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Jinagam Magazine

तीर्थंकर महावीर का दिव्य संदेश

स्वयं जीयो और दूसरे को भी जीने दा तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्म कल्याणक ‘महावीर जयन्ती’ के नाम से भी प्रसिद्ध है।महावीर स्वामी का जन्म चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में हुआ था। ईस्वी कालगणना के अनुसार सोमवार, दिनांक २७ मार्च, ५९८ ईसा पूर्व के माँगलिक प्रभात में वैशाली के गणनायक राजा सिद्धार्थ के घर महावीर का जन्म हुआ था। महावीर स्वामी का तीर्थंकर के रुप में जन्म उनके पिछले अनेक जन्मों की सतत् साधना का परिणाम था, कहा जाता है कि एक समय महावीर का जीव पुरुरवा भील था, संयोगवश उसने सागरसेन नाम के मुनिराज के दर्शन...
आचार्यश्री महाश्रमण

आचार्यश्री महाश्रमण

आचार्यश्री महाश्रमण ने ५० हजार किमी की पदयात्रा कर रचा इतिहास, जगाई अहिंसा की अलख अहिंसा यात्रा के प्रणेता तेरापंथ धर्मसंघ के ११वें अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी ने अपने पावन कदमों से पदयात्रा करते हुए ५०,००० किलोमीटर के आंकड़े को पार कर एक नए इतिहास का सृजन कर लिया। आज के भौतिक संसाधनों से भरपूर युग में जहां यातायात के इतने साधन हैं, व्यवस्थाएं हैं, फिर भी भारतीय ऋषि परंपरा को जीवित रखते हुए महान परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी जनोपकार के लिए निरंतर पदयात्रा कर रहे हैं। भारत के २३ राज्यों और नेपाल व भूटान में सद्भावना, नैतिकता एवं नशामुक्ति की...

‘जिनागम’ के पाठकों से गौवंश रक्षा की अपील

‘जिनागम’ के प्रबुद्ध पाठकों से निवेदन गौवंश की रक्षा में अपना कर्त्तव्य निभायें (A request to the enlightened readers of ‘Jinagam’ Do your duty in protecting cows)भारत के पांच राज्यों में घोषित चुनाव में हमें यह भी वायदा चाहिए क्योंकि गाय का दूध हम मानव के लिए जीवन ही तो है……. उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा राज्य में १० फरवरी से ७ मार्च २०२२ में होने वाले चुनाव के प्रत्याशी उक्त विधानसभा में जाकर गौवंश का वध करने वालों को आजीवन कारावास की घोषणा करवाएंगे हम उन्हें ही उक्त विधानसभा में भेजेंगे। -बिजय कुमार जैन -राष्ट्रीय अध्यक्ष –...
श्री मोहनखेड़ा तीर्थ का संक्षिप्त परिचय

श्री मोहनखेड़ा तीर्थ का संक्षिप्त परिचय

श्री मोहनखेड़ा तीर्थ का संक्षिप्त परिचय (Brief Introduction of Shri Mohankheda Tirtha)वर्तमान अवसर्पणी के प्रथम तीर्थंकर भगवान् श्री ऋषभदेवजी को समर्पित श्री मोहनखेड़ा तीर्थ की गणना आज देश के प्रमुख जैन तीर्थों में की जाती है। मध्यप्रदेश के धार जिले की सरदारपुर तहसील, नगर राजगढ़ से मात्र तीन किलोमीटर दूर स्थित यह तीर्थ देव, गुरु व धर्म की त्रिवेणी है।श्री मोहनखेड़ा तीर्थ की स्थापना: तीर्थ की स्थापना प्रातः स्मरणीय विश्वपूज्य दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरिश्वरजी म.सा. की दिव्यदृष्टि का परिणाम है, आषाढ़ वदी १०, वि.सं. १९२५ में क्रियोद्धार करने व यति परम्परा को संवेगी धारा में रुपान्तरित कर श्रीमद् देश के...
गुरुदेव श्रीमद् विजयराजेन्द्रसूरिश्वरजी

गुरुदेव श्रीमद् विजयराजेन्द्रसूरिश्वरजी

गुरुदेव श्रीमद् विजयराजेन्द्रसूरिश्वरजी ( Gurudev Shrimad Vijayrajendrasurishwarji )जन्म एवं माता-पिता:-‘श्रीराजेन्द्रसूरिरास’ एवं ‘श्री राजेन्द्रगुणमंजरी’ के अनुसार वर्तमान राजस्थान प्रदेश के भरतपुर शहर में दहीवाली गली में पारिख परिवार के ओसवंशी श्रेष्ठि रुषभदास रहते थे। आपकी धर्मपत्नी का नाम केशरबाई था जिसे अपनी कुक्षि में श्री राजेन्द्र सूरि जैसे व्यक्तित्व को धारण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। श्रेष्ठि रुषभदासजी की तीन संतानें थी, दो पुत्र: बड़े पुत्र का नाम माणिकचन्द एवं छोटे पुत्र का नाम रतनचन्द था एवं एक कन्या थी जिसका नाम प्रेमा था, यही ‘रतनचन्द’ आगे चलकर आचार्य श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरि नाम से प्रख्यात हुए। पारेख परिवार की...