गुरुदेव श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरिश्वरजी
जन्मस्थान एवं माता-पिता-परिवार ‘श्रीराजेन्द्रसुरिरास’ एवं श्री राजेन्द्रगुणमंजरी के अनुसार, वर्तमान राजस्थान प्रदेश के भरतपुर शहर में दहीवाली गली में पारिख परिवार के ओसवंशी श्रेष्ठि ऋषभदास रहते थे, आपकी धर्मपत्नी का नाम केशरबाई था, जिसे अपनी कुक्षि में श्री राजेन्द्र सुरि जैसे व्यक्तित्व को धारण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। श्रेष्ठि रुषभदास जी की तीन संतानें थीं, दो पुत्र : बड़े पुत्र का नाम माणिकचन्द एवं छोटे पुत्र का नाम रतनचन्द था एवं एक कन्या थी, जिसका नाम प्रेमा था, छोटा पुत्र रतनचन्द आगे चलकर आचार्य श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरि नाम से प्रख्यात हुए। गुरुदेव श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरिश्वरजी वंश...
आचार्य श्री नानालालजी
आचार्य श्री नानालालजी म. सा. की संक्षिप्त जीवनी अग्नि का छोटा-सा कण भी वृहत्काय घास के ढेर को क्षण भर में भस्मसात् कर देता है और अमृत का एक लघुकाय बिन्दु अथवा आज की भाषा में होम्योपैथिक की एक छोटी-सी पुड़िया भी अमूल्य जीवनदाता बन जाती है। हिरोशिमा ओर नागासाकी की वह दर्द भरी कहानी हम भूले नहीं हों तो सहज जान सकते हैं कि एक छोटा-सा अणु-परमाणु कितना भयंकर प्रलय ढा सकता है, ठीक वैसे ही जीवन के प्रवाह में संख्यातीत घटनाओं में से कभी-कभी एकाध साधारण-सी घटना सम्पूर्ण जीवन-क्रम को आन्दोलित कर सर्वतोभावेन परिवर्तन का निमित्त बन जाती...
आचार्य ऋषभ चंद्र सूरी
जावरा: दादा गुरूदेव के पाट परम्परा के अष्टम पट्टधर वर्तमान गच्छाधिपति श्रीमोहनखेडा तीर्थ विकास प्रेरक मानव सेवा के मसीहा, आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. आदि ठाणा का ऐतिहासिक मंगलमय प्रवेश, आचार्य पाट गादी पर विराजित होने के लिए हुआ। आचार्यश्री का सामैया सहित विशाल चल समारोह पहाडिया रोड स्थित चार बंगला लुक्कड परिवार के निवास से प्रारंभ हुआ, जो नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ पिपली बाजार स्थित आचार्य पाट परम्परा की गादी स्थल पर पहुंचा, इस चल समारोह में आगामी १५ जनवरी २०२० को श्री मोहनखेडा महातीर्थ में होने वाली दीक्षा के मुमुक्षु अजय नाहर का वर्षीदान का वरघोडा...
श्री महाश्रमणजी
दक्षिण के काशी गिने जाने वाले श्रवणबेलगोला में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य श्री महाश्रमणजी का अहिंसा यात्री के साथ भव्य स्वागत किया गया, इस अवसर पर श्रवणबेलगोला के प.पू. श्री चारूकिर्तीजी म.सा. ने भव्य स्वागत किया, पदयात्रा करते हुए आचार्य श्री जब अपने धवल सेना के साथ भव्य बाहुबली की प्रतिमा देखकर गदगद हो गये, इस अवसर पर दिगम्बर समाज के अनेक लोग उपस्थित थे, अपना लम्बा समय गुरूदेव ने यहां बिताया और खुले मन से सराहना की, गुरूदेव के पगलिया के कारण हजारों की संख्या में जो लोग उपस्थित थे, उनमें हर्षोल्लास दिखाई दे रहा था।...
श्री जाखोड़ा तीर्थ
तीर्थाधिराज : श्री शान्तिनाथ भगवान, पद्मासनस्थ, प्रवालवर्ण, लगभग ३५ सेमी., श्वेताम्बर मंदिर।तीर्थस्थल : राजस्थान प्रांत के पाली मारवाड़ जिले में जवाई बांध रेल्वे स्टेशन से १० किमी, फालना से १८ किमी दूर है, सिरोही-साण्डेराव सड़क मार्ग पर शिवगंज से ९ किमी तथा सुमेरपुर से ७ किमी दूर जाखोड़ा गांव के पहाड़ी की ओट में यह तीर्थ स्थित है।प्राचीनता : ऐसा कहा जाता है कि इस प्रभु प्रतिमा की अंजनशलाका आचार्य श्री मानतुंग सूरीश्वरजी के सुहस्ते हुई थी, विक्रम की पन्द्रहवीं शताब्दी में श्री मेघ कवि द्वारा रचित तीर्थमाला में इस तीर्थ का वर्णन है, प्रतिमाजी के परिकर पर वि.सं. १५०४...