चात सबसे विशिष्ट महत्वपूर्ण बैनर प्रजेंटेशन एवं अवार्ड वितरण का कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ, जिसमें देश भर से पधारे ग्रुपों ने अपना-अपना बैनर प्रजेंटेशन किया व वर्ष भर की अपनी उपलब्धियों को स्क्रैप बुक के जरिये बताया व अवार्ड भी प्राप्त किये, इस बार बैनर प्रजेंटेशन में अपनी विशेष प्रस्तुति देकर जयपुर के ही मैत्री ग्रुप ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, कार्यक्रम में विभिन्न ग्रुपों द्वारा वर्ष पर्यन्त किये गए श्रेष्ठ कार्यों का भी मंच से उल्लेख किया गया व उन्हें विभिन्न अवार्डों से सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय पदाधिकारीगण, रीजन पदाधिकारीगण व राजेंद्र के गोधा साहब व समस्त विज्ञापनकर्ता, अतिथिगणों के अहम योगदान के साथ-साथ इस सम्पूर्ण आयोजन में अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी कमेटी के पदाधिकारियों व अध्यक्ष सुधांषु कासलीवाल व मानद मंत्री महेंद्र पाटनी व सम्पूर्ण कार्यकारणी सहित समस्त कर्मियों का योगदान व सहयोग अतुलनीय रहा, जिन्हें मंच से बहुत-बहुत साधुवाद व आभार प्रदान किया गया, अति महत्वपूर्ण निर्णय नए राष्ट्रीय अध्यक्ष, महासचिव एवं कोषाध्यक्ष की घोषणा भी इसी सत्र में की गयी। राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए राजेश लॉरेल, राष्ट्रीय महासचिव चुने गए राकेश विनायका, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष चुने गए श्री रमेश बडजात्या, सभी को बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएं प्रदान की गयी।कार्यक्रम समन्वयक थे श्री अमरचंद जैन, श्रीमति चंदा सेठी, राजेंद्र रांवका, दीपशिखा जैन, राजेंद्र सेठी व सहसमन्वयक थे। श्री अनिल दीवान, सुनील संगही, अरविन्द काला, टीकम चन्द जैन, सुरेंद्र जैन, अजित जैन, उत्तम कासलीवाल, सुरेश जैन व सम्पूर्ण व्यवस्था समिति प्रभारी/ संयोजक गण सायंकालीन भोजन के साथ दिलों में अधिवेशन की शानदार अमिट यादें समेटे सदस्यों के लौटने का सिलसिला शुरू हुआ जो देर रात तक जारी रहा।राष्ट्रीय पदाधिकारियों, रीजन पदाधिकारियों के कुशल निर्देशन एवं कॉन्फ्रेंस चैयरमैन के नेतृत्व में सम्पूर्ण डायमण्ड टीम के अथक परिश्रम के फल स्वरूप आयोजन सफलता के शिखर पर आरोहित हुआ। -कॉन्फ्रेंस चैयरमैन – यशकमल अजमेरादिगम्बर जैन सोशल ग्रुप डायमंड, जयपुर