Category: अक्टूबर-२०१८

श्री पार्श्व जन्म कल्याणक महाभिषेक की सभा

मालव मार्तण्ड पू.आ.श्री मुक्ति सागरसूरिजी म.सा.की निश्रा में श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ जैन संघ राजाजीनगर के सलोत आराधना भवन में आगामी षोष दशमी दि ३० एवं ३१ दिसंबर को श्री पाश्र्वनाथ प्रभु के जन्म दीक्षा कल्याणक पर होने वाले २३ लाख महाभिषेक की सफलता के लिए संपन्न हुई। सभा में सर्वश्री उत्तमकरण सचेती, जीवराज कामेला, नरपतराज सोलंकी, मीलनभाई सेठ, विजयराज राय गांधी, सुरेश बंदा मूथा आदि अनेक महानुभाव उपस्थित थे।उक्त जानकारी समस्त जैन की एकमात्र ‘जिनागम’ के समाचार प्रभारी देवराज के. जैन ने देते हुए बताया कि तीन महिने बाद होनेवाला यह महाभिषेक बैंगलोर ही नहीं समग्र दक्षिण प्रांत का सर्वप्रथम एक विराट और अनूठा आयोजन होगा, इसमें १००८, जोड़े सहित २३०० प्रभु भक्त मिलकर १००८ नव निर्मित १००८ नव निर्मित प्रभु प्रतिमाओं पर २३ लाख अभिषेक संपन्न करेंगे, इससे पूर्व दि. ३० दिसंबर को १००८ प्रभु मुर्तियों को भव्यातिभव्य विराट जुलूस भी निकाला जायेगा एवं संध्या को ‘एक शाम पारस के नाम’ से भक्ति संध्या भी होगी।श्री जैन ने बताया कि यह आयोजन बसवन गुड़ी के नेशनल ग्राउन्ड में होगा, किन्ही कारण से वहां हो सकने पर जयनगर के शालिनी ग्राउन्ड में किया जा सकता है।इस महाभिषेक की विशाल कार्यकारिणी में आज नरेश नाहर एवं जयदीप शाह को भी जोड़ा गया, साथ ही इस विराट और भव्य आयोजन में भारत के पंतप्रधान नरेन्द्र मोदी को भी आमंत्रित करने का दायित्व नरेश नाहर को सौंपा गया है, इस आयोजन की तैयारियां पू. आचार्य श्री के मार्गदर्शन में बड़ी ही सुव्यवस्थित चल रही है। बेंगलोर चिकपेट धार्मिक पाठशाला का वार्षिकोत्सव सम्पन्न बेंगलुरू : चिकपेट श्री आदिनाथ जैन श्वेताम्बर संघ द्वारा संचालित श्री विजयलब्धिसूरी जैन धार्मिक पाठशाला का वार्षिकोत्सव पन्यास श्री कल्परक्षित विजयजी म.सा., मुनि श्री अजितअनुसागरजी म.सा. आदि ठाणा साध्वीवर्या आदि की निश्रा व उपस्थिति में ‘गिरनार पर प्रण’ ऐतिहासिक नाटिका तीन-तीन पीढीयों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुती से सबको भाव-विभोर कर दिया।पन्यास प्रवर श्री कल्परक्षित विजयजी म.सा. ने सम्बोधित करते हुए कहा कि गणधरों द्वारा रचित आगमों का ज्ञान, अर्थ व भावार्थ की जानकारी व ज्ञान पाठशाला में जाने से मिलेगा, उन्होंने पाठशाला की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि माता-पिता को चाहिए कि संस्कृति बचाने के लिए बच्चों में धार्मिक संस्कार भरें और बच्चों को पाठशाला जरूर भेजें। मुनि श्री अजितचन्द्रसागरजी म.सा. ने कहा अखण्ड धारा से संस्कारों से सिंचन कर ९१ वर्ष का सफर धार्मिक पाठशाला का पुरा होना ऐतिहासिक है। जिनशासन की पताका लहराए, वैसे पाठशाला में संस्कार गुंजते रहेंगे। बाबुलालजी पारेख ने स्वागत भाषण द्वारा सबका स्वागत किया, पाठशाला के चेयरमेन देवकुमार के. जैन ने कहा कि व्यवहारिक शिक्षा के बोझ तले धार्मिक शिक्षा व संस्कार पूरी तरह से दबते जा रहे हैं ऐसे में आत्मोन्नति के मार्ग पर आगे कैसे बढे, इन्ही प्रश्नों का उत्तर खोजने के सार्थक प्रयास का नाम श्री विजयलब्धि धार्मिक पाठशाला की पूरे भारत वर्ष में विशिष्ट पहचान बनी है। श्री जैन ने यही भी कहा कि मानव समाज मां-बाप, भाई-बहन आदि अगर बच्चों से घनिष्ट व प्यारा रिश्ता बना रहे क्योंकि इसकी बराबरी कोई भी रिश्ता नहीं कर सकता। बच्चे हमारा ही नया स्वरूप हैं। नौ दशक पहले स्थापित इस पाठशाला से ९० चरित्र सम्पन्न साधु-साध्वी भी समाज को दिए, जिसमें कई ज्ञानी साधु-साध्वी शामिल हैं। अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित जैन तत्व ज्ञान विद्यापीठ परिक्षा में पाठशाला ने स्वर्ण पदक प्राप्त किए हैं। पाठशाला की सफलता का श्रेय ट्रस्ट मंडल, उदारमना व्यक्तियों, गुरूओं और अभिभावकों को जाता है जो अपने बच्चों को यहां भेजते हैं। आभार प्रकट प्रकाशचंद राठोड़ जैन ने किया, गौतम सोलंकी जैन ने विचार व्यक्त किए, कनिक्की ने संचालन किया। सुरेन्द्र सी. शाह गुरूजी, सुरेश शाह गुरूजी ने पाठशाला की गतिविधीयों की जानकारी दी। नटवरशाह गुरूजी, प्रवीण शाह गुरूजी, विक्रमशाह गुरूजी सहित बेंगलोर की कई अध्यापकों का बहुमान किया गया। उत्तीर्ण विद्यार्थियों को पुरस्करित किए गये, कार्यक्रम में संगीत की प्रस्तुती पाठशाला के अभ्यासकों व महिला-बालिका मंडल द्वारा दी गई। व्यवस्था श्री आदिनाथ जैन सेवा मंडल, आदिनाथ अर्हम मैया एकता परिवार व समकित गु्रप ने संभाली, कार्यक्रम पश्चात साधर्मिक भक्ति का आयोजन किया गया। श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ चातुर्मास २०१८ श्री आदिनाथ भगवान एवं दादा गुरुदेव को अभिषेक हेतु २ स्वर्ण कलश भेंट राजगढ़ (धार) म.प्र.: ५अक्टूबर २०१८ को श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में चातुर्मासार्थ विराजित दादा गुरुदेव की पाटपरम्परा के अष्ठम पट्टधर वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में परम गुरुभक्त श्री मोहनलाल शंकरलालजी जैन परिवार ने प्रभु श्री आदिनाथ भगवान व दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की गुरुप्रतिमा पर अभिषेक हेतु श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में २ स्वर्ण कलश अर्पित किये, इसके पूर्व गुरुभक्त परिवार ने पूज्य आचार्य श्री ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. से आशीर्वाद प्राप्त कर कलश पर वासक्षेप करवाया, इस अवसर पर मुनिराज श्री पुष्पेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री रुपेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जनकचन्द्रविजयजी म.सा. आदि ठाणा व श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के महाप्रबंधक अर्जुनप्रसाद मेहता, आनन्दीलाल धारीवाल, वाल्मिकी मेहता, महेन्द्र जैन आदि भी उपस्थित थे। पर्वाधिराज पर्यूषण संवत्सरी महापर्व पर धर्ममय प्रखर उद्बोधन नई दिल्ली : भक्ति भावों का सैलाब न्यू फ्रेंड्स कालोनी के जे.आर. जैन भवन में इन दिनों चरमोत्कर्ष पर है, ‘‘तीरवी वाणी की पावन सरिता’’ के विसद से बहुचर्चित उ.भा. प्रवर्तिनी डॉ. सरिता जी म., घोर तपस्विनी डॉ. पिंकी (शुभा) जी म., परम विदुषी साध्वी सम्बोधि श्री म. तथा सेवाभावी रजनी जी म. के पावन सानिध्य में महापर्व पर्यूषण की आराधना का मंगलमय ठाठ लगा है। तपस्याओं की झड़ी लगाने वाले एन.एफ.