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Jinagam Magazine

३० मार्च राजस्थान स्थापना दिवस

पूर्व संध्या पर किया गया राजस्थानी संस्थाओं का सम्मान राजस्थान स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित भव्यातिभव्य ‘आपणों राजस्थान’ कार्यक्रम में उपस्थित दिलिप सांगानेरिया, वरिष्ठ पत्रकार व सम्पादक बिजय कुमार जैन ‘हिंदी सेवी’, प्रसिद्ध समाजसेविका व लोढा फाऊंडेशन की संस्थापिका श्रीमती मंजु लोढा, कार्यक्रम समन्वयक एवं अग्रबंधु सेवा समिति के ट्रस्टी कानबिहारी अग्रवाल, राष्ट्रपति सम्मान प्राप्त ‘जैन एकता’ के परम समर्थक हिरालाल साबद्रा व शब्दों के जाल बुनने वाले प्रख्यात मंच संचालक त्रिलोक सिरसरेवाला लोखंडवाला: मुंबई का ह्रदय कहा जाने वाला सभ्रांत इलाका लोखंडवाला कॉम्पलेक्स में स्थित लोखंडवाला गार्डेन क्र.२ में चतुर्थ वर्षीय ‘आपणों राजस्थान’ कार्यक्रम की रंगारंग शुरूआत...
मन को आनंद, उत्साह और ऊर्जा भरा बनाती है संबोधि साधना

मन को आनंद, उत्साह और ऊर्जा भरा बनाती है संबोधि साधना

जोधपुर: राष्ट्रगौरव, ध्यानगुरु संत चंद्रप्रभ जी ने कहा कि स्वस्थ रहने के पांच चरण हैं प्रॉपर डाइट, प्रॉपर एक्सरसाइज, प्रॉपर ब्रीदिंग, प्रॉपर मेडिटेशन और प्रॉपर रिलैक्सेशन। संबोधि साधना इन पांचों चरणों को सीखने की वैज्ञानिक और व्यावहारिक पद्धति है। संबोधि का मतलब है सम्यक बोध या संपूर्ण बोध। होश और बोध पूर्व जीवन जीने की आध्यात्मिक कला का नाम है संबोधि साधना, उन्होंने कहा कि मन के चार प्रकार है- होटल मन, हॉस्पिटल मन, होम मन और हेवन मन। होटल मन अर्थात भोग विलास में डूबा हुआ मन, हॉस्पिटल मन अर्थात बीमार मन, होम मन यानी संतुलित मन और हेवन...
१६वीं लोकसभा के अंतिम भाषण में मोदी ने कहा ‘मिच्छामि दुक्कडम्’

१६वीं लोकसभा के अंतिम भाषण में मोदी ने कहा ‘मिच्छामि दुक्कडम्’

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने १६वीं लोकसभा में अपने अंतिम भाषण में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्यों से गिले-शिकवे भुलाने की अपील करते हुये ‘‘मिच्छामि दुक्कडम्’’ के साथ माफी माँगी, अंतिम सत्र की अंतिम बैठक में बुधवार को श्री मोदी ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, गृहमंत्री राजनाथ सिंह और सत्ता पक्ष तथा विपक्ष के सभी सदस्यों को धन्यवाद दिया, साथ ही उन्होंने ‘‘मिच्छामि दुक्कडम्’’ कहते हुये सदन के सभी सदस्यों से कहा- सुनी के लिए माफी माँगी, उन्होंने कहा, ‘‘कई बार तीखी नोंक-झोंक भी हुई, कभी इधर से हुई, कभी उधर से हुई, कभी कुछ ऐसे शब्दों...

श्री क्षेत्र धर्मस्थल: इतिहास और परम्परा

आज से लगभग सात सौ वर्ष पूर्व कुडुमा ग्राम के ग्राम-प्रमुख गृहस्थ श्री विरमण्णाजी हैगड़े के द्वारा धर्मस्थल की ‘‘हैगड़े परम्परा’’ का प्रारम्भ हुआ था, आज जो ‘‘धर्मस्थल’’ नाम से प्रतिष्ठित है, इसी छोटे से ग्राम का प्राचीन नाम ‘‘कुडुमा’’ था। कुडुमा का हैगड़े परिवार ही ग्राम का प्रधान परिवार था, यह परिवार सदैव से अपनी धर्मनिष्ठा, सदाचरण और उदारता के लिये विख्यात रहा है, प्राचीन काल में इस ग्राम का एक नाम ‘‘मल्लारमाडी’’ भी था। हैगड़े परिवार अडिग आस्थावान जैन परिवार है, अष्टम तीर्थंकर चन्द्रनाथस्वामी की उपासना और आराधना इनके यहाँ सदाकाल से चली आ रही है, निवास स्थान...

हेग्गडे परिवार द्वारा सेवित धर्मसाधना पीठ: धर्मस्थल

भारत में जैनधर्म प्राचीन काल से विद्यमान है। विशेषत: दक्षिण भारत में और उसमें भी कर्नाटक में दीर्घ काल से जैनसत्ता प्रभावी होने के कारण उन राजकर्ताओं ने जैनधर्म का प्रचार-प्रसार किया। विशेषत: दक्षिण कन्नड जिले में राणी अब्बक्का एवं उसके पूर्व भी अनेक जिनमंदिर एवं साधनास्थलियों का निर्माण हुआ। कर्नाटक के दक्षिण कन्नड जिले के इन घाटियों में बसे मूडबिद्री, वेणूर, वाईनाड, कारकल ऐसे अनेक क्षेत्रों में धर्मस्थल तीर्थक्षेत्र ने अपना विशेष स्थान बनाया हुआ है, कर्नाटक के मेंगलोर जिले में बेल्तंगडी तालुका में धर्मस्थल यह क्षेत्र अपनी अतिशयता एवं हेग्गडे परिवार की भक्ति से एवं सुचारु रुप से...