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Jinagam Magazine
भगवान महावीर निर्वाण पर खास प्रस्तुति

भगवान महावीर निर्वाण पर खास प्रस्तुति

निर्वाण प्राप्ति का ध्रुव मार्ग भगवान महावीर ने पावापुरी से मोक्ष प्राप्त किया। महावीर की आत्मा कार्तिक की चौदस को पूर्ण निर्मल पर्याय रुप से परिणमित हुई और महावीर, सिद्धपद को प्राप्त हुए। पावापुरी में इन्द्रों तथा राजा-महाराजाओं ने निर्वाण-महोत्सव मनाया था, उसी दीपावली तथा नूतनवर्ष आज का दिवस है। भगवान पावापुरी स्वभाव ऊध्र्वगमन कर ऊपर सिद्धालय में विराज रहे हैं, ऐसी दशा आज भगवान को पावापुरी में प्रगट हुई, इसलिए पावापुरी भी तीर्थधाम बना, हम सम्मेदशिखर की यात्रा के समय पावापुरी की यात्रा करने गये, तब वहाँ भगवान का अभिषेक हुआ था, वहाँ सरोवर के बीच में – जहाँ...
भगवान् महावीर एवम् दीपावली

भगवान् महावीर एवम् दीपावली

मानव ने अपने अन्तर जागरण की प्रभात बेला में जब आँखें खोलीं तो अपने चतुर्दिक् व्याप्त संसति की संरचना को देखकर विस्मय-विमुग्ध हो गया। अपनी कर्मस्थली, अपना लोक ही उसकी समझ से परे हो, यह उसके लिए कम परिताप की बात न थी, उसने सोचा, आखिर यह सब क्या है? हमारे सामने सारी वसुन्धरा सजी-संवरी खड़ी है और हम हैं कि जो अंधेरे में भटक रहे हैं, कुछ भी समझने-बूझने के लिए, प्रकाश की कहीं से एक भी क्षीणरेखा ऩजर नहीं आ रही है, तब सभी ने – ‘‘तमसो मा ज्योतिर्गमय, असतो मा सद्गमय’’ की गुहार शुरु कर दी। कहना...
दीपावली की दिव्यता

दीपावली की दिव्यता

आत्म-ध्यान से सिद्धि मानवता को अहिंसा-सत्य, समानता, समत्व-भाव, स्वावलम्बन, सहिष्णुता, विरोध, सच्चारित्र और अभय का पावन सन्देश देने वाले विश्व पूज्य भगवान महावीर का परिनिर्वाण ई.पूर्व ५२७, कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि के अन्तिम पहर में स्वाति नक्षत्र में पावापुर में हुआ था। महावीर सिद्धलोकवासी हो गए। इन्द्र और देवताओं ने निर्वाण कल्याणक पूजा की, नौलिच्छिवि, नौ मल्ल राजा और श्रेणिक राजा ने प्रजाजनों के साथ मिलकर प्रभु का निर्वाण कल्याणक मनाया व दीप जला कर ज्ञान-प्रकाश उत्सव मनाया, पावा नगरी दीप-आलोक से जगमगा गयी। निर्वाण के दो दिन पूर्व त्रयोदशी को पावा नगरी के मनोहर वन में सरोवर के...
ज्योतिर्मय निर्वाण दिवस

ज्योतिर्मय निर्वाण दिवस

साधक के जीवन के लिए निर्वाण पर्व तथा उत्सवों का महत्वपूर्ण स्थान है। भारत के प्राचीन इतिहास में अनेक पर्वों के वर्णन हैं, जीवन के हर-अंग के साथ कोई-न-कोई पर्व है विकास के लिये, निर्माण के लिये हर पर्व महान है। भारतवर्ष की महान संस्कृति एवं उज्ज्वल परंपरा में ‘दीपावली’ का महत्वपूर्ण स्थान है। दीपमाला में सिर्फ एक ही ज्योतिर्मय दीप नहीं, दीपों की अवलियां पंक्तियां है, एक के बाद एक क्रम बद्ध दीप-प्रज्वलित हैं, इसलिये दीपमाला और दीपावली एक ही है, दीपावली ज्योति का पर्व है, प्रकाश का पर्व है, इस ज्योतिपर्व के साथ इतिहास की महत्त्वपूर्ण कड़ियां-स्वर्णिम श्रृंखलाएं...
श्री पार्श्व जन्म कल्याणक महाभिषेक की सभा

श्री पार्श्व जन्म कल्याणक महाभिषेक की सभा

मालव मार्तण्ड पू.आ.श्री मुक्ति सागरसूरिजी म.सा.की निश्रा में श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ जैन संघ राजाजीनगर के सलोत आराधना भवन में आगामी षोष दशमी दि ३० एवं ३१ दिसंबर को श्री पाश्र्वनाथ प्रभु के जन्म दीक्षा कल्याणक पर होने वाले २३ लाख महाभिषेक की सफलता के लिए संपन्न हुई। सभा में सर्वश्री उत्तमकरण सचेती, जीवराज कामेला, नरपतराज सोलंकी, मीलनभाई सेठ, विजयराज राय गांधी, सुरेश बंदा मूथा आदि अनेक महानुभाव उपस्थित थे। उक्त जानकारी समस्त जैन की एकमात्र ‘जिनागम’ के समाचार प्रभारी देवराज के. जैन ने देते हुए बताया कि तीन महिने बाद होनेवाला यह महाभिषेक बैंगलोर ही नहीं समग्र दक्षिण प्रांत का...