सी., ग्रेटर कैलाश, भोगल, रोहिणी, ईस्ट ऑफ कैलाश, कालिन्दी, ग्रीन पार्क, कालकाजी आश्रम, डिफेंस कालोनी, जंगपुरा, बदरपुर, उड़ीसा, नीमच तथा अन्य पर्वाधिराज पर्यूषण की उपासना में जुटे हैं, सभी के मन में उत्साह-तरंगे और न ही क्षेत्र सम्बन्धी दूरी की चिन्ता है, सभी को इन दिनों अपनी आत्मशुद्धि और गुरू अर्चना की भावना इतना विभोर किये हुए है कि बस निराला ही समा बँधा है। आठों दिन महामंत्र नवकार जप की स्वरलहरियाँ गूँजती रही। सुबह लगभग ६ बजे से जाप प्रारंभ हो जाता ८.०० बजे से शास्त्र वाचन और प्रवचन का कार्यक्रम शुरू होता, जो श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करता रहा। परम पूज्य प्रवर्तिनी जी द्वारा धाराप्रवाह जिनवाणी की देशना ऐसी जादू भरी होती थी कि यहाँ विराजित श्रोतागण आत्मविस्मृत हो जाते।परम श्रद्धेय आचार्य सम्राट ध्यान योगी श्री शिवमुनि जी म.सा. की कृपा से स्थानक में अभूतपूर्व रंग बरसा, श्री अन्तगड़ सूत्र एवं कल्पसूत्र का बहुत सुंदर रीति से होने वाला पाठ श्रवण कर सभी अत्यधिक आनंदित हुए। सुश्री महक और सुश्री मुस्कान ने महामंत्र नवकार के भक्तिगीत पर नृत्य प्रस्तुति दी, तपस्वियों का बहुमान किया गया। आलोचना पाठ के बाद सबने मांगलिक श्रवण किया।संघ अध्यक्ष सुश्रावक सुभाष ओसवाल ने अपनी धर्म सहायिका नीलम ओसवाल सहित सभी कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लिया। भक्तिमय वातावरण से गद्गद् होते हुए तपस्वी भाई-बहनों के साथ गणमान्य व्यक्तियों का बहुमान समागत अतिथियों का आभार व्यक्त किया गया। सुश्राविका संगीता जैन (धर्मपत्नी महेश जैन) ने आयम्बिल की तपस्या करते हुए सायंकालीन प्रतिक्रमण कराने का संपूर्ण पर्यूषण पर्व में आठ दिनों तक विपुल लाभ लिया, कई परिवारों के तो सभी सदस्य इस तपयज्ञ में जुड़ कर सभी के प्रेरणा स्त्रोत बनों।दिनांक १३ सितंबर को महापर्व संवत्सरी संबंधी प्रतिक्रमण संपन्न हुआ, विगत वर्ष में जाने-अनजाने में हुई भूलों के लिए ८४ लाख जीवायोनियों के साथ क्षमायाचना, परमपूज्य आचार्य प्रवर, युवाचार्य जी, उपाध्याय जी, प्रवर्तकजी एवं समस्त पूज्य संतरत्नों एवं महासत्तियाँ जी म.सा. से हार्दिक क्षमायाचना कर सब ने अपनी आत्मा को उज्जवल किया। क्षमापना पर्व दिनांक १४ सितंबर को प्रात:काल ६.३० बजे नवकार मंत्र जाप के समापन सहित मंगलमय क्षणों में सोल्लास सम्पन्न हुआ। पर्यूषण पर्व की ऐतिहासिक आराधना के सभी दिनों में श्रोताओं की उपस्थिति उत्साहवर्धक रही। १५ उपवास, अठाईयाँ, आयंबिल, तप, बेले, तेले और उपवास तप सहित संवर-पौषध करने वाले भाई-बहनों की सूची काफी लम्बी रही। पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व एवं संवत्सरी पर्व के दिनों में नियमित स्वाध्याय भी चलता रहा, इस प्रकार प्रखर उद्बोधन सहित पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व की आराधना सम्पन्न हुई। -सुभाष ओसवाल ‘हिंदी सेवी’ नई दिल्ली अजित बागमार को अंतर्राष्ट्रीय नेतृत्व पुरस्कार नाशिक : अखिल भारतीय मारवाड़ी गुजराती मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजित हुकुमचंद बागमार को अंतर्राष्ट्रीय आदर्श नेतृत्व विकास पुरस्कार २०१८ से सम्मानित किया गया, पटाया के हॉटल सिझन में अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक सम्मेलन चायनीज सोशल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. चिंचोग द्वारा यह सम्मान दिया गया, इस अंतर्राष्ट्रीय शिवीर में भारत के १०० प्रतिनिधी व ऑस्ट्रेलिया, थाईलैंड, न्यूर्याक, इंडोनेशिया, सिंगापुर आदि से ५०० अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधी उपस्थित थे।अजित जी ने अभी तक ५० से अधिक संस्थाओं में अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की व नई प्रतिभाओं को साथ लेकर सामाजिक कार्य करते रहे हैं।अखिल भारतीय मारवाड़ी-गुजराती मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजित बागमार नासिक में सुप्रसिद्ध नेचरोपॅथी, अ‍ॅक्युप्रेशर विशेषज्ञ के रूप में आज तक हजारों मरीजों के विविध प्रकार के रोगों का इलाज के साथ हजारों लोगों को व्यसनमुक्त करने का पवित्र कार्य कर रहे हैं। सामाजिक कार्यों में आगे बढ़ते सभी जाति धर्म के लोगों के लिए सामुहिक विवाह का भी आयोजन करते रहे हैं, इसी तरह अन्य सामाजिक कार्यों में भी आप सक्रिय भागीदारी निभाते रहते हैं।अजित बागमार की नियुक्ति पर विधानसभा के पूर्व सभापति अरूणभाई गुजराती, खा. दिलीप गांधी, आ. डा सुधीर तांबे, आ. दराडे बंधु, आ. देवयानी फरांदे, आ. अनिल कदम, आ. बाळासाहेब सानप, माजी मंत्री बाळासाहेब थोरात, बबनराव घोलप, शोभाताई बच्छावत, बबनराव पाचपुते, राज पुरोहित, प्रतापदादा सोनवणे, निलीमाताई पवार, कोंडाजी मामा आव्हाड, माणिकराव बोरस्ते, हेमराज खाबिया, रमेश निमाणी, महेश पठाडे, सुनिल भोर आदि गणमान्यों ने भी स्वागत किया। श्री दिगम्बर जैन समाज के वृद्धजन सम्मान समारोह सम्पन्न जोधपुर : श्री दिगम्बर जैन पंचायत जोधपुर ने वृद्धजनों का सम्मान दिनांक २४-९-२०१८ वार सोमवार को श्री आदिनाथ वाटिका श्री दिगम्बर जैन मन्दिर रेल्वे स्टेशन के पास जोधपुर में किया गया, इस अवसर पर भजन संध्या का आयोजन भी किया गया। श्री अभिनन्दन जैन व श्री आकाश जी पांडया ने मधुर वाणी भजन प्रस्तुत किया, वृद्धजनों के सम्मान में भजन माला का आयोजन किया गया जो इस समारोह में खुशी का आनन्द छा गया। सम्मानित होने वालों में श्री कपूरचन्द जी जैन, श्री सुमेरचन्द जी जैन, श्री.डी.के. जैन, श्यामलाल जैन, राजेन्द्र कुमार जैन, मोहनलाल जैन, श्री एस.के. जैन, राजकुमार जैन, रजनीश कुमार जैन, विजेन्द्र कुमार जैन, महावीर प्रसाद जैन (अजमेरा) जैन गजट संवाददाता, सुरेश जैन (अजमेरा), सुमेरमलजी जैन आदि। श्रीमती जैनमीत जैन, श्रीमती कवलापति जैन, श्री विद्यमान जैन, श्रीमती कमला जैन, श्रीमती कमला पाटनी, श्रीमती शान्ता देवी, श्रीमती अ. सुमित्रा जैन, श्रीमती कमला देवी जैन, श्रीमती विद्या जैन को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के प्रायोजक सुरेश अजमेरा, संचालन रवि जैन, संयोजक राज कुमार छावड़ा व जैनम ग्रुप के सभी सदस्यों ने बड़ी लगन से कार्य किया, जैनम ग्रुप के सदस्यों ने वृद्धजनों का पाद पक्षाल भी किया व आशीर्वाद प्राप्त किया, इस अवसर पर जैन पंचायत के सभी कार्यकारणी के सदस्यों ने सभी वृद्धजनों की दीर्घायु व स्वस्थ जीवन की मंगल कामना की। -महावीर प्रसाद जैन (अजमेरा) जोधपुर दिल्ली : ५ अक्टुबर २०१८ युवाचार्य श्री महेंद्र ऋषि जी के ५२ वें जन्म दिवस पर उदयपुर राजस्थान में आचार्य श्री शिव मुनि जी के पावन सानिध्य में सभी जैन साधु-साध्वी जी महाराज की सेवा करने व जीव दया पुरस्कार वितरित करते हुए |

