स्वर्गीय श्रीमती कमलावंती जैन जी की दूसरी पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि(tribute on the second death anniversary of Late Smt. Kamalavanti Jain ji)
प्यार को निराकार से साकार होने का मन हुआ, तो इस धरती पर माँ का सृजन हुआ
धर्मनिष्ठ स्वर्गीय धर्मप्रकाश जैन जी (अंबाला वालों) की धर्मपत्नी तथा ड्यूक फैशन्स इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन
और जीतो के चीफ मैंटर कोमल कुमार जैन, नेवा गारमेंट्स प्रा.लि. के चेयरमैन निर्मल जैन, वीनस गारमेंट्स के
अनिल जैन की माता वयोवृद्ध सुश्राविका स्व. श्रीमति कमलावंती जैन जी(२९.०५.२०१९) के दिन अपनी सांसारिक
यात्रा पूर्ण कर प्रभु चरणों में विलीन हो गई थी।
२९.०५.२०२१ को उनकी दूसरी पुण्यतिथि के अवसर में सभी परिवारजन एवं मित्रगणों ने उनको भावभीनी श्रद्धांजलि
अर्पित की। इसी अवसर पर कोमल कुमार जैन द्वारा गरीबों में लंगर का वितरण किया गया एवं कुछ जरूरतमंद
परिवारों को यथा सम्भव राशन का भी वितरण किया गया। लंगर एवं राशन वितरण में ण्ध्न्न्घ्D-१९ के तहत सरकार
द्वारा जारी किये गए दिशा-निर्देशों का पूर्ण रूप से ध्यान रखा गया।
पाकिस्तान के गुजरांवाला में जन्मी और अम्बाला से लुधियाना आयी मृदुभाषी एवं सरल हृदय वाली श्रीमति
कमलावंती जैन अत्यंत मिलनसार स्वभाव एवं धार्मिक प्रवृति के होने के चलते सदा धार्मिक स्थानों की यात्राओं और
धार्मिक आयोजनों के लिए अग्रसर रहती थी। आपने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान कर उन्हें आत्म निर्भर बना
इस प्रकार काबिल बनाया कि वह आज विकास की बुलंदियों को छू कर अपनी स्वर्गीय माता जी का नाम रोशन कर रहे
हैं। उनकी इस प्ररेणा से ही ड्यूक ग्रुप द्वारा बच्चों को आत्म-निर्भर बनाने के लिए तथा उन्हें बेहतर सुविधाएं प्रदान
हेतु कई शिक्षण संस्थानों का विकास करवाया गया।
देव गुरु तथा धर्म के प्रति पूर्णतया समर्पित आपका जीवन जिसमें श्रमण-श्रमणवृंद की सेवा सुश्रुषा व वैयावच्च करने
को आप अपना सौभाग्य मानती थी। धार्मिक और समाज सेवा में अग्रणी, दानवीरता, उदारता और सरलता के लिए
आप सदैव जानी जाएंगी। दूसरों का भला करने के लिए आप हमेशा तत्पर रहती थीं। गुरुजनों के प्रति श्रद्धा सेवा का
भाव सदा ही आपने जीवन में आगे रखा और अपने धर्म की प्रभावना करते हुए परिवार को भी इस ओर चलने की
प्ररेणा दी।
आपकी मधुर समृति, स्नेह, आदर्श, मार्गदर्शन, आशीर्वाद हमारे लिए हमेशा प्रेरणादायक रहेंगे। आपकी पुण्यतिथि पर
समस्त परिवारजन आपको भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है और आशा करता है कि आपका आशीर्वाद तथा
स्नेह सदा बना रहे।
‘नींद अपनी भुलाकर हमको सुलाया, अपने आंसुओं को आँखों में छिपाकर हमको हंसाया देना न देना ईश्वर की किस तस्वीर को ईश्वर भी कहता है माँ जिसको’
– कोमल कुमार जैन लुधियाना
स्वर्गीय श्रीमती कमलावंती जैन जी की दूसरी पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि(tribute on the second death anniversary of Late Smt. Kamalavanti Jain ji)
