भगवान महावीर कैवल्यज्ञान
भगवान महावीर कैवल्यज्ञान दिगम्बर जैन मलयागिरि तीर्थ क्षेत्र जमुई (बिहार): जैन इतिहासकारों एवं विद्वानों द्वारा यह प्रमाणित किया गया है जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के पंच कल्याणकों एवं जीवन के सन्दर्भ में जैन शास्त्रों में वर्णित तथ्यों के आधार पर माना जा रहा है कि भगवान महावीर का कैवल्यज्ञान कल्याणक ऋजुकुला (क्यूल) नदी के तट पर शालवृक्ष के नीचे जृम्भक ग्राम बिहार प्रांत में हुआ था, जिसे वर्तमान में जमुई नाम से जाना जाता है। बारह वर्ष पाँच महीने १५ दिन की घोर तपस्या के बाद वैशाख शुक्ल दशमी को कैवल्यज्ञान की प्राप्ति हुई थी, उनके समवशरण में श्री इन्द्रभूति आदि
११ गणधर, १४ हजार मुनि, गणिनी आर्यिका चंदना सहित छत्तीस हजार आर्यिकाएँ, १ लाख श्रावक व ३ लाख श्राविकाएँ थी, इनके प्रथम शिष्य गौतम गणधर स्वामी हुए।
अतः उपरोक्त तथ्यों, आधुनिक विद्वानों एवं परम पूज्य आर्यिका ज्ञानमति माता जी के प्रेरणा से बिहार राज्य श्री दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमिटी, देवाश्रम, आरा ने बिहार राज्य के जमुई जिला अंतर्गत मलयपुर पतनेश्वर
पहाड़ी के निकट ऋजुकुला नदी के तट पर एक एकड़ सवा नौ डिसमील जमीन की खरीदगी कर क्षेत्र का निर्माण
कराया गया, जिसमें पाँच कमरे, एक हॉल का निर्माण हुआ है।
परम पूज्य ज्ञानमती माता जी के आशीर्वाद से तथा दिल्ली निवासी श्री अनील कुमार जी जैन कमल मन्दिर के सहयोग से क्षेत्र में स्थित पहाड़ी पर भगवान महावीर की कमल सहित १५ फुट ऊँची प्रतिमा स्थापित कर पूज्य
रविन्द्रकीर्ति स्वामी जी के सानिध्य में पंचकल्याणक सम्पन्न हुआ। भगवान महावीर की इस पावन भूमि को ‘केवल्य धाम’ नाम से जाना जाता है।
पावन ज्ञान भूमि पर क्षेत्र के सर्वांगीण विकास में आप सबों का सहयोग अनिवार्य है। भगवान महावीर केवल्य ज्ञान भूमि के निर्माण कार्यों में तन- मन- धन से सहयोग करें ताकि क्षेत्र का विकास यथावत किया जा सके।
यात्रियों के मूलभूत सुविधायें तथा पानी की बोरिंग, प्रसाधन कक्ष कमरे, पहाड़ी पर सीढी का निर्माण तथा मन्दिर प्रांगण में मार्बल पत्थर का कार्य वर्ष २०१८ को पूर्ण हुआ। चम्पापुरी, पावापुरी जी के मुख्य मार्ग पर स्थित होने के कारण इस क्षेत्र पर यात्रियों का आवागमन होता रहता है। प्रबंधक-राकेश जैन-९५२५४७८८६५
उपप्रबंधक-अभिषेक जैन-९५४६५४३८४१