आचार्य श्री विद्यासागर जी की प्रेरणा से आज भारत विकसीत हो रहा है

जेल में कैद कैदियों की स्थिति देखकर आचार्य श्री का हृदय द्रवित हो उठा तब उन्होंने जेल प्रशासन को प्रेरणा प्रदान दी कि कैदियों को अर्थ पुरूषार्थ का अवसर देना चाहिये। आचार्य श्री जी की प्रेरणा से केन्द्रीय जेल सागर, तिहाड़ जेल दिल्ली, मिर्जापुर, बनारस, आगरा, मथुरा आदि जेलों में समाज के द्वारा ‘हथकरघा’ प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। भारत का पशुधन सुरक्षित रहे, गौहत्या बंद हो, इस हेतु आचार्य प्रवर की मांगलिक प्रेरणा से ‘दयोदय पशु संवर्धन’ के नाम से शताधिक गौशालायें पूरे ‘भारत’ देश में स्थापित हैं। भारत में भारतीय शिक्ष पद्धति लागू हो, अतः अंग्रेजी नहीं, भारतीय भाषा में व्यवहार हो, ये प्रेरणा देने के साथ-साथ आचार्य प्रवर ने ‘इंडिया नहीं भारत बोलो’ का नारा ‘भारत’ की जनता को प्रदान किया। संक्षेप में आचार्य श्री जी की प्ररेणा से अनेक विशिष्ट कार्य किये गये, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र प्रतिभास्थली, चिकित्सा के क्षेत्र में भाग्योदय एवं पूर्णायु, अहिंसक रोजगार एवं स्वावलंबी जीवन जीने हेतु हथकरघा ‘हस्त शिल्प’ पिछड़े एवं गरीब वर्ग को आजीविका प्राप्त हो सके, मैत्री के नाम से लघु कुटीर उद्योग शुद्ध एवं पौष्टिक अनाज एवं फल सब्जी प्राप्त हो सके, इस हेतु जैविक खेती की प्रेरणा दी, संप्रदायवाद से दूर आचार्य श्री जी ने सदैव राष्ट्र धर्म को ही प्रमुखता प्रदान की। कलयुग के कमल राष्ट्रीय विचार सम्प्रेरक और सम्पोषक के रूप में प्रसिद्ध राष्ट्रीय संत आचार्य श्री विद्यासागर जी ने अपने उदस्त विचारों से अपनी निर्मल वाणी और अपने श्रेष्ठ कार्यों से भारतीय संस्कृति को ऊँचाई प्रदान की, किसी भी देश की रीढ़ वहाँ की शिक्षा एवं चिकित्सा पद्धति होती है। शिक्षा के क्षेत्र में आचार्य श्री जी की प्रेरणा से भारत के पाँच राज्यों, जिसमें जबलपुर (म.प्र.), इन्दौर (म.प्र.), रामटेक (महाराष्ट्र), ललितपुर (उ.प्र.) एवं डोंगरगढ़ (छ.ग.) ज्ञानोदय विद्यापीठ प्रतिभास्थली के नाम से कन्या छात्रावास के साथ विद्यालय, शिक्षा के साथ संस्कारों का शंखनाद, के उद्देश्य से विद्यालय स्थापित किये गये, इन विद्यालयों में अध्ययन कराने वाली सभी शिक्षिकायें आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत से अलंकृत हैं। प्रतिभा प्रतीक्षा इंदौर, प्रतिभा चयन इंदौर एवं जयपुर, आगरा, पूणे,
हैदराबाद, भोपाल आदि में छात्रावास स्थापित किये गये, छात्र-छात्रायें प्रशासनिक परीक्षा की तैयारी कर सके, इस हेतु जबलपुर, भोपाल एवं
दिल्ली में अनुशासन प्रशासनिक प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना आचार्य श्री जी की प्रेरणा का ही सुफल है। चिकित्सा के क्षेत्र में भाग्योदय तीर्थ धर्मार्थ चिकित्सालय की स्थापना आचार्य श्री की मांगलिक प्रेरणा से सागर (म.प्र.) में हुई, जिसका उद्देश्य गरीब एवं मध्यम वर्ग, जो चिकित्सा से वंचित रह
जाता है, उन्हें समुचित चिकित्सा उपलब्ध होती रहे। जबलपुर (म.प्र.) में भारतीय शिक्षा पद्धति आयुर्वेद संरक्षण संवर्धन हेतु पूर्णायु आयुर्वेदिक चिकित्सालय एवं महाविद्यालय की स्थापना हुई। विदेशी कम्पनियों के भ्रमजाल से ‘भारत’ मुक्त रहे और सभी जीव सुख-शांति चैन अमन से जी सके, ‘जिओ और जीने दो’ के सिद्धान्त को चरितार्थ करने के लिए स्वदेशी और अहिंसक रोजगार को प्रोत्साहित करते हुए आचार्य भगवन ने लघु उद्योग के रूप में पूरी मैत्री, जबलपुर में हथकरघा प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना, पाँचों प्रतिभास्थली के साथ बीनाबारह, कुण्डलपुर, मण्डला, गुना, अशोकनगर, भोपाल, आरोन आदि स्थानों में की, ऐसे आचार्य श्री!
जिन्हें वरिष्ठ पत्रकार व संपादक, आचार्य श्री को चलते-फिरते तीर्थंकर बोलने वाले, ‘भारत को ‘भारत’ ही बोलें, ‘एक राष्ट्र-एक नाम भारत’ ‘हिंदी’ राष्ट्रभाषा बनें का आर्तनाद करने वाले बिजय कुमार जैन आचार्य श्री विद्यासागर जी के चरणों में नमन होते

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