विवेक और जैन धर्म: जैन धर्म में विवेक की भूमिका
जैन धर्म किसी एक धार्मिक पुस्तक या शास्त्र पर निर्भर नहीं है, इस धर्म में ‘विवेक’ ही धर्म है | जैन धर्म में ज्ञान प्राप्ति सर्वोपरि है और दर्शन मीमांसा धर्माचरण से पहले आवश्यक है | देश, काल और भाव के अनुसार ज्ञान दर्शन से विवेचन कर, उचित- अनुचित, अच्छे-बुरे का निर्णय करना और धर्म का रास्ता तय करना | आत्मा और जीव तथा शरीर अलग-अलग हैं, आत्मा बुरे कर्मों का क्षय कर शुद्ध-बुद्ध परमात्मा स्वरुप बन सकता है, यही जैन धर्म दर्शन का सार है, आधार है | जैन दर्शन में प्रत्येक जीवन आत्मा को अपने-अपने कर्मफल अच्छे-बुरे स्वतंत्र...
ओजस्वी सन्त तरूण सागरजी
मध्यप्रदेश के दमोह के छोटे से ग्राम में जन्मा एक बालक कभी देश का इतना ओजस्वी व प्रखर वक्ता सन्त बन जायेगा, यह किसी की कल्पना में नहीं था। २६ जुन सन् १९६७ में जन्मा पवन कुमार जैन, अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान ही एक जैन सन्त का आध्यात्मिक प्रवचन सुनकर, मन से आन्दोलित हो गया एवं १४ वर्ष की उम्र में अपना घर छोड़ दिया, वह किशोर अगले ५-६ वर्ष अपनी ज्ञान-पिपासा की शान्ति एवं मानव जीवन का उद्देश्य पूर्ण सुख-शान्ति प्राप्ति हेतु गुरू की खोज करता रहा, अन्त में सन् १९८८ में २१ वर्ष की आयु में दिगम्बर...
आत्मविकास का अपूर्व अवसर : चातुर्मास
प्रत्येक क्रिया काल के अनुसार करनी चाहिए-मनुष्य श्रम करता है किन्तु उसका फल पाने के लिए ‘काल’ की उपयुक्तता /अनुकूलता जरुरी है, जैसे स्वास्थ्य सुधारने के लिए सर्दी का मौसम अनुकूल माना जाता है, वैसे धर्माराधना और तप: साधना के लिए वर्षावास,चातुर्मास का समय सबसे अधिक अनुकूल माना जाता है। संपूर्ण सृष्टि के लिए वर्षाकाल सबसे महत्वपूर्ण है, इन महीनों में आकाश द्वारा जलधारा बरसाकर धरती की प्यास बुझाती है, धरती की तपन मिटाती है और भूमि की माटी को नम्र, कोमल, मुलायम बनाकर बीजों को अंकुरित करने के लिए अनुकूल बनाती है इसलिए २७ नक्षत्रों से वर्षाकाल के १०...
संसार का आठवाँ आश्चर्य जैन साधु
हमारे पूर्व जन्म की पुण्यायी के कारण हम इस जन्म में जैन कुल में पैदा हुए, जैन कहलाये तथा हमें जैन-सन्तों का सान्निध्य प्राप्त हुआ। हमारे साधु-साध्वियों को संसार का आठवां आश्चर्य कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। गर्मी हो या सर्दी, सड़क हो या कच्चा रास्ता, कंकर हो या कांटे, रात्रि भोजन व कच्चे पानी का त्याग, बरसात में छाता नहीं, ओढ़ने के लिए चादर या कम्बल नहीं, रात्रि में मच्छर काटते हैं, बिजली का उपयोग नहीं, दो-तीन जोड़ी पतले कपड़ों से सम्पूर्ण जीवन व्यतित करना तो आश्चर्य ही है। हम एक दिन भी इस तरह का जीवन जी...
दिल्ली में तपस्वियों का सम्मान
दिल्ली: दिनांक ३० सितम्बर को बड़ी श्रद्धा एवं हर्षोल्लास से उपाध्याय श्री गुप्तिसागर जी म.सा. का ३७ वाँ दीक्षा समारोह सम्पन्न हुआ, इस अवसर पर क्षमावाणी महापर्व का भी आयोजन किया गया, जिसमें दिल्ली में १० उपवास व इससे अधिक उपवास करने वालों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया, कार्यक्रम में ३१०८ यात्रियों को श्री सम्मेद शिखर जी की यात्रा के टिकट वितरित किए गए, इस अवसर कई गणमान्यों के साथ ही केंद्रीय विज्ञान प्रोद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन व दिल्ली के स्वास्थ मंत्री सत्येन्द्र जैन भी उपस्थित थे, जिन्होंने सभा को सम्बोधित भी किया। एकता में शक्ति मुझे जिनागम...