उत्तम क्षमा- जैन क्षमावाणी पर्व दिगम्बर संप्रदाय का पर्युषण पर्व
धर्म यात्रा की इस कड़ी में हम आपको लेकर चलते हैं विभिन्न दिगम्बर जैन मंदिरों में, दिगम्बर जैन धर्मावलंबी भाद्रपद मास में पर्युषण पर्व मनाते हैं। ऋषि पंचमी (गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद) से पर्व की शुरुआत होती है और यह अगले दस दिनों तक चलता है, यह पर्व ‘दस लक्षण’ के नाम से भी जाना जाता है।
वैसे तो पर्युषण पर्व दीपावली, ईद या क्रिसमस की तरह उल्लास-आनंद का त्योहार नहीं हैं, फिरभी इनका प्रभाव पूरे समाज में दिखाई देता है, इसी तरह का उल्लास विभिन्न दिगम्बर जैन मंदिरों में देखने को मिलता है, हजारों की संख्या में जैन धर्मावलंबी भगवान महावीर के दर्शन करने के लिए विशेष रूप से सजाए गए मंदिरों में उमड़ पड़ते हैं। पर्युषण पर्व मनाने का मूल उद्देश्य आत्मा को शुद्ध बनाने के लिए विभिन्न सात्विक उपायों पर ध्यान केंद्रित करना होता है, पर्यावरण का शोधन इसके लिए वांछनीय माना जाता है, पर्युषण के दौरान पूजा, अर्चना, आरती, समागम, त्याग, तपस्या, उपवास में अधिक से अधिक समय व्यतीत करने तथा सांसारिक गतिविधियों से दूर रहने का प्रयास किया जाता है, संयम और विवेक के प्रयोग पर विशेष बल दिया जाता है।
पर्युषण के समापन पर क्षमापना या क्षमावाणी पर्व मनाया जाता है, इस दिन जैन धर्मावलंबी पूरे वर्ष में किए गए ऐसे कार्यों के लिए क्षमा माँगते है जिनसे किसी को उनके द्वारा जाने-अनजाने में दु:ख पहुँचा हो, कहा जाता है कि क्षमा माँगने वाले से ऊँचा स्थान क्षमा देने वाले का होता है।