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सम्पादकीय
अगस्त २०२३
बिजय कुमार जैन वरिष्ठ पत्रकार व सम्पादक
हिंदी सेवी-पर्यावरण प्रेमी
भारत को भारत कहा जाए
का आव्हान करने वाला एक भारतीय
जैन एकता के मसीहा प्रातः वंदनीय आनंद ऋषि जी के चरणों में कोटिश: वंदना
आज मुझे फिर से ‘जैन एकता’ के परम पूजनीय प्रवर्तक आनंद ऋषि जी के बारे में उनके जन्म पर्व पर लिखने को मौका मिला तो मन आनंदित हो उठा। हम सभी जानते भी हैं कि आनंद ऋषि जी ने अपने तपोधन काल में ‘जैन एकता’ के लिए अपने आचार्य पद तक के त्याग की घोषणा कर दी थी, कहा था कि यदि ‘जैन एकता’ होती है, हमारी ‘संवत्सरी’ यानी की ‘क्षमा दिवस’ एक ही दिन मनाया जाता है, तो इससे बड़ी खुशी जैन धर्म और समाज के लिए क्या हो सकती है, ऐसे पूजनीय विचारों के धनी जरूर हमारे बीच काया स्वरूप तो नहीं हैं पर उनके आशीर्वचन हमारे लिए आज भी वंदनीय हैं, आदरणीय हैं, मननीय हैं, विचारणीय हैं।
मुझे याद है आज से २६ वर्ष पूर्व जब मैंने अपने जैन भाइयों और बहनों को साथ लेकर उनके भाव को समझ कर अपनी पैनी कलम के द्वारा ‘जिनागम पत्रिका’ का प्रकाशन शुरू किया था तब सोचा था कि जीवन मिला है कुछ करने के लिए, तो धर्म व समाज के लिए ही कुछ ना कुछ सेवार्थ क्यों ना किया जाए? कहते हैं इंसान यदि चाहे तो पहाड़ों में भी छेद कर पानी निकाल सकता है, बस मन में संकल्प की आवश्यकता है दृढ़ संकल्प की। अपने पाठकों को बता देना चाहता हूं कि कई बार सर के बल गिरा भी, यानी कि पत्रिका के प्रकाशन के लिए कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ा, पर कुछ प्रबुद्ध पाठकों के आर्थिक सहयोग व मार्गदर्शन से आज निर्बाध गति से समस्त जैन पंथों की एकमात्र ‘जैन एकता’ के लिए प्रयासरत पत्रिका ‘जिनागम’ बन गई है, जिसके लिए मैं साधु संतों के चरणों में भी अपना शीश नवाता हूं।
देखते ही देखते २६ वर्षों का अंतराल बीत गया,जैन धर्मावलंबियों का प्रमुख विषय ‘जैन एकता’ बन गया। युवाओं ने अपना समर्थन देना शुरू कर दिया, कहने लगे कि भले ही हम दिगम्बर हैं या श्वेताम्बर पर हम सभी ‘जैन’ हैं। ‘णमोकार मंत्र’ हमारा एक ही है, २४ तीर्थंकर हमारे एक हैं, इसलिए हम सब मिलकर ‘जैन’ बनें और विश्व को तीर्थंकर महावीर की अहिंसा से लबालब करें।
भारत को केवल ‘भारत’ ही बोला जाए INDIA नहीं, अभियान आगे बढ़ चुका है। २७ जुलाई २०२३ को राज्यसभा सांसद नरेश बंसल जी ने राज्यसभा के प्रश्नकाल में कहा कि भारत को भारत ही बोला जाना चाहिए, INDIA को भारतीय संविधान के अनुच्छेद १ से विलुप्त किया जाना चाहिए,ताकि विश्व के मानचित्र GLOBE में INDIA की जगह BHARAT लिखा जा सके, बस अब इंतजार है यह विषय भारतीय लोकसभा में किसी भारत मां के लाडले सांसद के द्वारा प्रस्तुत हो जाए।
समस्त जैन समाज की विश्वसनीय ‘जैन एकता’ के लिए प्रयासरत ‘जिनागम’ पत्रिका के प्रबुद्ध पाठकों, विज्ञापनदाताओं व हितचिंतकों को ७६वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष पर हार्दिक शुभकामनाएं व बधाइयां।
जय जिनेंद्र!
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