आत्मबोध और आत्मशुद्धि का ज्ञान कराने वाले जैन संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी

३ अक्टूबर २०१८ को जिनागम, मेरा राजस्थान, मैं भारत हूँ, अंधरी टाईम्स के वरिष्ठ सम्पादक बिजय कुमार जैन के साथ दिगम्बराचार्य विद्यासागर जी का खजुराहो में दर्शन लाभ और आशीर्वाद प्राप्त करने का सुअवसर मिला। प्रसंग था -‘हिंदी’ को भारत की राष्ट्रभाषा का संवैधानिक दर्जा मिले’ तथा इस देश को ‘इण्डिया’ नहीं ‘भारत’ के नाम से सम्बोधित किया जाए, दिल्ली स्थित ‘इण्डिया गेट’ को ‘भारत द्वार’ बोला जाए। आचार्यश्री ने बड़े प्रफुल्लित मन से बात को सुना तथा भरपूर आशीर्वाद दिया तथा यह भी कहा- ‘आगे बढो’। आचार्यश्री के आशीर्वाद से हम में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ तथा पूरे जोश के साथ इस राष्ट्रीय महायज्ञ के कार्य को आगे बढ़ाने में गति मिली।आचार्य श्री विद्यासागर जी के लगभग २० मिनट के सानिध्य में जो वार्ता हुई, इसी मध्य मैं देख रहा था कि उनकी दिनचर्या, उनका सोच, कार्य शैली, स्वाध्याय, स्मरण शक्ति, उनका तप, अध्यात्म साधना आदि सभी अद्भुत थी, उनकी निश्छलता और सादगी सभी के लिए प्रेरणादायी थी। दिखावा लेशमात्र भी नहीं था, यदि उन्हें सभी जैन संतों के लिए एक आदर्श एवं प्रेरणास्त्रोत कहा जाए जो अतिश्योक्ति नहीं होगी।आचार्यश्री सभी व्यक्तियों को प्रकृति के अनुरूप रहने तथा स्वावलम्बी बनने का आव्हान करते हैं। आचार्यश्री के दर्शन लाभ के बाद यहाँ कुछ ऐसे प्रश्नों का समाधान उल्लेखित कर रहा हूँ जो साधारणतया दिगम्बर जैन साधुओं का दर्शन करने के बाद एक व्यक्ति के मन में उपजते हैं- १. जैन साधु निर्वस्त्र क्यों रहते हैं ?जैन साधु आत्मशुद्धि पर अपना ध्यान केंद्रित रखते हैं, उनकी मान्यता है कि यदि आप कुछ संग्रह करने की मनोवृत्ति रखेंगे तो मूल उद्देश्य से भटक जायेंगे, वस्त्र भी लगाव का कारण बन सकते हैं तथा आत्मशुद्धि के मार्ग में बाधक बन सकते हैं। वे सर्दी, गर्मी, वर्षा आदि सभी प्रकार के मौसमों के मिजाज को बड़ी प्रसन्नता से सहन करते हुए अनवरत आत्मशुद्धि के मार्ग की ओर अग्रसर होते रहते हैं। जैन धर्मावलम्बियों की मान्यता है कि सभी प्रकार की आसक्तियों से मुक्त होने पर ही मोक्ष प्राप्ति का मार्ग सुलभ होता है। पूर्ण आसक्तियों का परित्याग करने में परिवार, धन और सभी प्रकार की सांसारिक वस्तुओं का त्याग करना सम्मिलित है। २. जैन संतों द्वारा ‘पिच्छी’ और ‘कमण्डल’ को अपने हाथों में रखने के पीछे उद्देश्य क्या है ?जैन धर्मावलम्बी ‘अहिंसा परमो धर्म’ अर्थात् अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है की मान्यता को स्वीकार करते हैं। मोर की पंखुड़ियां विश्व में उपलब्ध वस्तुओं में सबसे नरम/कोमल होती है तथा उससे किसी भी प्राणी को कोई क्षति नहीं पहुंचती है।एक विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि मोर को किसी प्रकार की क्षति पहुँचाए बिना उनके द्वारा प्राकृतिक रूप में छोड़ी गई इन पंखुड़ियों को लोग एकत्रित करते हैं तथा इस प्रकार एकत्रित की गई पंखुड़ियों से पिच्छी तैयार की जाती है। संत लोग फर्श पर बैठने से पहले अथवा किसी धर्मग्रंथ को छूने के पहले पिच्छी से उसे साफ करते हैं जिससे किसी भी प्रकार के सूक्ष्म से सूक्ष्म जीव को भी कोई क्षति न पहुँचे और शांतिपूर्ण तरीके से उसे अन्यत्र स्थानांतरित किया जा सके।‘कमण्डल’ हाथ धोने के लिए तथा अन्य स्वास्थ्य सम्बंधी कारणों से अपने हाथों में रखते हैं। दिगम्बर जैन संत केवल इन दो चीजों को अपने साथ रखते हैं, अन्य शब्दों में कहा जा सकता है कि ये दो चीजें जैन संतों की अपने कार्यों में शुद्धता के प्रतीक हैं। ३. दिगम्बर जैन संत किस प्रकार आहार करते हैं ?ये संत दिन में केवल एक बार आहार लेते हैं तथा एक बार ही पानी पीते हैं, चूँकि जैन संत सभी सांसारिक वस्तुओं का परित्याग कर देते हैं, इसी कारण वे आहार के लिए बर्तनों का भी प्रयोग नहीं करते। वे खड़ी मुद्रा में आहार ग्रहण करने के लिए अपने हाथों का उपयोग करते हैं। श्रावकों/अनुयायियों/समर्पित भाव रखने वालों द्वारा संतों को जो आहार दिया जाता है, उसमें शुद्धता का पूरा ध्यान रखा जाता है। यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि वे अपने ‘आहार’ के लिए आम लोगों पर निर्भर रहते हैं तथा आहार स्वाद के लिए नहीं अपितु जीवित रहने के लिए ही ग्रहण करते हैं, उनके जीवन का मूल उद्देश्य ‘मोक्ष’ प्राप्त करना होता है जिसकी ओर उनका विशेष ध्यान रहता है।४. जैन संत यातायात के साधनों का प्रयोग क्यों नहीं करते ?जैन संत अहिंसा को परम धर्म मानते हुए सभी सांसारिक वस्तुओं का परित्याग कर देते हैं तथा एक स्थान से दूसरे स्थान पर विहार करते समय गाड़ियों आदि का उपयोग यह सोचकर नहीं करते कि इन यातायात के साधनों के प्रयोग में हजारों जीव-जन्तुओं की क्षति होती है, जैन संत जब विहार करते हैं तब इतनी सावधानी रखते हैं कि उनके कदमों से छोटी-सी चींटी अथवा अन्य किसी प्रकार के कीड़े-मकोड़ों को क्षति न पहुंचे, उनका प्रत्येक कार्य इस प्रकार का होता है कि मन-वचन अथवा कर्म से प्राणी मात्र को किसी प्रकार का कष्ट न पहुंचे। ५. जैन दर्शन के मौलिक सिद्धांत क्या हैं ?जैन दर्शन की मान्यता है कि यह ब्रह्माण्ड और इसमें पाये जाने वाले सभी तत्व शाश्वत हैं, समय की गति के साथ इनका न आदि और न ही अन्त है। कर्म, मृत्यु, पुर्नजन्म आदि सभी इस ब्रह्माण्ड में अपने सार्वभौमिक नियमों के अन्तर्गत परिचालित होते हैं। सभी तत्व अपने स्वरूप में लगातार परिवर्तित अथवा रूपान्तरित होते रहते हैं। ब्रह्माण्ड में किसी तत्व को उत्पन्न अथवा विनष्ट नहीं किया जा सकता है, इस ब्रह्माण्ड को संचालित करने के लिए ईश्वर अथवा अन्य कोई देवी-शक्ति नहीं है। जैन दर्शन ईश्वर को सृष्टि का रचयिता, पालनहार अथवा विनष्ट करने वाला नहीं मानता, जैन दर्शन की मान्यता है कि ईश्वर मानव का एक श्रेष्ठ रूप है और इस रूप में इस सृष्टि की अच्छी अथवा बुरी घटनाओं में उसका कोई हस्तक्षेप नहीं है।एक व्यक्ति के जब सभी कर्मों का नाश हो जाता है तो उसकी आत्मा मुक्त हो जाती है, वह ‘मोक्ष’ की स्थिति में पहुंच जाता है, सभी व्यक्तियों में एक ही प्रकार की आत्मा होती है, अस्तु सभी में ईश्वर बनने की क्षमता है। जैन दर्शन में ईश्वर मानव का सर्वश्रेष्ठ रूपान्तरण है। यह ब्रह्माण्ड छ:तत्वों-जीव, पुद्गल, अक्ष, धर्म, अधर्म और काल से बना है।ईश्वर आत्म स्वरूप है तथा सभी प्रकार के कर्मों के बंधन से मुक्त है। राग, द्वेष और आत्मज्ञान की कमी के कारण आत्मा कर्मों के बंधन में फँस जाती है, आत्मा अपने नैसर्गिक रूप से सर्वाधिक शक्तिशाली, चैतन्य और आध्यात्मिक है।जैन धर्म में आत्मा की शुद्धि के लिए संतों द्वारा मन, वचन, कर्म से अहिंसा और अपरिग्रह का मार्ग अपनाया जाता है।जैन धर्म के सिद्धांतों में ‘जीओ और जीने दो’, प्राणी मात्र को नष्ट न पहुंचाना, अपरिग्रह का पालन करना, क्रोध न करना, अभिमान का त्यागना, जाने-अनजाने में किसी के साथ दुव्र्यवहार न करना, चोरी नहीं करना, अकारण धन और समय की बर्बादी नहीं करना, जो कुछ भी करें-सावधानी से करना, सभी में एक जैसी आत्मा है, व्यक्ति आत्मा को अपने कर्मों के बंधन में फँसाता है। व्यक्ति से अपेक्षा है कि वह प्राकृतिक नियमों के अनुसार जीवन यापन करें, सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन और सम्यक चारित्र अपनाकर मोक्ष प्राप्त करें, संक्षेप में आत्मशुद्धि ही जैन दर्शन का मार्ग है, कर्मों के बंधन से मुक्ति मोक्ष का द्वार है। प्रो. मिश्री लाल मांडोत विश्व शांति के लिए शुरू हुआ नवकार महामंत्र अनुष्ठान बैंगलुरू : आदिनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर ट्रस्ट के तत्वावधान में पंन्यासश्री कल्परक्षितविजयजी की निश्रा में नवकार महामंत्र का विशिष्ट आयोजन हुआ। पहले दिन उपकरण वंदनावली से कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए पंन्यासश्री ने कहा कि नवकार महामंत्र को आत्मसात करना चाहिए। नवकार महामंत्र जीवन में उतारने से शांति संभव है। नवकार मंत्र की निष्काम साधना से लौकिक व परलौकिक सभी प्रकार के कार्य सिद्ध हो जाते हैं।यदि जाप करने वाला सदाचारी, शुद्धात्मा, सत्यवक्ता, अहिंसक व ईमानदार हो तो ऐसे व्यक्ति को मंत्र की आराधना का फल तत्काल मिलता है। मंत्र का जाप मन, वचन और काया की शुद्धिपूर्वक विधि सहित करना चाहिए। संघ के सहसचिव गौतमचन्द सोलंकी ने बताया कि नवकार महामंत्र का अखंड जाप नौ दिनों तक चला। ट्रस्टी देवकुमार जैन ने ‘जिनागम’ को बताया कि इस अनुष्ठान में एकासना तप की व्यवस्था आदिनाथ जैन सर्वोत्तम सेवा मंडल द्वारा एवं नौ द्रव्यों द्वारा कराई गयी।

दिगम्बर जैन युवक युवती परिचय सम्मेलन का भव्यता के साथ सानन्द सम्पन्न

अखिल भारतीय पुलक जन चेतना मंच एवम राष्ट्रीय जैन महिला जाग्रति मंच, इंदौर के तत्वावधान में दो दिवसीय अन्तराष्ट्रीय दिगम्बर जैन विवाह योग्य युवक युवती परिचय सम्मेलन भव्यता के साथ सानन्द सम्पन्न हुआ। परिचय सम्मेलन के दूसरे दिन सुबह से ही मुकुट मांगलिक भवन में समाजजनों अभिभावकों एवम प्रत्यासियों का आना शुरू हो गया। सेकड़ों प्रत्यासियों ने मंच पर आकर अपना परिचय दिया, सभी युवक-युवती प्रत्यासियों ने अपनी पसन्द मंच के माध्यम से व्यक्त की, अनेक प्रत्यासियों के अभिभावकों ने भी मंच पर आकर परिचय दिया। दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष भरत मोदी, संजय पाटोदी, हेमचन्द्र मीना झांझरी, श्रीमती योगिता अजेमरा, राहुल सेठी, विमल माया झांझरी, डॉक्टर अशोक बंडी, डॉक्टर शिरिष श्रीवास्तव, डॉक्टर योगेश जैन ने चित्र अनावरण एवम दीप प्रज्वलन की मांगलिक क्रिया सम्पन्न की। मुकुट मांगलिक भवन में अपार जन समूह उमड़ पड़ा, इस अवसर पर भरत मोदी जी का जन्म दिन भव्यता के साथ मनाया गया। दूसरा सत्र दोपहर २ बजे से प्रारम्भ हुआ दिगम्बर जैन समाजिक संसद के पूर्व अध्यक्ष कैलाश वेद, एम के जैन, सुशील डबडेरा, नवीन गोधा, अनिल जैन ‘जैनको’, अरविंद जैन, एडवोकेट चिंतन बाकलीवाल, सुदीप जैन, अजय मिंडा, अखिलेश जैन, नवनीत जैन, महेंद्र जैन ‘चुकरु’, योगेंद्र काला, कमल काला, पदम मोदी, सुनील जैन, अतुल बघेरवाल, तल्लीन बड़जात्या, कोमल दद्दा, पवन सिंघई, आसिष जी सरिता जी जैन ‘सूत वाले’, दीपक वन्दना जी जैन ‘सूत वाले’, मंच परिवार की राष्ट्रीय सहमंत्री श्रीमती प्रीति जे के जैन, नरेश गंगवाल ‘आष्टा’ सहित अनेक समाज श्रेष्ठियों ने उपस्थित होकर सम्मेलन का गौरव बढ़ाया एवम सभी प्रत्यासियों को शुभकामनाएं प्रेषित की। मंच परिवार सभी सम्मानीय अतिथियों का स्वागत कर गौरान्वित हुआ। प्रमुख संयोजक चिराग जैन श्रीमती नीता जैन एवम श्रीमती अनामिका बाकलीवाल ने मंच संचालन किया। सम्मेदशिखर जी में गणाचार्यश्री १०८ विरागसागरजी महाराज ८६ पीछी के साथ इंदौर : परम पूज्य गुरुदेव विरागसागर जी महाराज ससंघ (८६ पीछी) चातुर्मास कलश स्थापना भव्यता के साथ सम्पन्न हुई। भारत वर्ष के अनेकों नगर से हजारों भक्त कार्यक्रम में पधारे। झारखंड शिक्षामंत्री नीरा यादव,१३ पंथी समिति के कैलाश बड़जात्या, कमल पहाड़े, नेमिचन्द जैन जयपुर, खंडाकाजी जयपुर, मनोज़ बाकलीवाल इंदौर, मनिश गंगवाल कलकत्ता, हेमंत पाटनी इंदौर, ओम प्रकाश उदयपुर, दगिमालपुर, गिरिडीह, गया, कलकत्ता, सालेहा, सतना, जबलपुर, आदि अनेकों भक्तों ने कार्यक्रम की शोभा बड़ाई।कार्यक्रम में शिखरजी में विराजमान सभी साधुगण, आर्यिका श्री ने भी पधारकर धर्म प्रभावना की, कार्यक्रम का संचालन अनामिका मनोज बाकलीवाल ने किया।

जैन-धर्म की वर्तमान दशा

आचार्य भिक्षु ने जैन-धर्म कीवर्तमान अवस्था का सजीवचित्रण किया है-भगवान् महावीर के निर्वाण होनेपर घोर अन्धकार छा गया है,जिन-धर्म आज भी अस्तित्व मेंहै, पर जुगनू के चमत्कार जैसाजैसे जुगनू का प्रकाश क्षण मेंहोता है, क्षण में मिट जाता है,साधुओं की पूजा अल्प होती है,असाधु पूजे जा रहे हैं।यह सूर्य कभी उग रहा है,कभी अस्त हो रहा हैं, भेख-धारीबढ़ रहे हैं, वे परस्पर कलहकरते हैं।उन्हें कोई उपदेश दे तो वे क्रोधकर लड़ने को प्रस्तुत हो जाते हैं,वे शिष्य-शिष्याओं के लालचीहैं।सम्प्रदाय चलाने के अर्थी।बुद्धि-विकल व्यक्तियों को मूंडइकट्ठा करते हैं,गृहस्थों के पास से रूपये दिलातेहैं। शिष्यों को खरीदने के लिए,वे पूज्य की पदवी को लेंगे,शासन के नायक बन बैठेंगे;पर आचार में होंगे शिथिल,वे नहीं करेंगे आत्म-साधना काकार्य।गुणों के बिना आचार्य नामधराएंगे, उनका परिवार पेटूहोगा,वे इन्द्रियों का पोषण करने मेंरत रहेंगे, सरस आहार के लिएभटकते रहेंगे।वैराग्य घटा है, वेश बढ़ा है,हाथी का भार गधों पर लदा है,गधे थक गए, बोझ नीचे डालदिया,इस काल में ऐसे भेखधारी हैं।उनका भगवान् महावीर के प्रतिआत्म-निवेदन भी बड़ा मार्मिकहै- भगवान् आज यहां कोईसर्वज्ञ नहीं है और श्रुतकेवली भीविच्छिन्न हो चुके।आज कुबुद्धि कदाग्रहियों नेजैन-धर्म को बांट दिया है।छोड़ चुके हैं जैन-धर्म को राजा,महाराजा सब।प्रभो! जैन-धर्म आज विपदा मेंहै, केवलज्ञान-शून्य, क्रोध बढ़रहा है।इन नामधारी साधुओं ने पेट पूर्तिके लिए, दूसरे दर्शनों की शरणले ली है।इन्हें कैसे फिर मार्ग पर लायाजाए?इनकी विचारधारा का कोईसिर-पैर नहीं है, न्याय की बातकहने पर ये कलह करने कोतैयार हो जाते हैं।प्रभो! तुमने कहा हैसम्यग्दर्शन, ज्ञान, चरित्र औरतप-मुक्ति-मार्ग नहीं मानना।मैं अरिहंत को देव, और मानताहूं गुरू निग्रन्थ को ही। धर्म वहीहै सत्य सनातन,जो कि अहिंसा कहा गया है।शेष सब मेरे लिए भ्रम-जाल है।मैं प्रभो! तुम्हारा शरणार्थी हूं,मैं मानता हूं प्रमाण तुम्हारी आज्ञाको। तुम्हीं हो आधार मेरे तो,तुम्हारी आज्ञा में मुझे परम आनन्दमिलता है। ‘मन का मानव’ – राष्ट्रसंत कवि श्री अमर मुनि जी महाराज सा. कुछ भी नहीं असम्भव जग में,सब सम्भव हो सकता है।कार्य हेतु यदि कमर बाँध लो,तो सब कुछ हो सकता है।।१।।जीवन है नदिया की धारा, जब चाहो मुड़ सकती है।नरक लोक से, स्वर्ग लोक से, जब चाहो जुड़ सकती है।।२।।बन्धन-बन्धन क्या करते हो, बन्धन मन के बन्धन हैं।साहस करो, उठो झटका दो, बन्धन क्षण के बन्धन हैं।।३।।बीत गया कल, बीत गया वह, अब उसकी चर्चा छोड़ो।आज कर्म करो निष्ठा से, कल के मधुर सपने जोड़ो।।४।।तुम्हें स्वयं ही स्वर्णिम उज्जवल, निज इतिहास बनाना है।करो सदा सत्कर्म विहँसते, कर्म-योग अपनाना है।।५।।मन के हारे हार हुई है, मन के जीते जीत सदा।सावधान मन हार न जाए, मन से मानव बना सदा।।६।।तू सूरज है, पगले! फिर क्यों, अन्धकार से डरता है?तू तो अपनी एक किरण से, जग प्रदीप्त कर सकता है।।७।।अन्तर्मन में सद्भावां की, पावन गंगा जब बहती।पाप पंक की कलुषित रेखा, नहीं एक क्षण को रहती।।८।।धर्म हृदय की दिव्य ज्योति है, सावधान बुझने ना पाये।काम-क्रोध-मन-लोभ-अहंके, अंधकार में डूब न जाये।।९।।जाति, धर्म के क्षुद्र अहं पर, लड़ना केवल पशुता है।जहाँ नहीं माधुर्य भाव हो, वहाँ कहाँ मानवता है? ।।१०।।मंगल ही मंगल पाता है, जलते नित्य दीप से दीप।जो जगती के दीप बनेंगे उनके नहीं बुझेंगे दीप।।११।।धर्म न बाहर की सज्जा में, जयकारों में आडम्बर में।वह तो अन्दर-अन्दर गहरे, भावों के अविनाशी स्वर में।।१२।।‘मैं’ भी टूटे, ‘तू’ भी टूटे, एकमात्र सब हम ही हम हो।‘एगे आया’ की ध्वनि गूँजे, एकमात्र सब सम-ही-सम हो।।१३।।यह भी अच्छा, वह भी अच्छा, अच्छा-अच्छा सब मिल जाये।हर मानव की यही तमन्ना, किन्तु प्राप्ति का मर्म न पाये।।१४।।अच्छा पाना है, तो पहले खुद को, अच्छा क्यों न बना लें।जो जैसा है, उसको वैसा, मिलता यह निज मन्त्र बना लें।।१५।।परिवर्तन से क्या घबराना, परिवर्तन ही जीवन है।धूप-छाँव के उलट-फेर में, हम सब का शक्ति-परीक्षण है।।१६।।सत्य, सत्य है, एक मुखी है, उसके दो मुख कभी न होते।दम्भ एक ही वह रावण है, उसके दस क्या, शतमुख होते।।१७।।एक जाति हो एक राष्ट्र हो, एक धर्म हो धरती पर।मानवता की ‘अमर’ ज्योति सब – ओर जगे जन-जन, घर-घर।।१८।। -प्रस्तुति : रिखब चन्द जैन

