१० फरवरी २०२१ के अभियान की घोषणा के रूपरेखा में हुआ बदलाव

‘भारत को केवल भारत ही बोला जाए’ अभियान की सफलता के लिए १० फरवरी २०२१ को दिल्ली में भारत सम्मान दीपोमय यात्रा का आयोजन किया गया था। दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के कारण ‘भारत
सम्मान दीपोमय यात्रा’को स्थगित कर दिया गया, लेकिन कई भारतीयों ने दिल्ली पहुंचकर दिल्ली के कई सांसदों से संपर्क स्थापित किया, ऐतिहासिक प्रतिवेदन दिया और सभी सांसदों से निवेदन किया कि अब ‘भारत को भारत ही बोला जाए’, विश्व में भारत का सम्मान ‘भारत’ के नाम से ही हो। कहते हैं इंसान में यदि जज्बा हो और कार्य करने की मौलिकता हो, तो सफलता मिलती ही है, वही हुआ जब हम सभी भारतीय विभिन्न राज्यों के मुंबई से विनोद माहेश्वरी, सुंदरलाल बोथरा, डॉ जगन्नाथ चव्हाण, गुलबर्गा कर्नाटक से दिपक बलदवा, गणेश बंग, राजस्थान से श्रीमती सरोज मरोठी, श्रेयांश बेद, अरविंद उभा, दलीप पंचारिया अन्य ने दिल्ली में सांसदों से मिलकर निवेदन किया कि अब भारत को ‘भारत’ ही बोला जाए के लिए आप संसद में प्रयास करें, सभी सांसदों ने
कहा कि हम पूरी कोशिश करेंगे। इस बार चल रहे संसद सत्र में हम भारत को केवल ‘भारत’ ही बोला जाए अभियान को जरूर उठाएंगे, यदि नहीं हो पाया तो विश्वास दिलाते हैं कि अगले संसद सत्र में भारत को केवल भारत ही बोला जाएगा मुद्दा जरूर पास हो जाएगा।

चतुर्विद जैन समाज ने स्वीकार कर लिया है कि हम तीर्थंकर आदिनाथ के पुत्र भरत चक्रवर्ती के नाम से देश का नाम जो ‘भारत’ पड़ा था, अब हम हमारे देश को ‘भारत’ ही बोलेंगे, किसी भी दूसरे नाम से नहीं पुकारेंगे। विश्वास दिलाता हूँ कि जिस प्रकार देश में जागरूकता आयी है कि अब हम हमारे देश को केवल ‘भारत’ कहेंगे तो वह समय दूर नहीं, जब विश्व में भारत को ‘भारत’ ही कहा जाएगा। हमारा देश भरत चक्रवर्ती का देश विश्व में ‘भारत’ के नाम से गौरवान्वित होगा।

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