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Jinagam Magazine
जिन शब्दों में बोझ कम हो वही प्रार्थना भगवान तक पहुंचती है

जिन शब्दों में बोझ कम हो वही प्रार्थना भगवान तक पहुंचती है

जिन शब्दों में बोझ कम हो वही प्रार्थना जिन शब्दों में बोझ कम हो वही प्रार्थना भगवान तक पहुंचती है, मांडू के छोटा दिगम्बर जैन मंदिर में पर्युषण पर्व मनाया जा रहा है, सुबह ६ बजे से समाज के सभी अनुयाई मंदिर में उपस्थित हो जाते हैं, समाज के सभी अनुयाई मंदिर में पूजा-अर्चना, विधानमंडल के साथ भगवान की अंगरचना कर रहे हैं। सुरेश गंगवाल जैन ने ‘जिनागम’ को बताया कि मूलाचार पढ़ने में एक गाथा आती है कि हर संसारी जीव चाहता है वह इच्छित वस्तु को प्राप्त करे, परंतु किसी भी संसारी प्राणी के पास सुख नहीं है।...
आचार्य श्री विद्यासागर अहिंसक रोजगार प्रशिक्षण केंद्र

आचार्य श्री विद्यासागर अहिंसक रोजगार प्रशिक्षण केंद्र

आचार्य श्री विद्यासागर अहिंसक रोजगार प्रशिक्षण केंद्र विजयनगर, इंदौर,म.प्र.: देश में प्रचलित शिक्षा पद्धति के प्रभाव में हम अपना लगभग सब कुछ खो चुके हैं। भारत का नाम, भारतीय संस्कृति, भारतीय भाषाएं, भारतीय जीवन मूल्य, भारतीय व्यवसाय कुछ भी तो हमारा नहीं रह गया, यहां तक कि वर्तमान शिक्षा पद्धति से शिक्षित हमारे बच्चे भी विदेशी जैसे हो गए हैं, अब यह बात एकदम उजागर हो चुकी है कि प्रचलित शिक्षा पद्धति सुसभ्य नागरिकों का नहीं, अपितु स्वच्छंद अपराधियों का निर्माण कर रही है, क्या हमें इस स्थिति के विरुद्ध आवाज नहीं उठानी चाहिए?मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभाओं के चुनाव...

शान्तिलाल जी सांड की सेवाओं से अभिभूत साधुमार्गी संघ द्वारा

‘मधुमय जीवन’ अभिनंदन ग्रंथ का हुआ विमोचन बैंगलुरू: शहर के प्रमुख उद्योगपति एवं समाजसेवी शान्तिलाल सांड का गत दिनों मध्यप्रदेश के रतलाम में आचार्य रामलालजी म.सा. के गतिमान चातुर्मास संयम साधना महोत्सव २०१८ के अंतर्गत आयोजित हुए अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संघ के ५६ वें राष्ट्रीय अधिवेशन में सम्मान किया गया। प्रत्येक संघ समाज-संगठन-धर्म-सम्प्रदाय-पंथ के कार्यक्रमों एवं सेवा कार्यों में एक सशक्त हस्ताक्षर के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले झूंझारू व्यक्तित्व के धनी पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शांतिलाल सांड की सेवाओं से अभिभूत होकर अखिल भारतीय साधुमार्गी संघ द्वारा उनके जीवन यात्रा को जीवंत रखने के उद्देश्य से एक...
भ. ऋषभनाथ की तरह अपने आचरण को भी ऊंचा बनायें-राष्ट्रपति

भ. ऋषभनाथ की तरह अपने आचरण को भी ऊंचा बनायें-राष्ट्रपति

ज्ञान, वैराग्य, करूणा से ही अहिंसा संभव ऋषभदेवपुरम् मांगीतुंगी में जैन समाज की सर्वोच्च साध्वी भारतगौरव गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के पावन सान्निध्य में आयोजित विश्वशांति अिंहसा सम्मेलन का उद्घाटन भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द जी ने किया, साथ में प्रथम महिला नागरिक श्रीमती सविता कोविन्द, महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री सी. विद्यासागर राव जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, केन्द्रीय रक्षा राज्यमंत्री भारत सरकार डॉ. सुभाष भामरे, नासिक जिले के पालक मंत्री गिरीश महाजन, वाशिम के विधायक राजेन्द्र पाटणी आदि अनेक नेतागण पधारे। महोत्सव का शुभारंभ प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी के मंगलाचरण एवं प्रस्तावना भाषण के साथ...
भगवान महावीर और उनके सिद्धान्त

भगवान महावीर और उनके सिद्धान्त

अहिंसा का अर्थ है हिंसा का परित्याग करना, किसी को दु:ख देने की भावना से दु:ख देना हिंसा है, द्रव्य और भाव इन भेदों से हिंसा दो प्रकार की होती है, किसी का गला घोंट देना या तलवार आदि शस्त्रों द्वारा किसी का प्राणान्त कर देना द्रव्य हिंसा है। द्रव्य-हिंसा का अधिक सम्बन्ध द्रव्य के साथ होने से, द्रव्य-हिंसा कहा जाता है, जिस हिंसा का सम्बन्ध भावना के साथ हो वह भाव-हिंसा कहलाती है। ह्रदय में दूसरों को मारने का विचार करना, झूठ, चोरी, व्यभिचार, क्रोध, मान, कपट और लोभ आदि दुर्गुणों का पैदा होना भाव हिंसा है। हिंसा चाहे...