शिक्षा के संग संस्कारों को भी उतारें जीवन में खास बातें

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के रिद्धि-सिद्धि भवन में हुए दशलक्षण पर्व के उत्तम आकिंचन्य के दिन परमपरमेष्ठी और आदिनाथ भगवान की आरती हुई। मध्यप्रदेश के जिला भिंड से ज्योति ब्रहम्चारणी दीदी और ऊषा दीदी ने पदार्पण किया। ज्योति दीदी ने जिनवाणी वंदना से शुरूआत की, बोलीं, हमें अपने साथ-साथ अपने धर्म पर भी विश्वास होना चाहिए कि हमें महावीर का धर्म मिला है। शिक्षा के साथ संस्कारों को भी अपने जीवन में उतारें। हमारा ऐसा संकल्प होना चाहिए कि हम इंसान बनेंगे और इंसान से भगवान बनेंगे।ऊषा दीदी बोलीं, यदि मैं धर्म की बात करूं तो जो धर्म की प्रभावना करते हैं उसका जीवन में जरूर एक बार उसका प्रभाव पड़ता है। अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करते हुए बोलीं, जब मैं कॉलेज के टाइम में थी तो मां बोलती थी कि पयूर्षण पर्व आ गए हैं जा बेटा पूजा कर भक्ति कर। बच्चों तुम अपने माता-पिता से बहुत दूर हो, पर तुम अरिहंत पिता के पास हो, जो हजारों बच्चों का पालन कर रहे हैं। अंत में प्रश्नोत्तरी का दौर भी चला, सही उत्तर देने वालों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया, इससे पहले महावीर भगवान के समक्ष कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, मुरादाबाद जैन मंदिर के प्रमुख डीके जैन, पैरामेडिकल के प्राचार्य डीके सिंह, फिजियोथेरेपी की विभागाध्यक्षा डॉ. शिवानी एम काल और हरि अभिनन्दन जैन ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन किया।श्रावक-श्राविकाओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के जरिए पूरा रिद्धि-सिद्धि भवन भक्तिरस में डुबो दिया। ……..णमोकार महामंत्र…….. और ……मंगलाचरण…… की प्रस्तुति हुई। फिजियोथीरेपी और पैरामेडिकल के छात्र-छात्राओं ने …….पधारो-पधारो पयूर्षण पर्व पर पधारो……, …….कौन है वो कौन है………….,……… हम जैन होने का परिचय देते हैं……,……..भक्तों की टोली……, …….भारत मां और देश के सैनिकों के लिए…… आदि भजनों पर सामूहिक नृत्य कर सभी को थिरकने पर मजबूर कर दिया, इसके बाद छात्र-छात्राओं ने ‘वाह रे भक्त तेरे कितने रूप हैं’ और ‘बाहुबली’ विषय पर नाटक की मनमोहक प्रस्तुती दी, अंत में तरूण सागर महाराज जी को श्रद्धांजली दी गई। संचालन दीपक जैन और अंशिका जैन ने किया, जबकि निर्णायक मंडल में टिमिट डायरेक्टर प्रो. विपिन जैन और मेघा शर्मा रहे। बाहुबली नाटक बेस्ट परफारमर ऑफ द डे चुना गया। लोढ़ा एक्सलस में हाथों से बनी मूर्तियों का जलवा मुंबई : के गणेशोत्सव में लोढ़ा एक्सलस कॉर्पोरेट ऑफिस कॉम्पलेक्स के गणपति की काफी चर्चा रही, इसके पीछे खास वजह यह थी कि गणपति की मुख्य मूर्ति के अलावा यहां और भी कई छोटी- बड़ी गणेश मूर्तियां एवं गणपति की पेंटिंग भी सजी थी, जो मल्टीनेशनल कंपनियों के कर्मचारियों ने अपने हाथों से बनाई थी, किसी भी मशीन की सहायता के बिना निर्मित ये विशेष मूर्तियां बेहद लुभावनी एवं प्रोफेशनल मूर्तिकारों की मूर्तिरचना के समकक्ष थी, जिनको बीते दिनों में हजारों लोगों ने दर्शन किए एवं सराहा, लोढ़ा फाउंडेशन की चेयरपरसन मंजू लोढ़ा ने सभी सहभागियों का आभार जताया।दक्षिण मुंबई स्थित एनएम जोशी मार्ग के अपोलो मिल कंपाउंड स्थित कॉर्पोरेट ऑफिस कॉम्पलेक्स ‘लोढ़ा एक्सलस’ में स्थापित भगवान गणपति की ईको फ्रेंडली मुख्य प्रतिमा अपने आप में बेहद अदभुत एवं आकर्षक थी।

मंजू लोढ़ा की नई पुस्तक ‘…कि घर कब आओगे!’ सैनिक परिवारों के दर्द की दास्तान सीधे दिल में बहने लगती है

वह एक विवाहिता है, जिसका मन हर पल सिकुड़ा-सा किसी कोने में दुबका बैठा रहता है, उसके चेहरे पर अवसाद और संताप हर पल चढ़ता-उतरता देखा जा सकता है, वह हर पल अपने सुहाग के इंतजार में रहती है जब पति घर लौटता है, तो उसी पल वह उसके फिर से अचानक चले जाने के डर से सहमी रहती है, और जाने पर, फोन की हर घंटी उसे किसी बुरी खबर की आशंका से डराती है, यह एक सैनिक की पत्नी है, जो खुश होती है, तड़पती है, विरह में भीतर ही भीतर हर पल खोई रहती है, न सोती है, न रोती है। जानी मानी लेखिका मंजू लोढ़ा की हाल ही में प्रकाशित पुस्तक ‘…कि घर कब आओगे’ में सैनिक पत्नियों की व्यथा पढ़कर मन द्रवित हो उठता है। आखिर सीमा पर लड़ रहे सैनिकों की पत्नियों और परिवारजनों के भी सपने होते हैं, लेकिन उनके निजी जीवन की व्यथा कुछ-कुछ ऐसी होती है कि क्या तो सपने और क्या हो अपने। मंजू लोढ़ा ने सैनिक परिवारों और सैनिकों की पत्नियों के दर्द का अपनी इस ताजा पुस्तक में बेहद मार्मिक चित्रण किया है।वैसे तो इस पुस्तक में मंजू लोढ़ा की कई कविताएं हैं, लेकिन… ‘फिर इंतजार की घडीयां काट लूंगी’, ‘तुम साथ होते तो’, ‘तेरे जाने के बाद’, ‘नवविवाहिता की व्यथा’, ‘एक सैनिक पत्नी की कथा’, ‘पापा जब घर आए ओढ़ के तिरंगा’ आदि पढ़कर हमारा मन कहीं खो सा जाता है, लगता है कि आखिर सैनिक परिवारों की जिंदगी में इतनी सारी विडंबनाएं एक साथ हैं, तो क्यूं है, इन्हीं कविताओं में से एक कविता में सैनिक की पत्नी जब अपने पति के शहीद हो जाने पर बच्चों को भी फौज में भेजने का ऐलान करती है, तो राष्ट्रप्रेम से सजे नारी मन की मजबूती के तीखे तेवर हमारी आंखों के सामने उतर जाते हैं। मंजू लोढ़ा की ये कविताएं सैनिक परिवारों के रिश्तों को, उन रिश्तों की भावनाओं को और उन भावनाओं में छिपे भविष्य को बहुत ही करीब से जाकर पढ़ती सी लगती हैं, ये कविताएं उन रिश्तों की भावनाओं को गुनती हैं, बुनती हैं और उनकी उसी गर्माहट को ठीक उसी अहसास में परोसने में सफल होती हैं। ये कविताएं सीधे मन में समाने लगती है और पढ़ते हुए आभास होता है कि लेखिका ने सचमुच सैनिक की पत्नी और उसके परिवार के जीवन में किसी अपने के साथ की कमी को, सुख के संकट को और राष्ट्र के प्रति प्रेम से पैदा हुए दर्द के दरिया को शब्दों में बहुत ही भावों के साथ पिरोया है।नेताजी सुभाषचंद्र बोस के १२१वें जयंती वर्ष पर प्रकाशित ‘…कि घर कब आओगे!’ पुस्तक को श्रीमती लोढ़ा ने भारतमाता के वीर जवानों व उनके परिवारों को समर्पित किया है। नई दिल्ली स्थित केके पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित २४ पृष्ठ की यह पुस्तक है तो छोटी सी, लेकिन भावनाओ का ज्वार जगा जाती है। लंदन, मुंबई और नई दिल्ली में विमोचित प्रसिद्ध पुस्तक ‘परमवीर’ के बाद मंजू लोढ़ा की यह ताजा कृति सैनिक परिवारों के प्रति कृतज्ञता, सद्भावना, संवेदना, सहानुभूति और अनुकंपा का भाव जगाती है।

दशलक्षण पर्व धुलियान में ….

धुलियान (प.बंगाल) : पवित्र गंगा नदी किनारे बसे भव्य जिनालय में दशलक्षण पर्व धुमधाम के साथ मनाया गया। रोजाना अभिषेक व शान्तिधारा के बाद गाजेबाजे के साथ मीना व सुलोचना दीदी के सानिध्य में पुजा अर्चना होती थी। दोपहर में तत्वार्थसुत्र की कक्षा तथा सायं को महाआरती के पश्चात दीदी का प्रवचन व रोजाना धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम होता था, जिसमें वृद्धाश्रम जैसे नाटक व मोबाईल ईन्टरनेट के कुफल के बारे में दर्शाया गया, अनन्त चतुर्दसी को भगवान की पालकी के साथ भव्य जुलुस निकाला गया, तदपश्चात वासुपुज्य भगवान का निर्वाण लाडु चढ़ाया गया। धुलियान के दशलक्षण व्रतधारी श्रीमान प्रमोद काला, श्रीमान सुरेन्द्र सेठी, श्रीमती ममता सेठी, अंकित काला, सुश्री दिव्या रारा व करन रारा को पारणा के पहले सम्मानित किया गया।क्षमावणी पर्व पर सभी ने एक दुसरे के घर जाकर क्षमा याचना की। -संजय कु. बड़जात्या बिहार के बिमल जैन व निर्मल जैन सम्मानित ….. पटना : समाज सेवा क्षेत्र में बिमल जैन (पटना) और संगीत के क्षेत्र में निर्मल जैन (मुंगेर) को २३ सितंबर को बिहार प्रादेशिक मारवाड़ी सम्मेलन, पटना में महामहिम राज्यपाल के कर कमलों से दोनों सगे भाईयों को समाज रत्न की उपाधि से अलंकृत किया गया जो सिर्फ उनके अपने लिए ही गौरव की बात नहीं वरन् जैन समाज के लिए भी सम्मान की बात है, जब एक तरफ तीर्थंकर श्री १००८भगवान् वासुपूज्य का निर्वाण का लड्डु चढ़ रहा था उसी सुन्दर बेला में दोनों को सम्मानित किया जा रहा था, सचमुच यह एहसास उनके परिवार के साथ समाज को भी गर्वित कर गया। -संजय बड़जात्या जैन, धुलियान

