जैन तीर्थक्षेत्र समिति के नए अध्यक्ष

प्रभातचंद्र जैन मूलत

digambar

२० जून १९५७ को जन्में प्रभातचंद्र जैन मूलत: उत्तर प्रदेश के कन्नौज के निवासी हैं, आपका जन्म व इंटर तक की शिक्षा कन्नौज में व स्नातकोत्तर की शिक्षा कानपुर में सम्पन्न हुई। लगभग ३०-३५ वर्षों से आप मुंबई के प्रवासी हैं, मुंबई में इत्र के व्यवसाय से जुड़े हैं, जो देश-विदेशों तक फैला है व पिछले १५ वर्षों से भवन निर्माण के व्यवसाय से जुड़े हैं।आप सामाजिक संस्थाओं में भी अग्रणी भूमिका निभाते है। दयोदय महासंघ (१०० गौशालाओं का समूह) में राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में ट्रस्टी व स्वर्गीय सवाईलाल स्मृति ट्रस्ट में संस्थापक ट्रस्टी के रूप में कार्यरत हैं। शैक्षणिक व परमार्थ संस्थाओं में ट्रस्टी संरक्षक व परम संरक्षक के रूप में सेवारत हैं। आप भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी के कोषाध्यक्ष भी रहे हैं। आप परम श्रमण भक्त हैं। जीवदया के लिए तन-मन-धन से सदैव तत्पर रहते हैं। आपका पूरा परिवार जीवदया और दिगम्बर मुनियों की सेवा में सतत संलग्न रहता है। अनेकानेक असहाय निर्धनों को गंभीर बीमारियों के उपचार हेतु आर्थिक सहायता प्रदान की है, साथ ही अन्य सामाजिक कार्यों में सदैव सक्रिय रहते हैं। १२५ वर्ष प्राचीन भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी के हाल ही में श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी में चुनाव संपन्न हुए जिसमे आपको निर्विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित किया गया, जिसके कारण ‘जिनागम पत्रिका’ ने आपसे संक्षिप्त बात की जिसके मुख्यांश इस प्रकार हूँ

तीर्थक्षेत्र कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में आपकी क्या प्राथमिकताएँ हैं

तीर्थ सबके हैं, सबके लिए हैं, मेरा प्रयत्न होगा कि हम एक साथ-एक स्वर में तीर्थ संरक्षण की दिशा में कार्य करें और आगे बढ़ें, अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में, मैं अपने सभी सहयोगी पदाधिकारियों के साथ सभी गुरुओं का आशीर्वाद लेकर जो भी जरूरी होगा, वह तीर्थक्षेत्रों के विकास के लिए कार्य करूँगा। मेरा प्रयत्न होगा कि :
१. पंथवाद से परे होकर सभी तीर्थभक्तों में समन्वय और सौहार्द स्थापित करना।
२. न्यायालयों में लंबित तीर्थक्षेत्रों संबंधी विवादों को समाप्त करने हेतु विभिन्न पक्षों से संवाद करना।
३. तीर्थक्षेत्रों पर शासकीय एवं सामाजिक सहयोग से मूलभूत सुविधाएँ प्रदान करना।
४. सभी प्रमुख तीर्थ क्षेत्रों पर सी.सी.टी.वी. कैमरा लगवाना और उन्हें इंटरनेट के माध्यम से जोड़ना।
५. तीर्थक्षेत्रों की जानकारी, इतिहास को संरक्षित करना।

जैन एकता के संदर्भ में आप क्या करना चाहते हैं

मैं चाहता हूँ कि दिगम्बर और श्वेताम्बर मिल जुल कर जैन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करें और एकता की नई मिसाल कायम करें। दोनों सम्प्रदायों के गणमान्य व्यक्ति मतभेद के विषयों पर खुलकर बातचीत करें और उनका समाधान ढूंढने का प्रयास करें तो हम जैन धर्म को नयी ऊंचाइयों पर ले जा सकेंगे, हमारी जन-संख्या बहुत कम है, यदि हम आपस में लड़ेंगे तो हमारा अस्तित्व ही संकट में पड़ जाएगा, इसलिए मेरा प्रयास होगा कि आपसी संवाद से समाज में भाईचारे को बढ़ावा मिले, शुरुआत के लिए प्रमुख जैन उत्सवों पर हम सब दिगम्बर और श्वेताम्बर मिलकर आयोजन करें।

हिंदी राष्ट्रभाषा बने इसके संदर्भ में आपके विचार क्या हैं, कृपया अवगत कराए

‘हिंदी’ तो राष्ट्रभाषा पहले से ही है पर दुर्भाग्य से संविधान में राष्ट्रभाषा जैसी कोई मान्यता ‘हिंदी’ को नहीं मिली है पर आम देशवासी ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा ही मानता है, कुछ राजनेताओं ने अपने राजनैतिक लाभ के लिए ‘हिंदी’ और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच अनावश्यक विवाद खड़े किए हैं पर मुझे उम्मीद है कि धीरे-धीरे ये लोग ठंडे पड़े जाएंगे और नयी पीढ़ी ‘हिंदी’ के प्रति अपनी सोच बदलेगी, दक्षिण भारत में आज बहुत संख्या में बच्चे ‘हिंदी’ को एक विषय के रूप में चुन रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण है, जैसा कि हमारे परम पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज हमेशा कहते हैं कि यदि भारत की संस्कृति और विरासत को बचाना है तो हमें सबसे पहले बच्चों की शिक्षा का माध्यम मातृभाषा से करना होगा अन्यथा आने वाली पीढियां पूरी तरह से पाश्चात्य सभ्यता में ढल जाएगी। भारत सरकार को दक्षिण के राज्यों के हिंदी पर विवाद खड़े करने वाले नेताओं को विश्वास में लेकर ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा घोषित करने के लिए कदम उठाने चाहिए, साथ ही हमारे देश का नाम सभी भाषाओं में केवल भारत ही लिखा-पढ़ा और बोला जाना चाहिए और अंग्रेजों की गुलामी के प्रतीक इण्डिया नाम को हमेशा-हमेशा के लिए भारत कर देना चाहिए।

– जिनागम

भारतीय भाषा सम्मान यात्रा की सफलता के लिए शांति विधान का आयोजन

दिनांक ८ दिसंबर २०१८ को भारतीय भाषायी जैन परिवार के सदस्यों ने मुंबई के बोरीवली स्थित त्रिमूर्ति पोदनपुर मंदिर में शांति विधान का आयोजन किया जो प्रख्यात पंडित जैन गजट साप्ताहिक के कार्यकारी संपादक भरत काला के मार्गदर्शन में हुआ। पंडित श्री भरत जी ने कहा कि आपकी इच्छा ‘हिंदी बनें राष्ट्रभाषा’ और इंडिया को भारत को कहा जाए सफल होगा यह मेरा ही नहीं सभी संतों का आशीर्वाद आपके साथ है। शांति विधान में श्री बिजय कुमार जैन ‘हिंदी सेवी’ वरिष्ठ पत्रकार व सम्पादक, श्रीमति संतोष जैन, प्रिया जैन, पायल जैन, अमित जैन, कमल जैन, बेला जैन ने लाभ लिया। जय भारत जय भारतीय संस्कृति बिजय कुमार जैन ‘हिंदी सेवी’

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *