तेरापंथ स्थापना दिवस पर कहा रहे
तेरापंथ की फुलवारी सदा हरी-भरी – शासनश्री मुनि विजय कुमार यह जगत् द्वन्द्वात्मक है, अनेक प्रकार के विरोधी द्वन्द्व हमें यहां देखने को मिलते हैं, दिन-रात, सर्दी-गर्मी, मृदु-कठोर आदि द्वन्द्वों की तरह ही कभी पतझड़ तो कभी वसंत के दर्शन यहां होते रहते हैं, यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसे कोई रोक नहीं सकता, व्यक्ति और समूह दोनों में यह विविधता दिखाई देती है, अनुकूल परिस्थिति घटित होने पर व्यक्ति को लगता है ‘अच्छे दिन आ गये’ और प्रतिकूलता घटित होने पर लगता है ‘अच्छे दिन चले गये’। समय के बदलाव के साथ व्यक्ति की सोच में भी बदलाव परिलक्षित...
पर्यूषण पर्व: आत्मशोधन और जैन आध्यात्मिकता
दुनिया के सबसे प्राचीन धर्म जैन धर्म को श्रमणों का धर्म कहा जाता है। जैन धर्म का संस्थापक ऋषभ देव को माना जाता है, जो जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे और भारत के चक्रवर्ती सम्राट भरत के पिता थे। वेदों में प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ का उल्लेख मिलता है। जैन धर्म में कुल २४ तीर्थंकर हुए हैं। तीर्थंकर अर्हंतों में से ही होते हैं। जैन संस्कृति में जितने भी पर्व व त्योहार मनाए जाते हैं, लगभग सभी में तप एवं साधना का विशेष महत्व है। जैनों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्व है पर्युषण पर्व। पर्युषण पर्व का शाब्दिक अर्थ है आत्मा...
क्षमा पर्व देता है मधुरता का संदेश
पर्युषण एक आध्यात्मिक त्योहार है। इस दौरान ऐसा लगता है मानो जैसे किसी ने दस धर्मों की माला बना दी हो। दसलक्षण धर्म की संपूर्ण साधना के बिना मनुष्य को मुक्ति का मार्ग नहीं मिल सकता। पर्युषण पर्व का पहला दिन ही ‘उत्तम क्षमा’ भाव का दिन होता है। धर्म के दस लक्षणों में ‘उत्तम क्षमा’ की शक्ति अतुल्य है। क्षमा भाव आत्मा का धर्म कहलाता है। यह धर्म किसी व्यक्ति विशेष का नहीं होता, बल्कि समूचे प्राणी जगत का होता है। जैन धर्म में पर्युषण पर्व के दौरान दसलक्षण धर्म का महत्व बतलाया गया है। वे दस धर्म क्षमा...
क्षमावाणी पर्व पर स्वयं से भी क्षमा मांगे
पर्युषण : मन की सफाई का पर्व हिंदी सेवा व जैन एकता का अलख जगाने वाले वरिष्ठ पत्रकार व सम्पादक बिजय कुमार जैन कहते हैं कि तमाम बुराई के बाद भी हम अपने आपको प्यार करना नहीं छोड़ते तो फिर दूसरे में कोई बात नापसंद होने पर भी उससे प्यार क्यों नहीं कर सकते? इसी तरह भगवान महावीर और हमारे अन्य संत-महात्मा भी प्रेम और क्षमा भाव की शिक्षा देते हैं | भगवान महावीर ने हमें आत्म कल्याण के लिए दस धर्मों के दस दीपक दिए हैं, प्रतिवर्ष पर्युषण आकर हमारे अंत:करण में दया, क्षमा और मानवता जगाने का कार्य...
क्षमा माँग कर बैरभाव खत्म करें
जैन धर्मावलंबियों के पर्युषण पर्व समाप्त होने के बाद बारी आती है क्षमावाणी पर्व की, पर्युषण का पहला दिन उत्तम क्षमा का दिन होता है और इस दिन से शुरू हुए पयुर्षण पर्व के दस दिन हमें धर्म को आत्मसात कर बैरभाव को दूर करके क्षमा भाव बनाए रखने की प्रेरणा देते हैं। दसलक्षण पर्व के अंतर्गत की गई पूजा-अर्चना हमें अहंकार से दूर कर मानवीयता की ओर ले जाती है, यह मानवीयता भी एक माँ के समान ही है, जिस प्रकार कोई भी माता अत्यंत क्षमाशील होती है, हमारी किसी भी अच्छी-बुरी बात को भूलकर तुरंत हमें क्षमा (माफी)...