संघवी ए३ पैराडाइज, आसनगांव (शाहपुर) में श्री सकलभव महादेव मंदिर प्राणप्रतिष्ठा महोत्सव धूमधाम से मनाया गया

संघवी ए३ ग्रुप द्वारा निर्माण किये गए पब्लिक रोड का उद्घाटन दही काला के शुभ अवसर पर संघवी ए३ पैराडाइज, आसनगांव (शाहपुर) में श्री सकलभव महादेव मंदिर प्राणप्रतिष्ठा महोत्सव मनाया गया, कार्यक्रम भव्य उत्सव के साथ श्लोकों और मंत्रों के उच्चारण के साथ पवित्र वातावरण में हर्षों उल्लास के साथ संपन्न हुआ। महोत्सव में आसनगांव तथा प्रोजेक्ट के रहिवासी, ए३ ग्रुप स्टाफ, ग्राम पंचायत और जिला परिषद से विशेष अतिथि उपस्थित थे, इसी अवसर पर संघवी ए३ ग्रुप द्वारा विकसित सड़क का उद्घाटन गणमान्य व्यक्तियों ने किया, ग्रुप द्वारा निर्माण किए गए इस १८ फ़ीट चौड़ा पब्लिक रोड की लम्बाई तुलसी विहार से संघवी पैराडाइज तक है, समारोह में मुख्य अतिथि प्रकाश पाटिल-ठाणे ग्रामीण शिवसेना अध्यक्ष, मंजूषा जाधव-जिला परिषद ठाणे के ग्रामीण अध्यक्ष तथा श्री पांडुरंग बरोरा – शाहपुर विधानसभा आमदार मौजूद थे।संघवी ए३ ग्रुप के शैलेश संघवी ने इस अवसर पर कहा,‘मंदिरों के विकास की परंपरा और आध्यात्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने की प्रथा को आगे बढ़ाते हुए, शिव मंदिर तथा सड़क का ख़ूबसूरत तोहफा हम आसनगांव के निवासियों को दे रहे है, मानस मंदिर, माहुली फोर्ट और तानसा झील जैसे टूरिस्ट जगह के करीब बसा संघवी पैराडाइस, मुंबई नाशिक हाईवे से १० मिनट तथा आसनगांव स्टेशन से केवल ५ मिनट के दूरी पर है, प्रोजेक्ट में रेडी १ और २ BHK अपार्टमेंट्स जिसमें गार्डन और टेरेस फ्लैटस भी मौजूद हैं, नैसर्गिक सुंदरता के अलावा प्रोजेक्ट में जिम, इंडोर गेम्स तथा शिवमंदिर है। श्री संघवी सांकलचंदजी चुन्नीलालजी तातेड़ परिवार द्वारा तीन सिद्धि तप एवं दो अट्ठाई तपस्वियों द्वारा सानंद पूर्णाहुति संघवी परिवार को कल्पसूत्रजी, महावीर स्वामीजी के पालना का लाभ तथा कुमारपाल महाराजा द्वारा १०८ दीपक की महाआरती करने का लाभ श्री संघवी सांकलचंदजी चुन्नीलालजी तातेड़ परिवार की पुत्रवधु श्रीमती ममता शैलेश संघवी, पुत्रवधु श्रीमती पूनम पक्षाल संघवी तथा परिवार की सुपुत्री श्रीमती विमला संजयजी सेठ के पुत्र शिवांग के सिद्धि तप ,पुत्रवधु श्रीमती रिंकू राकेश संघवी एवं पौत्र ऋषभ रमेश संघवी के अट्ठाई तप की सानंद पूर्णाहुति एक भव्य सिद्धितप पारणा महोत्सव, भायखला के शेठ मोतिषा आदेश्वर दादा के दरबार में दादा आदिनाथ की कृपा एव प. पु. आ. देव श्री उदयप्रभसूरीश्वरजी म.सा. की पावन निश्रा तथा आशीर्वाद के साथ संपन्न हुई।पर्युषण पर्व में सिद्धितप के महोत्सव में और भी कई कार्यक्रम आयोजित किये गए थे, संघवी परिवार को कल्पसूत्रजी, महावीर स्वामीजी के पालणा का लाभ तथा कुमारपाल महाराजा द्वारा १०८ दीपक की महाआरती करने का लाभ भी मिला, तपस्वीयों का बहुमान बड़े उत्साह से साथ किया गया, काफी हर्षोल्लास के साथ पर्युषण पर्व तथा सभी तप संपन्न हुए।

गौ-संवर्धन के लिए स्वतंत्र मंत्रालय बनेगा

खजुराहो: आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज की मौजूदगी में पहली बार विद्यासागर जीव दया सम्मान घोषित किए गए, कार्यक्रम में आचार्य श्री विद्यासागर दयोदय पशु सेवा केंद्र तेंदूखेड़ा (दमोह) को पहला स्थान मिला, इस दौरान मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि अब सरकार में गो संवर्धन के लिए अलग से मंत्रालय का गठन किया जाएगा, गायों के संवर्धन में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी, आचार्यश्री ने मुख्यमंत्री की ओर देखते हुए कहा- कि इन्हें हर पांच साल में परीक्षा देना होती है, इस परीक्षा में सफलता के लिए उनका आशीर्वाद मुख्यमंत्री के साथ है।एक महीने पहले भी मुख्यमंत्री शिवराज चौहान खजुराहो जैन मंदिर समूह में आचार्य श्री के दर्शन के लिए पहुंचे थे तब उन्होंने कहा था- कि वे राज्य सरकार की ओर से शुरू होने वाले आचार्य विद्यासागर जीव दया सम्मान की पहली घोषणा आचार्यश्री की मौजूदगी में ही करना चाहते हैं, इसमें पहला पुरस्कार पशु सेवा केंद्र तेंदूखेला दमोह, दूसरा गौ-शाला एवं जैव कृषि अनुसंधान केन्द्र केदारपुर ग्वालियर को और तीसरा गौत्रास निवारणी गोपाल गौ शाला बड़नगर उज्जैन को दिया गया किया, सांत्वना सम्मान स्वरूप इस कार्य में संलग्न ७ अन्य संस्था और व्यक्तिगत स्तर पर सम्मानित किया गया। नए समवसरण जिनालय की रखी आधारशिलाजैन मंदिर समूह के पास ही आचार्य श्री के ससंघ सानिध्य में समवशरण जिनालय की आधारशिला रखी गई, इस अवसर पर नए भव्य मंदिर का निर्माण करने वाली संस्था स्वर्णोदय तीर्थ न्यास खजुराहो के महामंत्री ने सभी का स्वागत किया, कार्यक्रम को वित्त मंत्री जयंत मलैया और सुधा मलैया ने भी संबोधित किया, संचालन नितिन नंदगावकर ने किया। कार्यक्रम में मप्र गौ-संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद, प्रमुख सचिव संस्कृति मनोज श्रीवास्तव, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के डायरेक्टर राहुल जैन, संचालक पशुपालन डॉ. आरके रोकड, कलेक्टर रमेश भंडारी, एसपी विनीत खन्ना मौजूद थे। कॉलेजों में शाकाहार भोजनालय स्थापित होंगे : शिवराज चौहानमुख्यमंत्री ने कहा- वे कभी अहिंसा का मार्ग नहीं छोड़ेंगे, वे जब भी गुरूवर के चरणो मे आते हैं, सात्विक विचार आते हैं। विकास का मार्ग खुलता है, उन्होंने कहा- हर शिक्षण संस्थान जैसे इंजीनीयरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज और अन्य कॉलेजों में अलग से शाकाहर भोजनालय स्थापित होंगे।आचार्यश्री विद्यासागर महाराजा के सामने नत-मस्तक होकर आशीर्वाद लेते बेंगलूरु में ३५०सिद्धितप के तपस्वियों का पारणा व सम्मान शहर के श्री आदिनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर ट्रस्ट व संभवनाथ जैन मंदिर के तत्वावधान में आचार्य श्री जिनसुन्दरसूरीश्वरजी म.सा., पन्यास प्रवर श्री कल्परक्षित म. सा. आदि ठाणा साध्वीवृन्द की निश्रा में सामुहिक सिद्धितप सम्पन्न पारणा व सम्मान का कार्यक्रम त्रिपुरावासिनी पेलेस ग्राउन्ड में सम्पन्न हुआ। शोभायात्रा पेलेस क्षेत्र में घूमती हुई वापस सभागार में पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हुई।धर्मसभा में साधु-साध्वियों ने मंगलाचरण किया। संघ के बाबुलाल पारेख ने सबका स्वागत किया, सचिव प्रकाशचंद राठोड ने सिद्धितप की जानकारी दी।आचार्य श्री मुक्तिसागरसूरीजी ने तपस्वियों की अनुमोदना करते हुए कहा कि तप से सब कुछ संभव है, तप करने से आत्मा पर लगे कर्मरज खत्म हो जाते हैं, आचार्य श्री ने ३१ दिसम्बर को होने वाले महाअभिषेक व शतावधान कार्यक्रम की जानकारी दी, आचार्य श्री जिनसुन्दरसूरीजी म.सा. ने कहा कि सिद्धितप एक महान तप है इसे करने से सारे कार्य सिद्ध हो जाते हैं। पन्यास प्रवर कल्परक्षित विजयजी म.सा. ने बताया कि मनुष्य साधन से नहीं साधना से बड़ा बनता है, इस मौके पर ३५० तपस्वियों का विशेष सम्मान किया गया। लाभार्थी परिवारों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन सुरेन्द्र गुरूजी ने किया। कार्यक्रम में नाकोडा तीर्थ के नवनिर्वाचित अध्यक्ष रमेश मुथा जैन का सम्मान किया गया, इस अवसर पर कोषाध्यक्ष शांतिलाल नागौरी, सहसचिव गौतम सोलंकी, ट्रस्टी देवकुमार के. जैन जो खुद सिद्धितप के तपस्वी थे, तिलोक भंडारी, मदनलाल जैन, देशमल पटीयात, मदनलाल वेदमुथा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे, भंवरलाल चौपडा चेयरमेन संभवनाथ मंदिर, संभवनाथ जैन सेवा मंडल, श्री लब्धिसूरी जैन संगीत मंडल, श्री आदिनाथ जैन सर्वोतम सेवा मंडल आदि ने कार्यक्रम की व्यवस्था संभाली। – देवकुमार के. जैनबेंगलू

