धार्मिक-सामाजिक-राष्ट्रीय कार्य के प्रहरी
श्री बाबुलालजी धनराजरजी डोडिया गांधा श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में भगवान महावीर के मोक्ष कल्याणक तथा लब्धी प्रदाता श्री गौतमस्वामी के केवलज्ञान दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले पंचान्हिका महोत्सव का १० वर्ष से लाभ ले रहे परमगुरुभक्त श्री बाबुलाल धनराज जी डोडिया गांधी का परिचय ‘जिनागम’ के इस अंक में हम आपसे करवाते हैं।यशस्वी राजस्थान के ऐतिहासिक जालोर जिले के धुम्बड़िया में आपका जन्म १६ फरवरी १९५५ को हुआ था। आपके पूज्य पिता श्री धनराजजी व माताजी श्रीमती कमलाबहन दादागुरुदेव के प्रति आस्थावान धर्मनिष्ठ थे और उन्होंने यही संस्कार अपने तीनों पुत्र सर्वश्री बाबुलालजी, मीठालालजी व सुमेरलालजी व पुत्री...
आचार्य विजय राजेन्द्र सूरि: जीवन और परिवार
जन्म स्थान एवं माता-पिता-परिवार श्रीराजेन्द्रसूरिरास’ एवं ‘श्री राजेन्द्रगुणमंजरी’ के अनुसार वर्तमान राजस्थान प्रदेश के भरतपुर शहर में दहीवाली गली में पारिख परिवार के ओसवंशी श्रेष्ठि रुषभदास रहते थे। आपकी धर्मपत्नी का नाम केशरबाई था जिसे अपनी कुक्षि में श्री राजेन्द्र सूरि जैसे व्यक्तित्व को धारण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। श्रेष्ठि रुषभदासजी की तीन संतानें थी, दो पुत्र : बड़े पुत्र का नाम माणिकचन्द एवं छोटे पुत्र का नाम रतनचन्द था एवं एक कन्या थी जिसका नाम प्रेमा था, यही ‘रतनचन्द’ आगे चलकर आचार्य श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरि नाम से प्रख्यात हुए। वंश : पारेख परिवार की उत्पत्ति :...
भारतीय भाषा सम्मान यात्रा पर निकले भाषायी सैनिकों का भव्य स्वागत
आगामी आगामी २५ दिसम्बर,२०१८ से ४ जनवरी २०१९ तक भारतीय भाषा सम्मान यात्रा का आयोजन भारतीय भाषा अपनाओ अभियान के संस्थापक अध्यक्ष, वरिष्ठ पत्रकार एवं सम्पादक बिजय कुमार जैन के नेतृत्व में किया जा रहा है।यह यात्रा ५०० राष्ट्रप्रेमी और हिंदी प्रेमी सेवकों के साथ कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि स्थानों पर होती हुई ४ जनवरी २०१९ को दिल्ली पहुंचेगी तथा हिंदी को देश की राष्ट्रभाषा का संवैधानिक द़र्जा दिलाने के सम्बन्ध में ४ जनवरी २०१९ को अपरान्ह २.३० बजे भारत के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोंविद को तत्सम्बधी ज्ञापन दिया जाएगा। इस निर्धारित यात्रा की...
एकता में शक्ति
वाह जिनागम! मुझे जिनागम पत्रिका मिली, बराबर तीन दिनों तक इस पत्रिका पर चिन्तन किया, बहुत ही शिक्षाप्रद है, थोड़ा सा समय हम-सभी आत्म चिन्तन में लगायें, जैन समाज जो बिखरा हुआ है, हम आपस में झगड़ते हैं, जिसका लाभ दूसरों को मिल जाता है।दिगम्बर-श्वेताम्बर हम सब ‘एक’ बन जायें, भारत में शासन करने लगें, एकता में ही शक्ति निहित है। उदाहरण के तौर पर एक छोटा सा लेख लिख रहा हूँ, ध्यान से पढिये और आत्म चिन्तन करिये। एक व्यक्ति के पास रेशम का धागा था, रेशम के धागे आपस में लड़ने लगे, अलग-अलग रहने की सबने ठानी। धागे...
महावीर निर्वाणोत्सव मंगलमय हो
जैन जैन धर्मानुसार दीपावली का सम्बंध भगवान महावीर के निर्वाण से है। कार्तिक अमावस्या को भगवान का निर्वाण हुआ था, उस समय पावापुरी में देवों ने और राजाओं ने प्रकाश उत्सव किया था, आज उसी का अनुकरण दीप जलाकर किया जाता है, यही वीर-निर्वाण दिवस है। महावीर निर्वाण विधि: शुद्ध वस्त्रो पहनकर श्रीसंघ सहित मंगलगीत गाते हुए प्रात: ५ बजे जिनमंदिर पहुंचें। पुरुष प्रभु के दहिनी और तथा महिलाएं प्रभु के बार्इं ओर खड़े होकर द्वार का उद्घाटन करें, तत्पश्चात सभी मिलकर तीर्थंकर परमात्मा की आरती उतारें, फिर नैवेद्य, लड्डू, फल आदि चढ़ावें और सविधि देव वंदन करें। पूजन विधि:...