डिजिटल विद्या के द्वारा जैन धर्म की पढ़ाई

नांदगांव : भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा के अंतर्गत युवा महासभा के माध्यम से भारत के जैन इतिहास में पहली बार नांदगांव में बच्चों के लिये ‘डिजिटल पाठशाला’ का उद्घाटन किया गया।भारतवर्षीय दिगम्बर युवा महासभा के कार्याध्यक्ष पारस लोहाडे (नासिक) और संयुक्त महामंत्री आनंद काला (नांदगांव) की नियुक्ति के बाद यह पहला कदम था, नांदगांव में छोटे बच्चों की पाठशाला को डिजिटल पाठशाला का स्वरुप दिया गया।भाद्रपद के पहले ही दिन यानी ऋषिपंचमी को श्री. खं.दि.जैन मंदिर में डिजिटल पाठशाला का उदघाटन किया गया।डिजिटल पाठशाला का उद्घाटन माननीय जयकुमार कासलीवाल, (वकील) एवम् खं.दि.जैन समाज के अध्यक्ष सुशिलकुमार कासलीवाल के कर कमलों द्वारा किया गया, उद्घाटन के दौरान नुतनकुमार कासलीवाल, दिलीप सेठी, रविद्र लोहाडे, फुलचंद लोहाडे, राजकुमार काला, मल्लीकुमार काला, कैलाश काला, पियुष काला, चंचल गंगवाल, राजेश बडजाते, आनंद काला, ललित काला, कैलाश सेठी एवम् सभी जैन समाज के मान्यवर उपस्थित थे।नांदगांव में आनंद काला और ललित काला ने कहा कि आज का युग कमप्यूटर का युग है, सभी बच्चों को मोबाइल और कम्प्यूटर पर बताई जानकारी जल्दी से याद होती है, डिजिटल पाठशाला द्वारा बच्चों का बताया गया कि जैन समाज क्या है? तीर्थंकर क्या हैं, जम्बूद्वीप क्या है, भगवान कैसे थे? चमत्कार कैसे होते थे? पुज्य-पाप क्या है, चोरी, परिग्रह क्या है, यह सभी डिजिटल पाठशाला के माध्यम से बताया गया। – एम.सी. जैन, पत्रकार संयम स्वर्ण जयंती महोत्सव पर शोभायात्रा का आयोजन संत शिरोमणि परम् पुज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज संयम स्वर्ण जयंती महोत्सव समिति का आभार, जिन्होंने पुलक मंच परिवार इंदौर को भव्य शोभायात्रा का संयोजक बनाया एवम् सेवा का अवसर देकर अनुग्रहित किया।उदासीन आश्रम से भव्य विशाल शोभायात्रा परम् पुज्य आर्यिका श्री आदर्शमति जी माताजी ससंघ के पावन सानिध्य में निकली, जो कि समवसरण मन्दिर कंचन बाग होती हुई रविन्द्र नाट्य ग्रह परिसर तक पहुंची, जहां पर विशाल धर्म सभा में परिवर्तित हो गई। रविन्द्र नाट्य ग्रह पूरा खचाखच भरा था, परिसर के बाहर भी सैकड़ों समाजजन उपस्थित थे। इंदौर के गुरु भक्त समाज ने फिर एक नया इतिहास रचा, हजारों समाजजनों ने उपस्थित होकर शोभायात्रा को भव्याति भव्य बनाया।विभिन्न संघठनों, महिला मंडलों ने शानदार झाकियां निकालकर उत्कृष्ट गुरु भक्ति का परिचय दिया, आयोजक समिति के सचिन जैन (युवा उद्योग रत्न) एवम सुशील डबडेरा सहित सम्पूर्ण समिति को धन्यवाद दिया गया, सभा का शानदार संचालन डॉक्टर संजय जैन ने और श्रीमती अनामिका बाकलीवाल ने किया, इस अवसर पर पुलक चेतना मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप बड़जात्या को आचार्य भगवन के चित्र के अनावरण का सौभाग्य प्राप्त हुआ, पुलक मंच परिवार की श्रीमती अनामिका बाकलीवाल, संगीतकार पंकज जैन की संगीतमय लहरियों से सभी भक्त झूम उठे। जैन कान्फ्रेंस युवा शाखा द्वारा वैयावच्च सेवा पुरस्कार राष्ट्रीय पुरस्कार श्री पवनजी पितलिया जैन बेंगलोर (कर्नाटक) प्रांतीय पुरस्कार : १) श्री मनिषजी संचेती जैन रायपुर (छत्तीसगढ़)२) श्री नरेन्द्रजी बाफना जैन इन्दोर (मध्यप्रदेश)३) श्री श्रीकांतजी चंगेडिया जैन इचलकरंजी (महाराष्ट्र)४) श्री नीतिनजी शिंगवी जैन अहमदनगर (महाराष्ट्र)५) श्री जयंतीजी परमार जैन पनवेल (रायगढ़)६) श्री राकेशजी दलाल जैन बेंगलोर (कर्नाटक)७) श्री महेन्द्रजी चोपड़ा जैन चेन्नई (तमिलनाडु)८) श्री अशोकजी जयचन्दा जैन, दिल्ली९) श्री विवेकजी जैन रोहतक (हरियाणा)१०) श्री राजेंद्रजी बोल्या जैन सूरत (गुजरात)११) श्री राजेशजी कटारिया जैन सिकन्द्राबाद (आंध्र प्रदेश)१२) श्री हरीशजी जैन कलकत्ता (पश्चिम बंगाल) प्रोत्साहन पुरस्कार १) श्री सिद्धार्थ कर्णावट जैन वडगांव शेरी – (मुम्बई-पुणे)२) श्री आनंद सालेचा जैन निम्बाहेड़ा ( राजस्थान)३) श्री अशोक बाफना जैन , चिंचवड़ (मुम्बई-पुणे)४) श्री गौतम गूगले जैन पुणे ( मुम्बई-पुणे) सभी साथियों का हार्दिक अभिनंदन। -शशिकुमार (पिंटू) कर्णावट जैनराष्ट्रीय युवा अध्यक्ष, युवा शाखाजैन काँन्फ्रेंस